SURESH SANGWAN
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खिजाओं में भी जो फूल खिला देती है मायूसियों में उम्मीद जगा देती है
आधी -अधूरी सी दुनियाँ को मेरी माँ अपने प्यार से मुकम्मल बना देती है
बिन माँ के बच्चों से पूछो माँ की क़ीमत ये दुनियाँ उनका क्या हाल बना देती है
हर-सू नज़र आता है मुझे नूर खुदा का मेरे दर्द पे जब माँ अश्क़ बहा देती है
ख़ौफ़-ओ-परेशानी में भी माँ की छाया अब भी चैन की नींद सुला देती है
अजब शख्सियत आता की है माँ को रबने जख़्म दे औलाद तो भी दुआ देती है
कमियों को 'सरु' हमेशा भुला देती है इधर देखा मुझे उधर वो मुस्कुरा देती है
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adil bechain
Umda Shayar
Rau: 161
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Waqt Bitaya:31 days, 18 hours and 24 minutes.
Posts: 6552 Member Since: Mar 2009
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«Reply #1 on: May 13, 2015, 07:00:04 PM » |
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SURESH SANGWAN
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«Reply #2 on: May 13, 2015, 07:01:41 PM » |
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RAJAN KONDAL
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«Reply #3 on: May 13, 2015, 07:25:05 PM » |
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खिजाओं में भी जो फूल खिला देती है मायूसियों में उम्मीद जगा देती है
आधी -अधूरी सी दुनियाँ को मेरी माँ अपने प्यार से मुकम्मल बना देती है
बिन माँ के बच्चों से पूछो मान की क़ीमत ये दुनियाँ उनका क्या हाल बना देती है
हर-सू नज़र आता है मुझे नूर खुदा का मेरे दर्द पे जब माँ अश्क़ बहा देती है
ख़ौफ़-ओ-परेशानी में भी माँ की छाया अब भी चैन की नींद सुला देती है
अजब शख्सियत आता की है माँ को रबने जख़्म दे औलाद तो भी दुआ देती है
कमियों को 'सरु' हमेशा भुला देती है इधर देखा मुझे उधर वो मुस्कुरा देती है
waaaaaaaaaaaaaaAaaaaaaaaaaaaah waaaaaaAaAaaaaaaah bahoooooot sundar sach likh diya hai ap ne apne alfajo mein ek rau toh banta ha ma'am qbul kariye dili daaad
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Advo.RavinderaRavi
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«Reply #4 on: May 13, 2015, 08:11:49 PM » |
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Bahut khoob.
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SURESH SANGWAN
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«Reply #6 on: May 14, 2015, 07:13:06 AM » |
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SURESH SANGWAN
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«Reply #7 on: May 14, 2015, 07:13:39 AM » |
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SURESH SANGWAN
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«Reply #8 on: May 14, 2015, 07:20:35 AM » |
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हौसला अफज़ाही के लिये तहे दिल से बहुत 2 शुक्रिया ...........Ravi ji Bahut khoob.
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khujli
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«Reply #9 on: May 14, 2015, 08:58:02 AM » |
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marhoom bahayaat
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«Reply #11 on: May 14, 2015, 02:48:36 PM » |
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खिजाओं में भी जो फूल खिला देती है मायूसियों में उम्मीद जगा देती है
आधी -अधूरी सी दुनियाँ को मेरी माँ अपने प्यार से मुकम्मल बना देती है
बिन माँ के बच्चों से पूछो माँ की क़ीमत ये दुनियाँ उनका क्या हाल बना देती है
हर-सू नज़र आता है मुझे नूर खुदा का मेरे दर्द पे जब माँ अश्क़ बहा देती है
ख़ौफ़-ओ-परेशानी में भी माँ की छाया अब भी चैन की नींद सुला देती है
अजब शख्सियत आता की है माँ को रबने जख़्म दे औलाद तो भी दुआ देती है
कमियों को 'सरु' हमेशा भुला देती है इधर देखा मुझे उधर वो मुस्कुरा देती है
wonderful,with rau ,ma'am
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sbechain
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«Reply #12 on: May 15, 2015, 01:51:56 AM » |
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