सच्चाई के आईने

by ERpankaj on July 17, 2013, 02:37:52 AM
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ERpankaj
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सच्चाई के आईने, काले हो गए,
बुझदिलो के घर में, उजाले हो गए,
झूठ बाज़ार में, बेख़ौफ़ बिकता रहा,
मैंने सच कहा तो, जान के लाले हो गए.....
लहू बेच बेच कर, जिसने, औलादे पाली,
भूखा सो गया, जब बच्चे कमाने वाले हो गए.....
लहजा मीठा, मिजाज़ नरम, आँखों में शरम,
सब बदल गया, जब वो शहर वाले हो गए.....
अपनी कमाई से, एक झोपड़ी ना बना सके,
वो सियासत में आये, तो महल वाले हो गए.....
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RohanSingh
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«Reply #1 on: July 17, 2013, 02:40:13 AM »
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सच्चाई के आईने, काले हो गए,
बुझदिलो के घर में, उजाले हो गए,
झूठ बाज़ार में, बेख़ौफ़ बिकता रहा,
मैंने सच कहा तो, जान के लाले हो गए.....
लहू बेच बेच कर, जिसने, औलादे पाली,
भूखा सो गया, जब बच्चे कमाने वाले हो गए.....
लहजा मीठा, मिजाज़ नरम, आँखों में शरम,
सब बदल गया, जब वो शहर वाले हो गए.....
अपनी कमाई से, एक झोपड़ी ना बना सके,
वो सियासत में आये, तो महल वाले हो गए.....
excellent
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Advo.RavinderaRavi
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«Reply #2 on: July 17, 2013, 03:06:45 AM »
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सच्चाई के आईने, काले हो गए,
बुझदिलो के घर में, उजाले हो गए,
झूठ बाज़ार में, बेख़ौफ़ बिकता रहा,
मैंने सच कहा तो, जान के लाले हो गए.....
लहू बेच बेच कर, जिसने, औलादे पाली,
भूखा सो गया, जब बच्चे कमाने वाले हो गए.....
लहजा मीठा, मिजाज़ नरम, आँखों में शरम,
सब बदल गया, जब वो शहर वाले हो गए.....
अपनी कमाई से, एक झोपड़ी ना बना सके,
वो सियासत में आये, तो महल वाले हो गए.....
बहुत खूब सूरत पेशकश है
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sbechain
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«Reply #3 on: July 17, 2013, 03:29:02 AM »
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सच्चाई के आईने, काले हो गए,
बुझदिलो के घर में, उजाले हो गए,
झूठ बाज़ार में, बेख़ौफ़ बिकता रहा,
मैंने सच कहा तो, जान के लाले हो गए.....
लहू बेच बेच कर, जिसने, औलादे पाली,
भूखा सो गया, जब बच्चे कमाने वाले हो गए.....
लहजा मीठा, मिजाज़ नरम, आँखों में शरम,
सब बदल गया, जब वो शहर वाले हो गए.....
अपनी कमाई से, एक झोपड़ी ना बना सके,
वो सियासत में आये, तो महल वाले हो गए.....

kya khoob kaha hai wah wah....!
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MANOJ6568
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«Reply #4 on: July 17, 2013, 03:38:12 AM »
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सच्चाई के आईने, काले हो गए,
बुझदिलो के घर में, उजाले हो गए,
झूठ बाज़ार में, बेख़ौफ़ बिकता रहा,
मैंने सच कहा तो, जान के लाले हो गए.....
लहू बेच बेच कर, जिसने, औलादे पाली,
भूखा सो गया, जब बच्चे कमाने वाले हो गए.....
लहजा मीठा, मिजाज़ नरम, आँखों में शरम,
सब बदल गया, जब वो शहर वाले हो गए.....
अपनी कमाई से, एक झोपड़ी ना बना सके,
वो सियासत में आये, तो महल वाले हो गए.....
bahut hi umda  sach
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sksaini4
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«Reply #5 on: July 17, 2013, 11:01:58 AM »
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bahut khoobsoorat
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~Hriday~
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kalam k chalne ko zamaana paagalpan samajhta hai.

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«Reply #6 on: July 17, 2013, 11:38:14 AM »
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beautiful...!!!
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nandbahu
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«Reply #7 on: July 17, 2013, 12:20:50 PM »
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bahut khoob
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aqsh
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«Reply #8 on: July 17, 2013, 03:33:02 PM »
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bahut khoob...
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Iftakhar Ahmad
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«Reply #9 on: July 18, 2013, 12:57:37 AM »
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Bahuuuuuuuut hi khooooooooob, excellent Pankaj jee, bahut achha likha hai, yuN hi likhte rahiye.
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