यूँ तो रोते है हम

by anil kumar aksh on August 24, 2011, 04:49:00 PM
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anil kumar aksh
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यूँ तो रोते है हम शामों सहर लेकिन ।
हम अश्क सरे आम बहाया नहीं करते ॥

ये उनकी खूं है देकर जख्म हम पे मुस्कुराते है ।
जख्मों पे हम भी मरहम लगाया नहीं करते ॥

निगाहें परवरिश के वास्ते बैठे तो कब तलक ।
पत्थर दिल तब्बसुम पे आया नहीं करते ॥

फितरतों में उनकी शामिल है क़त्ल करना ।
हम खूने जिगर अपना दिखाया नहीं करते ॥

उनकी तो ये आदत है मिल करके भूल जाना ।
हम लव से लेके नाम भुलाया नहीं करते ॥

हम दिल में बसाते है अपने यार की सूरत ।
तस्वीर आइनों में सजाया नहीं करते ॥

वो घर उजाड़ सबकी पिलाते शराब है ।
हम पीने कभी मैकदे जाया नहीं करते ॥

दुनिया से जी है भर गया अब जी के क्या करे ।
हम लाशों का मुज्जसम बनाया नहीं करते ॥

ये जिंदगी ही बोझ मेरे दोस्तों सुनो ।
हम कांधों पे अपने बोझ उठाया नहीं करते ॥
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sbechain
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«Reply #1 on: August 24, 2011, 07:50:11 PM »
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यूँ तो रोते है हम शामों सहर लेकिन ।
हम अश्क सरे आम बहाया नहीं करते ॥

ये उनकी खूं है देकर जख्म हम पे मुस्कुराते है ।
जख्मों पे हम भी मरहम लगाया नहीं करते ॥

निगाहें परवरिश के वास्ते बैठे तो कब तलक ।
पत्थर दिल तब्बसुम पे आया नहीं करते ॥

फितरतों में उनकी शामिल है क़त्ल करना ।
हम खूने जिगर अपना दिखाया नहीं करते ॥

उनकी तो ये आदत है मिल करके भूल जाना ।
हम लव से लेके नाम भुलाया नहीं करते ॥

हम दिल में बसाते है अपने यार की सूरत ।
तस्वीर आइनों में सजाया नहीं करते ॥

वो घर उजाड़ सबकी पिलाते शराब है ।
हम पीने कभी मैकदे जाया नहीं करते ॥

दुनिया से जी है भर गया अब जी के क्या करे ।
हम लाशों का मुज्जसम बनाया नहीं करते ॥

ये जिंदगी ही बोझ मेरे दोस्तों सुनो ।
हम कांधों पे अपने बोझ उठाया नहीं करते ॥


bahut khoob


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MANOJ6568
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«Reply #2 on: August 25, 2011, 04:45:16 AM »
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khub
unse jyada hum unki shayari per hai marte
saaare aam ye baat kahne se hum nahi darte
यूँ तो रोते है हम शामों सहर लेकिन ।
हम अश्क सरे आम बहाया नहीं करते ॥

ये उनकी खूं है देकर जख्म हम पे मुस्कुराते है ।
जख्मों पे हम भी मरहम लगाया नहीं करते ॥

निगाहें परवरिश के वास्ते बैठे तो कब तलक ।
पत्थर दिल तब्बसुम पे आया नहीं करते ॥

फितरतों में उनकी शामिल है क़त्ल करना ।
हम खूने जिगर अपना दिखाया नहीं करते ॥

उनकी तो ये आदत है मिल करके भूल जाना ।
हम लव से लेके नाम भुलाया नहीं करते ॥

हम दिल में बसाते है अपने यार की सूरत ।
तस्वीर आइनों में सजाया नहीं करते ॥

वो घर उजाड़ सबकी पिलाते शराब है ।
हम पीने कभी मैकदे जाया नहीं करते ॥

दुनिया से जी है भर गया अब जी के क्या करे ।
हम लाशों का मुज्जसम बनाया नहीं करते ॥

ये जिंदगी ही बोझ मेरे दोस्तों सुनो ।
हम कांधों पे अपने बोझ उठाया नहीं करते ॥

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Satish Shukla
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«Reply #3 on: August 25, 2011, 02:28:23 PM »
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Anil Ji,

Yeh bhi achchhee ghazal hai
daad qubool farmaayen..

Ek request hai likhne ka saath
kabhi kabhi kuchh Hindi/Urdu poets
ko padhte bhi rahen.

Satish Shukla 'Raqeeb'
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unisony
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«Reply #4 on: August 25, 2011, 03:27:34 PM »
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nice one...
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With a Quick-Reply you can use bulletin board code and smileys as you would in a normal post, but much more conveniently.


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