अब दिवाली के पुराने दिन याद आते है --आर के रस्तोगी

by Ram Krishan Rastogi on October 29, 2018, 07:05:36 AM
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अब दिवाली के पुराने दिन याद आते है
जब दीवारों को चूने से पुतवाते थे
चूने को बड़े ड्रमों में घुलवाते थे
उसमे थोडा सा नील डलवाते थे
सीडी पड़ोसी से मांग कर लाते थे
अगर पुताई वाला नहीं आता तो
खुद ही सीडी पर चढ़ जाते थे
अब दिवाली के पुराने दिन याद आते है

पहले मकान कच्चे होते थे
पर दीवारे पक्की होती थी
अब मकान पक्के होते है
पर दिवारे कच्ची होती है
पहले रिश्ते पक्के होते थे
अब रिश्ते जल्दी ढह जाते है
दिवाली के पुराने दिन याद आते है

पहले मकान हर साल पुतवाते थे
महीनो साफ सफाई में लग जाते थे
अब मकान को पेंटर से पेंट कराते है
वह भी पांच-छ:साल में कराते है
अब पेंट में जितने  खर्च आते है
उतने में पहले मकान बन जाते थे
अब दिवाली के पुराने दिन याद आते है

पहले छतो पर झालर लटकाते थे
रंग-बिरंगे छोटे बल्ब लगाते थे
अब चाइना मेड झालर लगाते है
वो जल्दी ही फूस हो जाते है
पहले बाजार से कंडील लाते थे
उसको मुख्य दरवाजे पर लगाते थे
अब ये कंडील कम मिल पाते है
अब दिवाली के पुराने दिन याद आते है

पहले पटाखे खूब छुडाते थे
फुलझड़ियाँ भी खूब लाते थे
दूर थोक की दूकान पर जाते थे
मुर्गा ब्रांड पटाखे खूब लाते थे
अब तो चाइना मेड पटाखे आते है
वो हमारे व्यापर में आग लगाते है
अब दिवाली के पुराने दिन याद आते हे  

पहले धनतेरस को बाज़ार जाते थे
कटोरदान या बर्तन खरीद लाते थे
पहले मिट्टी के लक्ष्मी गणेश लाते थे
वही दिवाली के दिन पूजे जाते थे
अब मेटल के लक्ष्मी गणेश लाते है
अब दिवाली के पुराने दिन याद आते है

पहले छोटी बड़ी दिवाली मनाते थे
खुशियों के मिट्टी के दीये जलाते थे
उनको मुडेरो पर जाकर सजाते थे
चार पांच दिन के बाद उठकर लाते थे
अब तो केवल खाना पूर्ति कर पाते है
अब दिवाली के पुराने दिन याद आते है

आरे के रस्तोगी  
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«Reply #1 on: October 29, 2018, 03:41:49 PM »
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waah waah khub likha hai aapne, ateet to hmesha yaad aata hai, purane din purani diwali,
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Ram Krishan Rastogi
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«Reply #2 on: October 29, 2018, 03:58:44 PM »
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अब दिवाली के पुराने दिन याद आते है
जब दीवारों को चूने से पुतवाते थे
चूने को बड़े ड्रमों में घुलवाते थे
उसमे थोडा सा नील डलवाते थे
सीडी पड़ोसी से मांग कर लाते थे
अगर पुताई वाला नहीं आता तो
खुद ही सीडी पर चढ़ जाते थे
अब दिवाली के पुराने दिन याद आते है

पहले मकान कच्चे होते थे
पर दीवारे पक्की होती थी
अब मकान पक्के होते है
पर दिवारे कच्ची होती है
पहले रिश्ते पक्के होते थे
अब रिश्ते जल्दी ढह जाते है
दिवाली के पुराने दिन याद आते है

पहले मकान हर साल पुतवाते थे
महीनो साफ सफाई में लग जाते थे
अब मकान को पेंटर से पेंट कराते है
वह भी पांच-छ:साल में कराते है
अब पेंट में जितने  खर्च आते है
उतने में पहले मकान बन जाते थे
अब दिवाली के पुराने दिन याद आते है

पहले छतो पर झालर लटकाते थे
रंग-बिरंगे छोटे बल्ब लगाते थे
अब चाइना मेड झालर लगाते है
वो जल्दी ही फूस हो जाते है
पहले बाजार से कंडील लाते थे
उसको मुख्य दरवाजे पर लगाते थे
अब ये कंडील कम मिल पाते है
अब दिवाली के पुराने दिन याद आते है

पहले पटाखे खूब छुडाते थे
फुलझड़ियाँ भी खूब लाते थे
दूर थोक की दूकान पर जाते थे
मुर्गा ब्रांड पटाखे खूब लाते थे
अब तो चाइना मेड पटाखे आते है
वो हमारे व्यापर में आग लगाते है
अब दिवाली के पुराने दिन याद आते हे 

पहले धनतेरस को बाज़ार जाते थे
कटोरदान या बर्तन खरीद लाते थे
पहले मिट्टी के लक्ष्मी गणेश लाते थे
वही दिवाली के दिन पूजे जाते थे
अब मेटल के लक्ष्मी गणेश लाते है
अब दिवाली के पुराने दिन याद आते है

पहले छोटी बड़ी दिवाली मनाते थे
खुशियों के मिट्टी के दीये जलाते थे
उनको मुडेरो पर जाकर सजाते थे
चार पांच दिन के बाद उठकर लाते थे
अब तो केवल खाना पूर्ति कर पाते है
अब दिवाली के पुराने दिन याद आते है

आरे के रस्तोगी 

श्री बेकरार जी बहुत बहुत शुक्रिया
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«Reply #3 on: October 29, 2018, 09:32:16 PM »
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waah waah dheron daad. Applause Applause Applause Applause Applause Applause Applause
Haa Haa, abb to waise hee ek doosre ko choonaa lagaaye jaatye hain. Laughing hard Laughing hard Laughing hard Laughing hard

Pichli yaadon ke sahaare sab jeeye jaatye hain
Aaj ke din kisey bhaatye hain
Aane waale dinon ke baare...
Sochh kar hee marye jaatye hain

What a way to live?  BangHead BangHead BangHead BangHead
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Ram Krishan Rastogi
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«Reply #4 on: October 30, 2018, 08:03:59 AM »
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श्री सुरिन्द्रण जी शुक्रिया,आपने भी बिल्कुल सही फरमाया |आज तो सभी दीवारों को चूना पोतने के जगह चूना लगाने को तैयार रहते है | जब कभी मेरी कविता अच्छी लगे तो एक राऊ देने की भी कृपा करे इससे मेरा लिखने का हौशला बढ़ जाता है |   
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