हमने थी कसम खायी

by anil kumar aksh on August 23, 2011, 04:35:15 PM
Pages: [1]
ReplyPrint
Author  (Read 791 times)
anil kumar aksh
Guest
Reply with quote
हमने थी कसम खायी, तुमसे न मिलेगे ।
गर ख्वाब में मिल जाएँ, तो कोई क्या करे ॥
पीने कि है पाबन्दी, हरगिज न पियेंगे ।
जब खुद ही जाम छलके, तो कोई क्या करे ॥

उनकी ये आरज़ू थी, हम घर न रहेगे ।
जब दिल ही आशियाँ हो, तो कोई क्या करे ॥
अपनी ये तमन्ना थी, कुछ गुफ्तगू करेगे।
चिलमन न उठा शब् भर, तो कोई क्या करे ॥

सोचा था हम न रुसवां, दिलदार को क़रेगे ।
परवान मोहब्बत चढ़ी, तो कोई क्या करे ॥
मालिक मेरे ये कैसी, उलझन में फंस गया ।
उलझन उलझती जाये, तो कोई क्या करे ॥

शिकवा करेगें किस से, ए मेरे हमनशीं ।
जब जिंदगी हो कातिल, तो कोई क्या करे ॥
हमने किया है वादा, उनसे इंतज़ार का ।
गर वो ही रूठ जाये, तो कोई क्या करे ॥

हम दास्ताँ सुनाये जाकर, किसे 'अनिल' ।
जब हम ही दास्ताँ है, तो कोई क्या करे ॥
हमने थी कसम खायी, कि हम कुछ न कहगे ।
आहिस्ता खुल गए लव, तो कोई क्या करे ॥
Logged
ParwaaZ
Guest
«Reply #1 on: August 23, 2011, 05:33:39 PM »
Reply with quote
bahut khoob Aksh Jee ...

Kia khoob khayaal kahe hai aapne waah daad Usual Smile
Bahut achchi kalaam kahi hai janab daad daad Usual Smile

Likhate rahiye... Aate rahiye.. Usual Smile
Khush O aabaad rahiye.. Usual Smile
Khuda Hafez Usual Smile         

Logged
MANOJ6568
Khaas Shayar
**

Rau: 31
Offline Offline

Gender: Male
Waqt Bitaya:
42 days, 19 hours and 59 minutes.

Astrologer & Shayer

Posts: 12017
Member Since: Feb 2010


View Profile
«Reply #2 on: August 23, 2011, 06:49:12 PM »
Reply with quote
khub
हमने थी कसम खायी, तुमसे न मिलेगे ।
गर ख्वाब में मिल जाएँ, तो कोई क्या करे ॥
पीने कि है पाबन्दी, हरगिज न पियेंगे ।
जब खुद ही जाम छलके, तो कोई क्या करे ॥

उनकी ये आरज़ू थी, हम घर न रहेगे ।
जब दिल ही आशियाँ हो, तो कोई क्या करे ॥
अपनी ये तमन्ना थी, कुछ गुफ्तगू करेगे।
चिलमन न उठा शब् भर, तो कोई क्या करे ॥

सोचा था हम न रुसवां, दिलदार को क़रेगे ।
परवान मोहब्बत चढ़ी, तो कोई क्या करे ॥
मालिक मेरे ये कैसी, उलझन में फंस गया ।
उलझन उलझती जाये, तो कोई क्या करे ॥

शिकवा करेगें किस से, ए मेरे हमनशीं ।
जब जिंदगी हो कातिल, तो कोई क्या करे ॥
हमने किया है वादा, उनसे इंतज़ार का ।
गर वो ही रूठ जाये, तो कोई क्या करे ॥

हम दास्ताँ सुनाये जाकर, किसे 'अनिल' ।
जब हम ही दास्ताँ है, तो कोई क्या करे ॥
हमने थी कसम खायी, कि हम कुछ न कहगे ।
आहिस्ता खुल गए लव, तो कोई क्या करे ॥
Logged
Pages: [1]
ReplyPrint
Jump to:  

+ Quick Reply
With a Quick-Reply you can use bulletin board code and smileys as you would in a normal post, but much more conveniently.


Get Yoindia Updates in Email.

Enter your email address:

Ask any question to expert on eTI community..
Welcome, Guest. Please login or register.
Did you miss your activation email?
November 24, 2024, 04:13:31 AM

Login with username, password and session length
Recent Replies
[November 21, 2024, 09:01:29 AM]

[November 16, 2024, 11:44:41 AM]

by Michaelraw
[November 13, 2024, 12:59:11 PM]

[November 08, 2024, 09:59:54 AM]

[November 07, 2024, 01:56:50 PM]

[November 07, 2024, 01:55:03 PM]

[November 07, 2024, 01:52:40 PM]

[November 07, 2024, 01:51:59 PM]

[October 30, 2024, 05:13:27 AM]

by ASIF
[October 29, 2024, 07:57:46 AM]
Yoindia Shayariadab Copyright © MGCyber Group All Rights Reserved
Terms of Use| Privacy Policy Powered by PHP MySQL SMF© Simple Machines LLC
Page created in 0.116 seconds with 23 queries.
[x] Join now community of 8506 Real Poets and poetry admirer