उसकी असहजता ------ सृष्टिराज चिंतक

by srishti raj chintak on January 07, 2014, 06:07:03 PM
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srishti raj chintak
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असहज हो जाता है वह
अकसर, आजकल
अपनी सांकेतिकता देख कर
हाँ, अब वह प्रासंगिक
नही रह गया
सांकेतिक हो गया है

किसी दफ़्तरी पत्र के
'प्रतिलिपि सूचनार्थ'
वाले पात्र की तरह
या किसी कार्बन कॉपी
या साइकोस्टाइलड
प्रति सरीखा

जब उसका कोई बच्चा
देर रात घर लौट कर
इंतज़ार में बैठी माँ को
सूचित करता है
'मैं खाना नही खाऊँगा
खा कर आया हूँ'

या अचानक कोई बच्चा
अपना समान पैक करने लगता है
और माँ की हिम्मत नही होती
उससे कुछ पूछने की
वह बस कौतुहल से उसे
टुकुर-टुकुर निहारती है

फिर पैकिंग करके वह
माँ को सूचित करता है
'मैं दोस्तों संग बाहर घूमने
जा रहा हूँ
दो-चार दिन में
लौट आऊंगा

या उसका लड़का
सूचित करता है
'मैनें शादी कर ली है
अगर आप कहो
और बेइज्जत ना करो
तो उसे आप से मिलवाने ले आऊ'

या उसकी लड़की
कहती है कि
मैंने शादी के लिए
एक लड़का पसंद कर लिया है
उसके घर वालों से
बात कर लो

या कोई बच्चा
अपना बैंक-स्टेटमेंट
उससे छुपाता है
और अचानक कभी
किसी बच्चे की जेब से
सिगरेट-लाइटर गिर जाता है

"तो वह असहज हो जाता है"

अपनी इस असहजता को
ढोते-ढोते ही
वह रोजाना टकटकी लगाए
कुरियर या पोस्टमैन का
इंतज़ार करता है
शायद कहीं से
कोई शादी, पार्टी का
निमंत्रण आ जाए

चौकन्ना सा फोन की
घण्टी बजने की
बाट देखता है कि
कही से किसी
कुशल-क्षेम पूछने वाले की
काल आ जाए

अपने जन्म-दिन और
त्योहारों पर
अपना मोटे लैंसो का चश्मा
सुबह से पहन लेता है
शायद कही से कोई
बधाई-संदेश ही आ जाए

घेरे रहते थे उसको
हर समय सहकर्मी
बात-बात में
उनकी काल से
उसके फोन की घण्टी
दिन-रात घनघनाती थी

वह अब मिस-काल पर ही
बजती है क्योंकि
अब वह
प्रासंगिक नही
रह गया
सांकेतिक हो गया है

"और वह असहज हो जाता है"




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suman59
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«Reply #1 on: January 07, 2014, 06:20:47 PM »
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vry nice
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amit_prakash_meet
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«Reply #2 on: January 07, 2014, 06:37:09 PM »
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खूब कहा.....
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arunmishra
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«Reply #3 on: January 07, 2014, 06:45:05 PM »
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 Applause Applause
कविता की प्रासांगिकता और सांकेतिकता
दोनों ही श्लाघ्य हैं |
सुन्दर चिंतन, प्रिय श्री चिंतक जी |
बधाई |
शुभकामनायें |
-अरुण मिश्र.
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sksaini4
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«Reply #4 on: January 07, 2014, 07:59:19 PM »
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nice
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RAJAN KONDAL
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«Reply #5 on: January 07, 2014, 11:06:37 PM »
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v. Nice
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aqsh
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«Reply #6 on: January 08, 2014, 02:42:03 PM »
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Bahut khoooooooob...
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