अब दिवाली के पुराने दिन याद आते है --आर के रस्तोगी

by Ram Krishan Rastogi on October 29, 2018, 07:05:36 AM
Pages: [1]
ReplyPrint
Author  (Read 975 times)
Ram Krishan Rastogi
Umda Shayar
*

Rau: 69
Offline Offline

Gender: Male
Waqt Bitaya:
30 days, 21 hours and 9 minutes.

Posts: 4988
Member Since: Oct 2010


View Profile
Reply with quote
अब दिवाली के पुराने दिन याद आते है
जब दीवारों को चूने से पुतवाते थे
चूने को बड़े ड्रमों में घुलवाते थे
उसमे थोडा सा नील डलवाते थे
सीडी पड़ोसी से मांग कर लाते थे
अगर पुताई वाला नहीं आता तो
खुद ही सीडी पर चढ़ जाते थे
अब दिवाली के पुराने दिन याद आते है

पहले मकान कच्चे होते थे
पर दीवारे पक्की होती थी
अब मकान पक्के होते है
पर दिवारे कच्ची होती है
पहले रिश्ते पक्के होते थे
अब रिश्ते जल्दी ढह जाते है
दिवाली के पुराने दिन याद आते है

पहले मकान हर साल पुतवाते थे
महीनो साफ सफाई में लग जाते थे
अब मकान को पेंटर से पेंट कराते है
वह भी पांच-छ:साल में कराते है
अब पेंट में जितने  खर्च आते है
उतने में पहले मकान बन जाते थे
अब दिवाली के पुराने दिन याद आते है

पहले छतो पर झालर लटकाते थे
रंग-बिरंगे छोटे बल्ब लगाते थे
अब चाइना मेड झालर लगाते है
वो जल्दी ही फूस हो जाते है
पहले बाजार से कंडील लाते थे
उसको मुख्य दरवाजे पर लगाते थे
अब ये कंडील कम मिल पाते है
अब दिवाली के पुराने दिन याद आते है

पहले पटाखे खूब छुडाते थे
फुलझड़ियाँ भी खूब लाते थे
दूर थोक की दूकान पर जाते थे
मुर्गा ब्रांड पटाखे खूब लाते थे
अब तो चाइना मेड पटाखे आते है
वो हमारे व्यापर में आग लगाते है
अब दिवाली के पुराने दिन याद आते हे  

पहले धनतेरस को बाज़ार जाते थे
कटोरदान या बर्तन खरीद लाते थे
पहले मिट्टी के लक्ष्मी गणेश लाते थे
वही दिवाली के दिन पूजे जाते थे
अब मेटल के लक्ष्मी गणेश लाते है
अब दिवाली के पुराने दिन याद आते है

पहले छोटी बड़ी दिवाली मनाते थे
खुशियों के मिट्टी के दीये जलाते थे
उनको मुडेरो पर जाकर सजाते थे
चार पांच दिन के बाद उठकर लाते थे
अब तो केवल खाना पूर्ति कर पाते है
अब दिवाली के पुराने दिन याद आते है

आरे के रस्तोगी  
Logged
bekarar
Poetic Patrol
Yoindian Shayar
******

Rau: 4
Offline Offline

Gender: Male
Waqt Bitaya:
53 days, 9 hours and 51 minutes.

Posts: 3738
Member Since: Oct 2005


View Profile
«Reply #1 on: October 29, 2018, 03:41:49 PM »
Reply with quote
waah waah khub likha hai aapne, ateet to hmesha yaad aata hai, purane din purani diwali,
Logged
Ram Krishan Rastogi
Umda Shayar
*

Rau: 69
Offline Offline

Gender: Male
Waqt Bitaya:
30 days, 21 hours and 9 minutes.

Posts: 4988
Member Since: Oct 2010


View Profile
«Reply #2 on: October 29, 2018, 03:58:44 PM »
Reply with quote
अब दिवाली के पुराने दिन याद आते है
जब दीवारों को चूने से पुतवाते थे
चूने को बड़े ड्रमों में घुलवाते थे
उसमे थोडा सा नील डलवाते थे
सीडी पड़ोसी से मांग कर लाते थे
अगर पुताई वाला नहीं आता तो
खुद ही सीडी पर चढ़ जाते थे
अब दिवाली के पुराने दिन याद आते है

पहले मकान कच्चे होते थे
पर दीवारे पक्की होती थी
अब मकान पक्के होते है
पर दिवारे कच्ची होती है
पहले रिश्ते पक्के होते थे
अब रिश्ते जल्दी ढह जाते है
दिवाली के पुराने दिन याद आते है

पहले मकान हर साल पुतवाते थे
महीनो साफ सफाई में लग जाते थे
अब मकान को पेंटर से पेंट कराते है
वह भी पांच-छ:साल में कराते है
अब पेंट में जितने  खर्च आते है
उतने में पहले मकान बन जाते थे
अब दिवाली के पुराने दिन याद आते है

पहले छतो पर झालर लटकाते थे
रंग-बिरंगे छोटे बल्ब लगाते थे
अब चाइना मेड झालर लगाते है
वो जल्दी ही फूस हो जाते है
पहले बाजार से कंडील लाते थे
उसको मुख्य दरवाजे पर लगाते थे
अब ये कंडील कम मिल पाते है
अब दिवाली के पुराने दिन याद आते है

पहले पटाखे खूब छुडाते थे
फुलझड़ियाँ भी खूब लाते थे
दूर थोक की दूकान पर जाते थे
मुर्गा ब्रांड पटाखे खूब लाते थे
अब तो चाइना मेड पटाखे आते है
वो हमारे व्यापर में आग लगाते है
अब दिवाली के पुराने दिन याद आते हे 

पहले धनतेरस को बाज़ार जाते थे
कटोरदान या बर्तन खरीद लाते थे
पहले मिट्टी के लक्ष्मी गणेश लाते थे
वही दिवाली के दिन पूजे जाते थे
अब मेटल के लक्ष्मी गणेश लाते है
अब दिवाली के पुराने दिन याद आते है

पहले छोटी बड़ी दिवाली मनाते थे
खुशियों के मिट्टी के दीये जलाते थे
उनको मुडेरो पर जाकर सजाते थे
चार पांच दिन के बाद उठकर लाते थे
अब तो केवल खाना पूर्ति कर पाते है
अब दिवाली के पुराने दिन याद आते है

आरे के रस्तोगी 

श्री बेकरार जी बहुत बहुत शुक्रिया
Logged
surindarn
Ustaad ae Shayari
*****

Rau: 273
Offline Offline

Waqt Bitaya:
134 days, 2 hours and 27 minutes.
Posts: 31520
Member Since: Mar 2012


View Profile
«Reply #3 on: October 29, 2018, 09:32:16 PM »
Reply with quote
waah waah dheron daad. Applause Applause Applause Applause Applause Applause Applause
Haa Haa, abb to waise hee ek doosre ko choonaa lagaaye jaatye hain. Laughing hard Laughing hard Laughing hard Laughing hard

Pichli yaadon ke sahaare sab jeeye jaatye hain
Aaj ke din kisey bhaatye hain
Aane waale dinon ke baare...
Sochh kar hee marye jaatye hain

What a way to live?  BangHead BangHead BangHead BangHead
Logged
Ram Krishan Rastogi
Umda Shayar
*

Rau: 69
Offline Offline

Gender: Male
Waqt Bitaya:
30 days, 21 hours and 9 minutes.

Posts: 4988
Member Since: Oct 2010


View Profile
«Reply #4 on: October 30, 2018, 08:03:59 AM »
Reply with quote
श्री सुरिन्द्रण जी शुक्रिया,आपने भी बिल्कुल सही फरमाया |आज तो सभी दीवारों को चूना पोतने के जगह चूना लगाने को तैयार रहते है | जब कभी मेरी कविता अच्छी लगे तो एक राऊ देने की भी कृपा करे इससे मेरा लिखने का हौशला बढ़ जाता है |   
Logged
Pages: [1]
ReplyPrint
Jump to:  

+ Quick Reply
With a Quick-Reply you can use bulletin board code and smileys as you would in a normal post, but much more conveniently.


Get Yoindia Updates in Email.

Enter your email address:

Ask any question to expert on eTI community..
Welcome, Guest. Please login or register.
Did you miss your activation email?
December 25, 2024, 07:37:19 AM

Login with username, password and session length
Recent Replies
by mkv
[December 22, 2024, 05:36:15 PM]

[December 19, 2024, 08:27:42 AM]

[December 17, 2024, 08:39:55 AM]

[December 15, 2024, 06:04:49 AM]

[December 13, 2024, 06:54:09 AM]

[December 10, 2024, 08:23:12 AM]

[December 10, 2024, 08:22:15 AM]

by Arif Uddin
[December 03, 2024, 07:06:48 PM]

[November 26, 2024, 08:47:05 AM]

[November 21, 2024, 09:01:29 AM]
Yoindia Shayariadab Copyright © MGCyber Group All Rights Reserved
Terms of Use| Privacy Policy Powered by PHP MySQL SMF© Simple Machines LLC
Page created in 0.117 seconds with 25 queries.
[x] Join now community of 8509 Real Poets and poetry admirer