तवह्हुम ...*उषा राजेश

by usha rajesh on January 08, 2012, 04:41:47 PM
Pages: [1]
ReplyPrint
Author  (Read 825 times)
usha rajesh
Guest
Reply with quote

हर शै जो सलीब पे लटके थी
हम उसको मसीहा समझे थे
वो तो पुराना कातिल था
हम जिसको दीवाना समझे थे  

रोज जो सजदे करता था
दैर में उसको जाते देखे
दिल को सजा कर हथेली पे
एक बुत के आगे झुकते देखे
वो तो नया इक काफ़िर था
हम जिसको मुसलमाँ समझे थे

हर शै जो सलीब पे लटके थी
हम उसको मसीहा समझे थे
वो तो पुराना कातिल था
हम जिसको दीवाना समझे थे  

वो इक लौ थी नन्ही सी
जो महफ़िल में सजा के रक्खे थे
वो गुलिस्ताँ जला के खाक किया
जो मुश्किल से बचा के रक्खे थे
वो तो शरार का टुकड़ा था
हम जिसको चरागाँ समझे थे

हर शै जो सलीब पे लटके थी
हम उसको मसीहा समझे थे
वो तो पुराना कातिल था
हम जिसको दीवाना समझे थे  

नमक सब उन पर छिड़का किये
दुनियाँ ने जो ज़ख्म दिए
खुशिया बाँटी औ जख्म बटोरे
हम, यूँ जिंदगानी बसर किये
वो भी हम पर हँसते रहे
हम जिनको मेहरबौं समझे थे

हर शै जो सलीब पे लटके थी
हम उसको मसीहा समझे थे
वो तो पुराना कातिल था
हम जिसको दीवाना समझे थे  

हर गाम पे यूँ ही धोखा खाया
हर गाम पे यूँ ही ज़ख्म सहे
गुल को तोडा गुलचीं ने ही
राह में काँटे बखेर दिए
न जाने ज़ालिम कौन थे वो
हम जिनको इन्सौं समझे थे

हर शै जो सलीब पे लटके थी
हम उसको मसीहा समझे थे
वो तो पुराना कातिल था
हम जिसको दीवाना समझे थे  

जो पहले न मिले थे हमसे कभी
वो, प्यार से हमारा साथ दिए
अश्कों से पहले चोट को धोया
फिर ज़ख्मों की दवा किए
वो तो अज़ल से अपने थे
हम जिनको बेगाना समझे थे

हर शै जो सलीब पे लटके थी
हम उसको मसीहा समझे थे
वो तो पुराना कातिल था
हम जिसको दीवाना समझे थे  
 
                       -------------उषा राजेश
Logged
sksaini4
Ustaad ae Shayari
*****

Rau: 853
Offline Offline

Gender: Male
Waqt Bitaya:
112 days, 8 hours and 51 minutes.
Posts: 36414
Member Since: Apr 2011


View Profile
«Reply #1 on: January 09, 2012, 05:26:08 AM »
Reply with quote
bahut achhee prastutee ushaa ji badhaai ho aur nayaa saal mubaarak ho aapkee kamee khaltee rahee
Logged
mkv
Guest
«Reply #2 on: January 09, 2012, 08:14:36 AM »
Reply with quote
VaaH Usha ji
Aate hi ye dard se bhari najm...Bahut khoob.
Bahut umda..
Behatrin..
Jordaar...
usi purane andaaj ke saath..
 Applause Applause Applause Applause Applause
Logged
khujli
Guest
«Reply #3 on: January 09, 2012, 08:21:13 AM »
Reply with quote

हर शै जो सलीब पे लटके थी
हम उसको मसीहा समझे थे
वो तो पुराना कातिल था
हम जिसको दीवाना समझे थे 

रोज जो सजदे करता था
दैर में उसको जाते देखे
दिल को सजा कर हथेली पे
एक बुत के आगे झुकते देखे
वो तो नया इक काफ़िर था
हम जिसको मुसलमाँ समझे थे

हर शै जो सलीब पे लटके थी
हम उसको मसीहा समझे थे
वो तो पुराना कातिल था
हम जिसको दीवाना समझे थे 

वो इक लौ थी नन्ही सी
जो महफ़िल में सजा के रक्खे थे
वो गुलिस्ताँ जला के खाक किया
जो मुश्किल से बचा के रक्खे थे
वो तो शरार का टुकड़ा था
हम जिसको चरागाँ समझे थे

हर शै जो सलीब पे लटके थी
हम उसको मसीहा समझे थे
वो तो पुराना कातिल था
हम जिसको दीवाना समझे थे 

नमक सब उन पर छिड़का किये
दुनियाँ ने जो ज़ख्म दिए
खुशिया बाँटी औ जख्म बटोरे
हम, यूँ जिंदगानी बसर किये
वो भी हम पर हँसते रहे
हम जिनको मेहरबौं समझे थे

हर शै जो सलीब पे लटके थी
हम उसको मसीहा समझे थे
वो तो पुराना कातिल था
हम जिसको दीवाना समझे थे 

हर गाम पे यूँ ही धोखा खाया
हर गाम पे यूँ ही ज़ख्म सहे
गुल को तोडा गुलचीं ने ही
राह में काँटे बखेर दिए
न जाने ज़ालिम कौन थे वो
हम जिनको इन्सौं समझे थे

हर शै जो सलीब पे लटके थी
हम उसको मसीहा समझे थे
वो तो पुराना कातिल था
हम जिसको दीवाना समझे थे 

जो पहले न मिले थे हमसे कभी
वो, प्यार से हमारा साथ दिए
अश्कों से पहले चोट को धोया
फिर ज़ख्मों की दवा किए
वो तो अज़ल से अपने थे
हम जिनको बेगाना समझे थे

हर शै जो सलीब पे लटके थी
हम उसको मसीहा समझे थे
वो तो पुराना कातिल था
हम जिसको दीवाना समझे थे 
 
                       -------------उषा राजेश



 Thumbs UP Thumbs UP Thumbs UP Thumbs UP Thumbs UP Thumbs UP Thumbs UP Thumbs UP Thumbs UP Thumbs UP Thumbs UP Thumbs UP Thumbs UP Thumbs UP icon_flower icon_flower icon_flower icon_flower icon_flower icon_flower icon_flower icon_flower icon_flower icon_flower
Logged
usha rajesh
Guest
«Reply #4 on: January 10, 2012, 03:48:15 AM »
Reply with quote
bahut achhee prastutee ushaa ji badhaai ho aur nayaa saal mubaarak ho aapkee kamee khaltee rahee

Bahut bahut shukriya Saini ji.
Logged
usha rajesh
Guest
«Reply #5 on: January 10, 2012, 03:49:44 AM »
Reply with quote
VaaH Usha ji
Aate hi ye dard se bhari najm...Bahut khoob.
Bahut umda..
Behatrin..
Jordaar...
usi purane andaaj ke saath..
 Applause Applause Applause Applause Applause
mkv ji, thanx so much.
Logged
usha rajesh
Guest
«Reply #6 on: January 10, 2012, 03:51:30 AM »
Reply with quote

 Thumbs UP Thumbs UP Thumbs UP Thumbs UP Thumbs UP Thumbs UP Thumbs UP Thumbs UP Thumbs UP Thumbs UP Thumbs UP Thumbs UP Thumbs UP Thumbs UP icon_flower icon_flower icon_flower icon_flower icon_flower icon_flower icon_flower icon_flower icon_flower icon_flower

Qalb saheb, Hosla afjai ka bahut bahut shukriya.
Logged
khamosh_aawaaz
Guest
«Reply #7 on: February 22, 2012, 11:45:41 AM »
Reply with quote

हर शै जो सलीब पे लटके थी
हम उसको मसीहा समझे थे
वो तो पुराना कातिल था
हम जिसको दीवाना समझे थे 

रोज जो सजदे करता था
दैर में उसको जाते देखे
दिल को सजा कर हथेली पे
एक बुत के आगे झुकते देखे
वो तो नया इक काफ़िर था
हम जिसको मुसलमाँ समझे थे

हर शै जो सलीब पे लटके थी
हम उसको मसीहा समझे थे
वो तो पुराना कातिल था
हम जिसको दीवाना समझे थे 

वो इक लौ थी नन्ही सी
जो महफ़िल में सजा के रक्खे थे
वो गुलिस्ताँ जला के खाक किया
जो मुश्किल से बचा के रक्खे थे
वो तो शरार का टुकड़ा था
हम जिसको चरागाँ समझे थे

हर शै जो सलीब पे लटके थी
हम उसको मसीहा समझे थे
वो तो पुराना कातिल था
हम जिसको दीवाना समझे थे 

नमक सब उन पर छिड़का किये
दुनियाँ ने जो ज़ख्म दिए
खुशिया बाँटी औ जख्म बटोरे
हम, यूँ जिंदगानी बसर किये
वो भी हम पर हँसते रहे
हम जिनको मेहरबौं समझे थे

हर शै जो सलीब पे लटके थी
हम उसको मसीहा समझे थे
वो तो पुराना कातिल था
हम जिसको दीवाना समझे थे 

हर गाम पे यूँ ही धोखा खाया
हर गाम पे यूँ ही ज़ख्म सहे
गुल को तोडा गुलचीं ने ही
राह में काँटे बखेर दिए
न जाने ज़ालिम कौन थे वो
हम जिनको इन्सौं समझे थे

हर शै जो सलीब पे लटके थी
हम उसको मसीहा समझे थे
वो तो पुराना कातिल था
हम जिसको दीवाना समझे थे 

जो पहले न मिले थे हमसे कभी
वो, प्यार से हमारा साथ दिए
अश्कों से पहले चोट को धोया
फिर ज़ख्मों की दवा किए
वो तो अज़ल से अपने थे
हम जिनको बेगाना समझे थे

हर शै जो सलीब पे लटके थी
हम उसको मसीहा समझे थे
वो तो पुराना कातिल था
हम जिसको दीवाना समझे थे 
 
                       -------------उषा राजेश


bahut khoob U.R

 Applause Applause Applause Applause Applause Applause
Logged
Satish Shukla
Khususi Shayar
*****

Rau: 51
Offline Offline

Gender: Male
Waqt Bitaya:
25 days, 6 hours and 16 minutes.

Posts: 1862
Member Since: Apr 2011


View Profile
«Reply #8 on: February 22, 2012, 12:23:51 PM »
Reply with quote

usha rajesh ji,

Taakheer ke liye maazrat
chaahoonga.

Achchhee peshkash.

Dili mubaarakbaad.

Satish Shukla 'Raqeeb'
Logged
sbechain
Guest
«Reply #9 on: February 22, 2012, 12:34:03 PM »
Reply with quote

हर शै जो सलीब पे लटके थी
हम उसको मसीहा समझे थे
वो तो पुराना कातिल था
हम जिसको दीवाना समझे थे  

रोज जो सजदे करता था
दैर में उसको जाते देखे
दिल को सजा कर हथेली पे
एक बुत के आगे झुकते देखे
वो तो नया इक काफ़िर था
हम जिसको मुसलमाँ समझे थे

हर शै जो सलीब पे लटके थी
हम उसको मसीहा समझे थे
वो तो पुराना कातिल था
हम जिसको दीवाना समझे थे  

वो इक लौ थी नन्ही सी
जो महफ़िल में सजा के रक्खे थे
वो गुलिस्ताँ जला के खाक किया
जो मुश्किल से बचा के रक्खे थे
वो तो शरार का टुकड़ा था
हम जिसको चरागाँ समझे थे

हर शै जो सलीब पे लटके थी
हम उसको मसीहा समझे थे
वो तो पुराना कातिल था
हम जिसको दीवाना समझे थे  

नमक सब उन पर छिड़का किये
दुनियाँ ने जो ज़ख्म दिए
खुशिया बाँटी औ जख्म बटोरे
हम, यूँ जिंदगानी बसर किये
वो भी हम पर हँसते रहे
हम जिनको मेहरबौं समझे थे

हर शै जो सलीब पे लटके थी
हम उसको मसीहा समझे थे
वो तो पुराना कातिल था
हम जिसको दीवाना समझे थे  

हर गाम पे यूँ ही धोखा खाया
हर गाम पे यूँ ही ज़ख्म सहे
गुल को तोडा गुलचीं ने ही
राह में काँटे बखेर दिए
न जाने ज़ालिम कौन थे वो
हम जिनको इन्सौं समझे थे

हर शै जो सलीब पे लटके थी
हम उसको मसीहा समझे थे
वो तो पुराना कातिल था
हम जिसको दीवाना समझे थे  

जो पहले न मिले थे हमसे कभी
वो, प्यार से हमारा साथ दिए
अश्कों से पहले चोट को धोया
फिर ज़ख्मों की दवा किए
वो तो अज़ल से अपने थे
हम जिनको बेगाना समझे थे

हर शै जो सलीब पे लटके थी
हम उसको मसीहा समझे थे
वो तो पुराना कातिल था
हम जिसको दीवाना समझे थे  
 
                       -------------उषा राजेश


khoobsurat kalaam ushaji...............!
Logged
Pages: [1]
ReplyPrint
Jump to:  

+ Quick Reply
With a Quick-Reply you can use bulletin board code and smileys as you would in a normal post, but much more conveniently.


Get Yoindia Updates in Email.

Enter your email address:

Ask any question to expert on eTI community..
Welcome, Guest. Please login or register.
Did you miss your activation email?
December 25, 2024, 07:20:31 AM

Login with username, password and session length
Recent Replies
by mkv
[December 22, 2024, 05:36:15 PM]

[December 19, 2024, 08:27:42 AM]

[December 17, 2024, 08:39:55 AM]

[December 15, 2024, 06:04:49 AM]

[December 13, 2024, 06:54:09 AM]

[December 10, 2024, 08:23:12 AM]

[December 10, 2024, 08:22:15 AM]

by Arif Uddin
[December 03, 2024, 07:06:48 PM]

[November 26, 2024, 08:47:05 AM]

[November 21, 2024, 09:01:29 AM]
Yoindia Shayariadab Copyright © MGCyber Group All Rights Reserved
Terms of Use| Privacy Policy Powered by PHP MySQL SMF© Simple Machines LLC
Page created in 0.15 seconds with 24 queries.
[x] Join now community of 8509 Real Poets and poetry admirer