नादान -------सृष्टिराज चिंतक

by srishti raj chintak on October 14, 2013, 08:46:27 PM
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srishti raj chintak
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अगर छोड़ कर जाना था
तो मुझे दुनिया में ना लाना था
मुझे क्या पता था
मेरा-आपका साथ
एक दिन छूट जायेगा
आपने क्यों मुझे
दुनिया दिखाई
नाते-रिश्तों की
पहचान कराईं
अब देखो तो
कभी कोई, कभी कोई
धीरे-धीरे सब
छूटते जां रहे हैं
सोचता हूँ जब सब
सब कुछ छूटना ही था
तो मैं इनसे बंधा ही क्यों
ऐसा सोच कर अकसर
मैं दुखी हो जाता हूँ
तब लोग हँसते हैं
कहते हैं मैं बड़ा नादान हूँ
क्योंकि मैं अपना
बचपन-जवानी
नाते-रिश्ते
स्कूल-कालेज
गली-मौहल्ला
खेत-खलिहान
बाग-बगीचे
फूल-पौधे-पत्ते
यार-दोस्त,दुकान
सुबह-दोपहर-शाम
अन्धेरी-चांदनी रातें
अपना कुछ भी
छूट जाने पर
विचलित हो जाता हूँ
तब क्या होगा
जब ये दुनिया ही
मुझ से छूट जायेगी
सदा के लिए
हमेशा-हमेशा को
सच में माँ-पिताजी
ऐसे में मुझे
आपकी बहुत याद आती है
और ये बात मुझे
बार-बार सताती है
कि अगर आपको
मुझे छोड़ कर जाना था
तो मुझे दुनिया में
ना लाना था
और अगर जाना ही था तो
मुझ नादान को भी
अपने साथ ले जाना था





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aqsh
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«Reply #1 on: October 14, 2013, 11:08:58 PM »
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Bahut khoooooooob...
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sksaini4
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«Reply #2 on: October 15, 2013, 12:17:09 AM »
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waah so nice
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sbechain
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«Reply #3 on: October 15, 2013, 03:07:47 AM »
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अगर छोड़ कर जाना था
तो मुझे दुनिया में ना लाना था
मुझे क्या पता था
मेरा-आपका साथ
एक दिन छूट जायेगा
आपने क्यों मुझे
दुनिया दिखाई
नाते-रिश्तों की
पहचान कराईं
अब देखो तो
कभी कोई, कभी कोई
धीरे-धीरे सब
छूटते जां रहे हैं
सोचता हूँ जब सब
सब कुछ छूटना ही था
तो मैं इनसे बंधा ही क्यों
ऐसा सोच कर अकसर
मैं दुखी हो जाता हूँ
तब लोग हँसते हैं
कहते हैं मैं बड़ा नादान हूँ
क्योंकि मैं अपना
बचपन-जवानी
नाते-रिश्ते
स्कूल-कालेज
गली-मौहल्ला
खेत-खलिहान
बाग-बगीचे
फूल-पौधे-पत्ते
यार-दोस्त,दुकान
सुबह-दोपहर-शाम
अन्धेरी-चांदनी रातें
अपना कुछ भी
छूट जाने पर
विचलित हो जाता हूँ
तब क्या होगा
जब ये दुनिया ही
मुझ से छूट जायेगी
सदा के लिए
हमेशा-हमेशा को
सच में माँ-पिताजी
ऐसे में मुझे
आपकी बहुत याद आती है
और ये बात मुझे
बार-बार सताती है
कि अगर आपको
मुझे छोड़ कर जाना था
तो मुझे दुनिया में
ना लाना था
और अगर जाना ही था तो
मुझ नादान को भी
अपने साथ ले जाना था







mere huzoor english ke font mein bhi likh diya karo meharbaani hogi icon_flower icon_flower icon_flower icon_flower!
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RAJAN KONDAL
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«Reply #4 on: October 15, 2013, 11:21:46 AM »
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अगर छोड़ कर जाना था
तो मुझे दुनिया में ना लाना था
मुझे क्या पता था
मेरा-आपका साथ
एक दिन छूट जायेगा
आपने क्यों मुझे
दुनिया दिखाई
नाते-रिश्तों की
पहचान कराईं
अब देखो तो
कभी कोई, कभी कोई
धीरे-धीरे सब
छूटते जां रहे हैं
सोचता हूँ जब सब
सब कुछ छूटना ही था
तो मैं इनसे बंधा ही क्यों
ऐसा सोच कर अकसर
मैं दुखी हो जाता हूँ
तब लोग हँसते हैं
कहते हैं मैं बड़ा नादान हूँ
क्योंकि मैं अपना
बचपन-जवानी
नाते-रिश्ते
स्कूल-कालेज
गली-मौहल्ला
खेत-खलिहान
बाग-बगीचे
फूल-पौधे-पत्ते
यार-दोस्त,दुकान
सुबह-दोपहर-शाम
अन्धेरी-चांदनी रातें
अपना कुछ भी
छूट जाने पर
विचलित हो जाता हूँ
तब क्या होगा
जब ये दुनिया ही
मुझ से छूट जायेगी
सदा के लिए
हमेशा-हमेशा को
सच में माँ-पिताजी
ऐसे में मुझे
आपकी बहुत याद आती है
और ये बात मुझे
बार-बार सताती है
कि अगर आपको
मुझे छोड़ कर जाना था
तो मुझे दुनिया में
ना लाना था
और अगर जाना ही था तो
मुझ नादान को भी
अपने साथ ले जाना था






Applause :clap Applause :clap Applause :clap Applause :clap Applause :clap bhut khub...
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kittoo
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«Reply #5 on: October 15, 2013, 02:14:27 PM »
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Lovely, bahut khubsoorat
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nandbahu
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«Reply #6 on: October 15, 2013, 09:54:15 PM »
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bahut khoob
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Advo.RavinderaRavi
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«Reply #7 on: October 16, 2013, 02:40:24 PM »
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वाह वाह क्या बात है,
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parinde
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«Reply #8 on: October 17, 2013, 05:47:36 PM »
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srishti raj chintak
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«Reply #9 on: October 18, 2013, 06:30:54 PM »
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Thanks a lot to all.
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With a Quick-Reply you can use bulletin board code and smileys as you would in a normal post, but much more conveniently.


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