सफर

by nishabd on August 13, 2012, 10:47:18 AM
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nishabd
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•   आज एक बार फिर सफर कर रहा हूं
      चल पड़ा हूं फिर से एक बार, हाथ में लिए हैं काम हजार
       मन उधेड़्बुन में है, ध्यान पायलों की रुनझुन में है
       देखता हूं तो दोनों ओर भागते हुए पेड़ दिखाई देते हैं
       कहीं पे सड़क पर लगी हुई है गाड़ियों की कतार
       कहीं पे कोई बच्चा घर की छत से हाथ हिला रहा है
       कहीं पे कोई लोटा उठा के चला आ रहा है
       एक बार फिर उन पुरानी बातों को बसर कर रहा हूं
       आज एक बार फिर सफर कर रहा हूं

गाड़ी में बार-२ चाय बेचने वाले आते हैं
सोते हुओं को जगाकर चले जाते हैं
भीड़ देखकर लगता है आज सबको सफर करना है
फिर सोचता हूं इसमें कितने किसी काम से जा रहे होंगे
और कितने छुट्टी मनाने जा रहे होंगे
इस रेले का महसूस असर कर रहा हूं
आज एक बार फिर सफर कर रहा हूं
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sksaini4
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«Reply #1 on: August 13, 2012, 11:05:41 AM »
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bahut bahut sunder
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soudagar
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«Reply #2 on: August 14, 2012, 02:02:45 AM »
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bahut khub bahut hi lajawab

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MANOJ6568
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«Reply #3 on: August 14, 2012, 04:41:41 AM »
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real ahsaas
•   आज एक बार फिर सफर कर रहा हूं
      चल पड़ा हूं फिर से एक बार, हाथ में लिए हैं काम हजार
       मन उधेड़्बुन में है, ध्यान पायलों की रुनझुन में है
       देखता हूं तो दोनों ओर भागते हुए पेड़ दिखाई देते हैं
       कहीं पे सड़क पर लगी हुई है गाड़ियों की कतार
       कहीं पे कोई बच्चा घर की छत से हाथ हिला रहा है
       कहीं पे कोई लोटा उठा के चला आ रहा है
       एक बार फिर उन पुरानी बातों को बसर कर रहा हूं
       आज एक बार फिर सफर कर रहा हूं

गाड़ी में बार-२ चाय बेचने वाले आते हैं
सोते हुओं को जगाकर चले जाते हैं
भीड़ देखकर लगता है आज सबको सफर करना है
फिर सोचता हूं इसमें कितने किसी काम से जा रहे होंगे
और कितने छुट्टी मनाने जा रहे होंगे
इस रेले का महसूस असर कर रहा हूं
आज एक बार फिर सफर कर रहा हूं

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