Holi (Adab)

by drpandey on March 16, 2014, 06:25:37 PM
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drpandey
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!!!...होली...!!!
~~~~~~~~~~~~~~~
थाल सजाकर चाँद जो निकले,
चले पुरवइया हौले-हौले,
शाम सजाये रोज रंगोली,
तब समझो की आ गई होली।

जब यौवन खुलकर लहराये,
विरही को इक अगन सताए,
लाज शरम की उठ जाये डोली,
तब समझो की आ गई होली।
    
मदमाती बसंत की कलियाँ,
जब महकाएँ गाँव की गलियाँ,
आम के पेड़ पे कोयल बोली,
तब समझो की आ गई होली।  

जब शुषमा निरुपम बलखाये,
रूप,रंग, रस, गंध सजाये,
सुन पपिहा की पिव-पिव बोली,
तब समझो की आ गई होली।  

डा० एच० पी० पाण्डेय 'अदब'    
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khujli
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«Reply #1 on: March 16, 2014, 07:28:36 PM »
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!!!...होली...!!!
~~~~~~~~~~~~~~~
थाल सजाकर चाँद जो निकले,
चले पुरवइया हौले-हौले,
शाम सजाये रोज रंगोली,
तब समझो की आ गई होली।

जब यौवन खुलकर लहराये,
विरही को इक अगन सताए,
लाज शरम की उठ जाये डोली,
तब समझो की आ गई होली।
     
मदमाती बसंत की कलियाँ,
जब महकाएँ गाँव की गलियाँ,
आम के पेड़ पे कोयल बोली,
तब समझो की आ गई होली।   

जब शुषमा निरुपम बलखाये,
रूप,रंग, रस, गंध सजाये,
सुन पपिहा की पिव-पिव बोली,
तब समझो की आ गई होली। 

डा० एच० पी० पाण्डेय 'अदब'     

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sksaini4
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«Reply #2 on: March 16, 2014, 07:40:32 PM »
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bahut sunder anoothee aur anoopam rachnaa
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RAJAN KONDAL
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«Reply #3 on: March 16, 2014, 07:41:20 PM »
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bahot khub happy holi
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jeet jainam
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«Reply #4 on: March 16, 2014, 09:32:43 PM »
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थाल सजाकर चाँद जो निकले,
चले पुरवइया हौले-हौले,
शाम सजाये रोज रंगोली,
तब समझो की आ गई होली।

जब यौवन खुलकर लहराये,
विरही को इक अगन सताए,
लाज शरम की उठ जाये डोली,
तब समझो की आ गई होली।
     
मदमाती बसंत की कलियाँ,
जब महकाएँ गाँव की गलियाँ,
आम के पेड़ पे कोयल बोली,
तब समझो की आ गई होली।   

जब शुषमा निरुपम बलखाये,
रूप,रंग, रस, गंध सजाये,
सुन पपिहा की पिव-पिव बोली,
तब समझो की आ गई होली। 

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bohut khub 

happy holi


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sarfira
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«Reply #5 on: March 16, 2014, 10:10:07 PM »
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hats off Sirji
kya kehne

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Advo.RavinderaRavi
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«Reply #6 on: March 16, 2014, 11:58:37 PM »
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वाह क्या बात है,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,बहुत उम्दा.!!
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adil bechain
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«Reply #7 on: March 17, 2014, 12:52:52 AM »
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!!!...होली...!!!
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थाल सजाकर चाँद जो निकले,
चले पुरवइया हौले-हौले,
शाम सजाये रोज रंगोली,
तब समझो की आ गई होली।

जब यौवन खुलकर लहराये,
विरही को इक अगन सताए,
लाज शरम की उठ जाये डोली,
तब समझो की आ गई होली।
     
मदमाती बसंत की कलियाँ,
जब महकाएँ गाँव की गलियाँ,
आम के पेड़ पे कोयल बोली,
तब समझो की आ गई होली।   

जब शुषमा निरुपम बलखाये,
रूप,रंग, रस, गंध सजाये,
सुन पपिहा की पिव-पिव बोली,
तब समझो की आ गई होली। 

डा० एच० पी० पाण्डेय 'अदब'     

bahot khoob janab holi ki badhai Applause Applause Applause Applause Applause
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drpandey
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«Reply #8 on: March 18, 2014, 03:23:50 AM »
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bahut sunder anoothee aur anoopam rachnaa
Dhanyvaad Dr.Saini Sahab...!!
Holi ki subhkaamnayen...!!
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drpandey
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«Reply #9 on: March 18, 2014, 03:25:20 AM »
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वाह क्या बात है,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,बहुत उम्दा.!!

Dhanyvaad Adv. Ravi Sahab...!!

Holi ki Subhkaamnayen....!!

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drpandey
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«Reply #10 on: March 18, 2014, 03:26:50 AM »
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hats off Sirji
kya kehne


Bahot bahot dhanyvaad Sarfira Ji...!!

Happy Holi........!!

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drpandey
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«Reply #11 on: March 18, 2014, 03:29:08 AM »
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थाल सजाकर चाँद जो निकले,
चले पुरवइया हौले-हौले,
शाम सजाये रोज रंगोली,
तब समझो की आ गई होली।

जब यौवन खुलकर लहराये,
विरही को इक अगन सताए,
लाज शरम की उठ जाये डोली,
तब समझो की आ गई होली।
     
मदमाती बसंत की कलियाँ,
जब महकाएँ गाँव की गलियाँ,
आम के पेड़ पे कोयल बोली,
तब समझो की आ गई होली।   

जब शुषमा निरुपम बलखाये,
रूप,रंग, रस, गंध सजाये,
सुन पपिहा की पिव-पिव बोली,
तब समझो की आ गई होली। 

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bohut khub 

happy holi



Dhanyvaad Jeet Jainam Ji...!!

Holi ki Subhkaamnayen....!!

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