"दारुशाला"

by RAJ SOLANKI on November 26, 2013, 11:59:36 PM
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RAJ SOLANKI
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"दारुशाला"
पुजारी भूल ज्या मंदिर जाना, भगत भूल ज्या धुप जलाना
मस्जिद में भी किसे कारण नमाज़ पढ़ी जा धिंगताना
पर कदे शराबी ठेके की सैर करना ना भूले
बेशक उसके घर न कोए,.उस दिन फांसी पे झूले
पैग त पैग भिड़ते टेम एक मीठी सी आवाज़ लिकड़े
नया नया पीवन आल्या उस आवाज़ के साथ बिगड़े
फेर अनपढ़ भी ज्ञान की खूब बात करण लागे
दारू पीवन बाद मानस संसारिक नींद त जागे.
थम मेरी चिता प दारू खिंडाइओ घी ना कति बर्बाद करियो
मन्ने सिर्फ पियक्कड़ कंधा देवे, मेरे बाद यो वचन याद करियो
घर वाले गर श्राद करे, तो सब श्राद मेरा न्यू करियो
गाम के सारे पीवनिया क घर न बोतल जा धरियो
आधी पीज्या हवा दारू, आधी मेरे थ्यावे स
सोचो एक पव्वे में आखिर कितनी आवे स
गरीब आदमी का पीना भी, के पीना स भाईओ
दो चार बोतल देके मैंने थोडा पुन्य कमाइओ
के के इलाज करे स, मत पूछो दारू मैया
बीच भवंर में जो स उनकी पार करे नैया
एक पैग में दिल की आग बर्फ सी ठंडी हो जावे
अर ठंडा जिसका खून होरया दारू उसमे गर्मी दोडावे
दारू- दारू- दारू- दारू- स मन्त्र बड़ा कल्याणकारी
हर युग में जाप इसका, करते आये स नर नारी
होंठ नहीं शरीर जले स बेशक पीवन आले का
पर सत प्रतिशत ठीक रहवे स दिमाग उस मतवाले का
पहले पैग में भर आंगली, छींटे क्यू मारो सो थम
दस ब छींटे मार दिए तो सोचो होगी कितनी कम
फेर दारू की तंगी में बेकार परेशान होवोगे
खाली अध्धे पव्वे में एक पैग न टोहोगे
होठा पे आ री हो पापड़ी अर रूह तेरी तरसती हो
बस एक पीवन के खातिर आँख तेरी बरसती हो
उस पल ने याद कर जद पेटी की पेटी थी तेरे पे
इतने ठेका आ जावेगा फेर नाचिये बोतल धर सिर पे
कांपते हाथा त जिसने कदे भी बोतल ली नही
होठा प क जीभ फेर के जिसने दारू पी नहीं
हाथ जोडके साकी आगे जो बेवकूफ खड्या होगा
कदे नहीं उसके जीवन में झोका मस्ती का बड्या होगा
मेहँदी लगे हाथा त दुल्हनगर पैग बनावे
फेरअपनेहोठा त छुके वा दारू दुल्हे न प्यावे
मस्ती बिखरे जीवन में आत्मा तक नशीली होज्या
न्यू रोज़ बोतल खोलन त जिंदगानी रंगीली होज्या
गीता अर रामायण जो बचपन त पढ़ते आ रे स
मंदिर- मस्जिद- गुरूद्वारे की सीढ़ी चढ़ते जा रे स
स्यांने-सप्टे मोड्या की जिन न सेवा खूब करी
उन लोग के कष्ट काटन दारू की बोतल धरी
घी की ताकत छह मिह्न्या में, दारू की ताकत हाथों- हाथ
बस याहे सोच के दे री स, नई पीढ़ी बोतल का साथ
नौजवानों में मस्ती का गर दोस्तों संचार रहवेगा
सही कहू सु, देश वो तरक्की की और बहेगा
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SURESH SANGWAN
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«Reply #1 on: November 27, 2013, 06:15:41 PM »
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wah waaah solanki ji
bahut khoob icon_flower
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