गुफ्तगू

by nadaan ummidien on April 03, 2012, 01:18:04 AM
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nadaan ummidien
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सोच रहा हूँ क्या लिखूं कुछ पता नहीं,
कोई ख्वाब लिखने को दिल में मचलता नहीं !
              फिर सोचा चलो शुरुआत तो करूँ कहीं से,
              क्या पता कुछ ऐसा लिख दूं जो कहीं और मिलता नहीं !
१ ख्याल आया जहन में की दिल क्या चीज है,
शायद ये वो शख्स है जो बाहर से दिखता नहीं !
              ये दिल ही तो है जो कुछ न कुछ सोचता रहता है,
              कभी किसी से मगर कुछ ये कहता नहीं !
सवाल तो है कैद कई इस छोटे से बक्से में,
लेकिन न जाने क्यों ये मुझसे भी उन्हें बूझता नहीं !
              कभी लगता है मैं खुद ही पूछूं कोई सवाल इससे,
              लेकिन ये बड़ा अजीब है जो कुछ बोलता नहीं !
१ दिन मैंने कहा-"तू कुछ बोल जो तेरे होने का एहसास कराये",
तब अचानक लगा जैसे ये भी बोलता है सिर्फ सुनता नहीं !
              बोला -"मैं तो हूँ मालिक तेरा,तेरे अन्दर ही,
              वरना कैसे तेरा जोर मुझपर चलता नहीं !
क्यूंकि तू चाहता है किसी को,बिना कुछ बताये,
जो मैं न होता तो क्यूँ मुझसे कुछ छुपता नहीं" !
              मैंने डांटा उसे अपना राज यूँ बताने के लिए,
              तो बोला -"मैं तो राजा हूँ किसी से डरता नहीं !
तभी वो शख्स आया नज़रों के सामने, जिसका अभी जिक्र हुआ,
और चुप हो गया दिल हंसकर जैसे कुछ हुआ नहीं !
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nadaan ummidien
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«Reply #1 on: April 03, 2012, 01:18:33 AM »
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सोच रहा हूँ क्या लिखूं कुछ पता नहीं,
कोई ख्वाब लिखने को दिल में मचलता नहीं !
              फिर सोचा चलो शुरुआत तो करूँ कहीं से,
              क्या पता कुछ ऐसा लिख दूं जो कहीं और मिलता नहीं !
१ ख्याल आया जहन में की दिल क्या चीज है,
शायद ये वो शख्स है जो बाहर से दिखता नहीं !
              ये दिल ही तो है जो कुछ न कुछ सोचता रहता है,
              कभी किसी से मगर कुछ ये कहता नहीं !
सवाल तो है कैद कई इस छोटे से बक्से में,
लेकिन न जाने क्यों ये मुझसे भी उन्हें बूझता नहीं !
              कभी लगता है मैं खुद ही पूछूं कोई सवाल इससे,
              लेकिन ये बड़ा अजीब है जो कुछ बोलता नहीं !
१ दिन मैंने कहा-"तू कुछ बोल जो तेरे होने का एहसास कराये",
तब अचानक लगा जैसे ये भी बोलता है सिर्फ सुनता नहीं !
              बोला -"मैं तो हूँ मालिक तेरा,तेरे अन्दर ही,
              वरना कैसे तेरा जोर मुझपर चलता नहीं !
क्यूंकि तू चाहता है किसी को,बिना कुछ बताये,
जो मैं न होता तो क्यूँ मुझसे कुछ छुपता नहीं" !
              मैंने डांटा उसे अपना राज यूँ बताने के लिए,
              तो बोला -"मैं तो राजा हूँ किसी से डरता नहीं !
तभी वो शख्स आया नज़रों के सामने, जिसका अभी जिक्र हुआ,
और चुप हो गया दिल हंसकर जैसे कुछ हुआ नहीं !
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sksaini4
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«Reply #2 on: April 03, 2012, 03:58:25 AM »
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bahut bahut behtreen peshkash daad haazir hai
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Jagan Kishan
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«Reply #3 on: April 03, 2012, 05:01:46 AM »
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kya baat hai... Lajawaab
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Jagan Kishan
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«Reply #4 on: April 03, 2012, 05:03:01 AM »
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wonderful poetry saahab
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nadaan ummidien
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«Reply #5 on: April 03, 2012, 06:13:47 AM »
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shukriya saini sahab
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nadaan ummidien
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«Reply #6 on: April 03, 2012, 06:25:59 AM »
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SHUKRIYA JAGAN  JI
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masoom shahjada
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«Reply #7 on: April 03, 2012, 07:07:41 AM »
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सोच रहा हूँ क्या लिखूं कुछ पता नहीं,
कोई ख्वाब लिखने को दिल में मचलता नहीं !
              फिर सोचा चलो शुरुआत तो करूँ कहीं से,
              क्या पता कुछ ऐसा लिख दूं जो कहीं और मिलता नहीं !
१ ख्याल आया जहन में की दिल क्या चीज है,
शायद ये वो शख्स है जो बाहर से दिखता नहीं !
              ये दिल ही तो है जो कुछ न कुछ सोचता रहता है,
              कभी किसी से मगर कुछ ये कहता नहीं !
सवाल तो है कैद कई इस छोटे से बक्से में,
लेकिन न जाने क्यों ये मुझसे भी उन्हें बूझता नहीं !
              कभी लगता है मैं खुद ही पूछूं कोई सवाल इससे,
              लेकिन ये बड़ा अजीब है जो कुछ बोलता नहीं !
१ दिन मैंने कहा-"तू कुछ बोल जो तेरे होने का एहसास कराये",
तब अचानक लगा जैसे ये भी बोलता है सिर्फ सुनता नहीं !
              बोला -"मैं तो हूँ मालिक तेरा,तेरे अन्दर ही,
              वरना कैसे तेरा जोर मुझपर चलता नहीं !
क्यूंकि तू चाहता है किसी को,बिना कुछ बताये,
जो मैं न होता तो क्यूँ मुझसे कुछ छुपता नहीं" !
              मैंने डांटा उसे अपना राज यूँ बताने के लिए,
              तो बोला -"मैं तो राजा हूँ किसी से डरता नहीं !
तभी वो शख्स आया नज़रों के सामने, जिसका अभी जिक्र हुआ,
और चुप हो गया दिल हंसकर जैसे कुछ हुआ नहीं !
gooooooood
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dolly
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«Reply #8 on: April 03, 2012, 10:46:09 AM »
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bahut ache...
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~Hriday~
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kalam k chalne ko zamaana paagalpan samajhta hai.

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«Reply #9 on: April 03, 2012, 01:57:43 PM »
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nadaan ummidien
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«Reply #10 on: April 04, 2012, 03:34:31 AM »
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shukriya masoom ji,dolly ji or hriday ji
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khujli
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«Reply #11 on: April 05, 2012, 10:16:14 AM »
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सोच रहा हूँ क्या लिखूं कुछ पता नहीं,
कोई ख्वाब लिखने को दिल में मचलता नहीं !
              फिर सोचा चलो शुरुआत तो करूँ कहीं से,
              क्या पता कुछ ऐसा लिख दूं जो कहीं और मिलता नहीं !
१ ख्याल आया जहन में की दिल क्या चीज है,
शायद ये वो शख्स है जो बाहर से दिखता नहीं !
              ये दिल ही तो है जो कुछ न कुछ सोचता रहता है,
              कभी किसी से मगर कुछ ये कहता नहीं !
सवाल तो है कैद कई इस छोटे से बक्से में,
लेकिन न जाने क्यों ये मुझसे भी उन्हें बूझता नहीं !
              कभी लगता है मैं खुद ही पूछूं कोई सवाल इससे,
              लेकिन ये बड़ा अजीब है जो कुछ बोलता नहीं !
१ दिन मैंने कहा-"तू कुछ बोल जो तेरे होने का एहसास कराये",
तब अचानक लगा जैसे ये भी बोलता है सिर्फ सुनता नहीं !
              बोला -"मैं तो हूँ मालिक तेरा,तेरे अन्दर ही,
              वरना कैसे तेरा जोर मुझपर चलता नहीं !
क्यूंकि तू चाहता है किसी को,बिना कुछ बताये,
जो मैं न होता तो क्यूँ मुझसे कुछ छुपता नहीं" !
              मैंने डांटा उसे अपना राज यूँ बताने के लिए,
              तो बोला -"मैं तो राजा हूँ किसी से डरता नहीं !
तभी वो शख्स आया नज़रों के सामने, जिसका अभी जिक्र हुआ,
और चुप हो गया दिल हंसकर जैसे कुछ हुआ नहीं !


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nadaan ummidien
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«Reply #12 on: April 08, 2012, 03:28:56 AM »
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thanks qalb ji
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With a Quick-Reply you can use bulletin board code and smileys as you would in a normal post, but much more conveniently.


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