किरदार ए रहनुमा में होती है अक्कासी मिज़ाजे ज़माने की

by khhanabadosh on July 12, 2016, 10:36:55 AM
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=========किरदार ए रहनुमा  में  होती  है  अक्कासी  मिज़ाजे ज़माने  की ====

माहिर सियासतदां  था,  खूब  मंसूबा -साज़ी  उसने  की  
दिखाई  उम्मीद के रोटी , फिर निशाने -बाज़ी उसने  की  


हुसूले  हुकूमत  को ,खूब  कारोबार-ए-लफ़्फ़ाज़ी  उसने  की
जागतो  को  ख्वाब  दिखाए , ऐसी सुखन-तराजी उसने  की  

हाकिम बनते  ही ,यूँ बे -तकल्लुफ तोता -चश्मी उसने  की
ज़ख़्मी  उम्मीदे जिगर की, फिर से चारा-साज़ी  हमने  की

ग़रीबो  की  तो  किस्मत   सदा, यूँ  ही  सर्द र्आहे भरने  की
अमीरों  पे  ही ,यूँ  मुसलसल  दस्त-ए-फय्याजी  उसने  की  

मासूमियत इसने दिखाई तो , आदतन ,यूँ  बेवफाई उसने की
जीत ली बाज़ी गरीबो  से  ,ऐसी शातिर पैंतरेबाज़ी  उसने  की  

ज़रूरत है, 'गरदिश ए अय्याम' से, हाकिम  को खूब  डरने  की
अकड़ती  गर्दनो  की , चश्मे जदन  ज़मीन-दोजी 'जिसने'  की  

हुक्मराँ  को  अगर आदत  है  बेहद  ज़ुल्मओ सितम ढाने  की
मिज़ाज  उसका है  वही, जो ज़ुल्म की तुखम  साज़ी  तुमने  की  

किरदार ए रहनुमा  में  होती  है  अक्कासी  मिज़ाजे ज़माने  की
बूे ए चमन से  होती है अयाँ , के गुल की चमनसाजी  किसने  की  

इल्म ओ हुनर की  कोशिश हो, या फ़िक्र मुस्तक़बिल  बनाने  की
ना हो सिद्क़ ओ अद्ल जिसमे ,फितरतन  शर अंगेज़ी  उसने की

तमन्ना  तुमको बहुत  है  'राशिद' ,  खूबसीरत मआशरा बनाने की  
ये  दौलत  उनको   मिलेगी ,  नस्ल की किरदार साज़ी  जिसने  की  



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«Reply #1 on: July 12, 2016, 07:52:28 PM »
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=========किरदार ए रहनुमा  में  होती  है  अक्कासी  मिज़ाजे ज़माने  की ====

माहिर सियासतदां  था,  खूब  मंसूबा -साज़ी  उसने  की   
दिखाई  उम्मीद के रोटी , फिर निशाने -बाज़ी उसने  की 


हुसूले  हुकूमत  को ,खूब  कारोबार-ए-लफ़्फ़ाज़ी  उसने  की
जागतो  को  ख्वाब  दिखाए , ऐसी सुखन-तराजी उसने  की 

हाकिम बनते  ही ,यूँ बे -तकल्लुफ तोता -चश्मी उसने  की
ज़ख़्मी  उम्मीदे जिगर की, फिर से चारा-साज़ी  हमने  की

ग़रीबो  की  तो  किस्मत   सदा, यूँ  ही  सर्द र्आहे भरने  की
अमीरों  पे  ही ,यूँ  मुसलसल  दस्त-ए-फय्याजी  उसने  की 

मासूमियत इसने दिखाई तो , आदतन ,यूँ  बेवफाई उसने की
जीत ली बाज़ी गरीबो  से  ,ऐसी शातिर पैंतरेबाज़ी  उसने  की 

ज़रूरत है, 'गरदिश ए अय्याम' से, हाकिम  को खूब  डरने  की
अकड़ती  गर्दनो  की , चश्मे जदन  ज़मीन-दोजी 'जिसने'  की 

हुक्मराँ  को  अगर आदत  है  बेहद  ज़ुल्मओ सितम ढाने  की
मिज़ाज  उसका है  वही, जो ज़ुल्म की तुखम  साज़ी  तुमने  की 

किरदार ए रहनुमा  में  होती  है  अक्कासी  मिज़ाजे ज़माने  की
बूे ए चमन से  होती है अयाँ , के गुल की चमनसाजी  किसने  की 

इल्म ओ हुनर की  कोशिश हो, या फ़िक्र मुस्तक़बिल  बनाने  की
ना हो सिद्क़ ओ अद्ल जिसमे ,फितरतन  शर अंगेज़ी  उसने की

तमन्ना  तुमको बहुत  है  'राशिद' ,  खूबसीरत मआशरा बनाने की 
ये  दौलत  उनको   मिलेगी ,  नस्ल की किरदार साज़ी  जिसने  की 


waah waah waah kyaa baat hain, bahut khoobsurat bayaani kee hai aapne, dheron daad.
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khhanabadosh
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«Reply #2 on: July 13, 2016, 06:07:37 AM »
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Thanks Surindar saab , Hosla-afzai ka bahut shukriya
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«Reply #3 on: July 14, 2016, 06:55:14 AM »
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meri urdu itni achchi nahi hai, par samjh me aa jati hai ...kehna kya chah rahe haein hai, aur ye bilkul aajkal ki politics ki asliyat hai, ek karari chot ki hai aapne.

itna dukh rahega ki agar jo shabd hame nahio aate unka matlab samjh pate to unki usage se badh rahi khoobsurti aur achche se samjh aati, bahot bahot umdah!
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«Reply #4 on: July 14, 2016, 11:17:44 AM »
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=== added meaning of tough words ====

=========किरदार ए रहनुमा  में  होती  है  अक्कासी  मिज़ाजे ज़माने  की ====

माहिर सियासतदां  था,  खूब  *मंसूबा -साज़ी  उसने  की   
दिखाई  उम्मीद के रोटी , फिर निशाने -बाज़ी उसने  की 



*हुसूले  हुकूमत  को ,खूब  *कारोबार-ए-लफ़्फ़ाज़ी  उसने  की
जागतो  को  ख्वाब  दिखाए , ऐसी *सुखन-तराजी उसने  की 

हाकिम बनते  ही ,यूँ बे -तकल्लुफ *तोता-चश्मी उसने  की
ज़ख़्मी  उम्मीदे जिगर की, फिर से *चारा-साज़ी  हमने  की

ग़रीबो  की  तो  किस्मत   सदा, यूँ  ही  सर्द र्आहे भरने  की
अमीरों  पे  ही ,यूँ  *मुसलसल  दस्त-ए-फय्याजी  उसने  की 

मासूमियत इसने दिखाई तो , आदतन ,यूँ  बेवफाई उसने की
जीत ली बाज़ी गरीबो  से  ,ऐसी शातिर *पैंतरेबाज़ी  उसने  की 

ज़रूरत है, *'गरदिश ए अय्याम' से, हाकिम  को खूब  डरने  की
अकड़ती  गर्दनो  की , *चश्मे जदन  *ज़मीन-दोजी 'जिसने'  की 

हुक्मराँ  को  अगर आदत  है  बेहद  ज़ुल्मओ सितम ढाने  की
मिज़ाज  उसका है  वही, जो ज़ुल्म की *तुखम  साज़ी  तुमने  की 

किरदार ए रहनुमा  में  होती  है  *अक्कासी  मिज़ाजे ज़माने  की
*बूे ए चमन से  होती है अयाँ , के गुल की *चमनसाजी  किसने  की 

इल्म ओ हुनर की  कोशिश हो, या फ़िक्र मुस्तक़बिल  बनाने  की
ना हो *सिद्क़ ओ अद्ल जिसमे ,फितरतन  शर अंगेज़ी  उसने की

तमन्ना  तुमको बहुत  है  'राशिद' ,  खूबसीरत *मआशरा बनाने की 
ये  दौलत  उनको   मिलेगी ,  नस्ल की *किरदार साज़ी  जिसने  की 




*मंसूबा -साज़ी - Planning
*हुसूले - To acquire
*कारोबार-ए-लफ़्फ़ाज़ी - Business of words
*सुखन-तराजी - making poetry
*तोता-चश्मी -Betrayal( like parrot )
*चारा-साज़ी - Cure
* मुसलसल  दस्त-ए-फय्याजी - continuous Benevolent hand
*पैंतरेबाज़ी -  Maneuver
*'गरदिश ए अय्याम' - Change of Time
*चश्मे जदन - Blink Of An Eye
*ज़मीन-दोजी - Fell to ground
*तुखम  साज़ी - Sowing (seeds)
*अक्कासी - image
*बूे ए चमन - frangrance of garden
*चमनसाजी - gardening
*सिद्क़ ओ अद्ल - Truthfulness and Justice
*मआशरा - Society
*किरदार साज़ी - character building
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