जिन्दगी और मौत -रस्तोगी

by Ram Krishan Rastogi on August 20, 2017, 04:50:36 AM
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Ram Krishan Rastogi
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जिन्दा था तो किसी ने पास बिठाया नहीं
अब खुद मेरे पास चारो तरफ बैठे जा रहे है

पहले कभी किसी ने मेरा हाल पूछा तक नही 
अब मर गया तो सभी  हाल पूछे  जा रहे है

जब मै जिन्दा था किसी ने कोई रूमाल दिया नहीं
अब शाले और चादरे ऊपर से ओढ़ाये जा रहे है

ठण्ड में किसी ने कोई कपडा उढाया तक नहीं
आज मर गया तो शाल पे शाल उढाये जा रहे है

सब को पता है,ये चीजे उसके काम की नहीं
फिर भी बेचारे दुनिया दारी निभाये जा रहे है

जिन्दा था जब मै कोई देखने तक आया नहीं
आज मर गया हूँ,तो सब देखने मुझे आ रहे है

कभी किसी ने एक वख्त का खाना खिलाया नहीं  
आज मरने के बाद सबको खाना खिलाये जा रहे है

जिंदगी में एक कदम भी साथ चला कोई नहीं
अब फूलो से सजा कर कंधे पे उठाये जा रहे है

आज पता चला है कि जिंदगी, मौत से बेहतर नहीं 
हम तो बेवजह ही जिंदगी की चाहत किये जा रहे है    
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