आज़ादी के ६४ साल बाद भी..

by usha rajesh on August 15, 2011, 01:53:43 PM
Pages: [1]
ReplyPrint
Author  (Read 1250 times)
usha rajesh
Guest
Reply with quote


     (१)
श्वेताम्बर शोभित मंत्री जी, मंच पर आन बिराजे
छीन माइक कहें दूजे से, जिसका काम उसी को साजे

जिसका काम उसी को साजे, शुरू कर दिया भाषण
मेरी योग्यता देखें, महीने में कर चुका दो सौ उदघाटन  

कर  चुका दो सौ उदघाटन , दस नए बैंकों में खाते खोले
मेरी बात चुपचाप सुने सब, कोई कछू न बोले

कोई कछू न बोले, अपना कष्ट मुझे बताओ
पार्टनर मुझे बनाकर, अपनी ब्लैक मनी बचाओ

ब्लैक मनी बचाओ फिर, नए-नए प्लान बनाएँ
आप अपने ही आदमी ठहरे, अफ़सर क्या कर पायें

अफ़सर क्या कर पायें, चाहे भट्टी शराब की खोलो,
बगल में छुरी रखो पर, मुँह से राम नाम ही बोलो

                          (२)
कदम - कदम पर
टूट - टूट
क़ैद का लम्बा एक सफ़र
तय कर
कोशिश की थी
मैंने
गुलामी की ज़ंजीरों को
तोड़ने की
देखूँगा
अपने स्वतंत्र आकाश में
उगता सूरज
नयी सुबह का
ये उम्मीद
थका - थका सा शरीर
बोझिल साँसें
और
डगमगाते कदम लिए
विश्राम लेने जो सोया क्षण भर
आँख खुली तो देखा
टुकड़ा टुकड़ा बँट चुका था
मगर
कहीं नहीं
कहीं नहीं
कहीं नहीं था
मेरे हिस्सेका आकाश


          (३)
आँखों के सामने
चलचित्र सा गुजरता इतिहास
पत्थर पड़ी बेजान अहिल्या
और एक नाकाम ठोकर
रावण के शिकंजे में जकड़ी
अनगिनत सीताएँ
और जटायु विहीन आकाश
सन्नाटे को चीरता
मासूम, बेबस, ख़ामोशियों का शोर
और दरार की परछाइयों से दूर
धरती का अटूट विस्तार
हनुमान का चीरा हुआ सीना
और भीतर विराजमान
रावण की भयावह तस्वीर
मुझे मजबूर करती है
अक्सर सोचने को
राम की अयोध्या पर अवतरित
ये चेहरे
किस युग के प्रणेता हैं!
             
          --- उषा राजेश शर्मा
Logged
Mohammad Touhid
Umda Shayar
*

Rau: 35
Offline Offline

Gender: Male
Waqt Bitaya:
38 days, 12 hours and 35 minutes.

'I' 'Luv' d Way 'U' 'Forget' Me..!.!

Posts: 7160
Member Since: Aug 2009


View Profile
«Reply #1 on: August 15, 2011, 05:50:09 PM »
Reply with quote
bilkul sahi farmaya Usha ji aapne...

Applause Applause
Logged
ParwaaZ
Guest
«Reply #2 on: August 15, 2011, 07:29:48 PM »
Reply with quote
Usha Rajesh jee Aadaab!

Wel come to YO India Usual Smile
Aapki prastuti dekhkar lagta hai aap yahaaN kafi achcha
samay bitayeNge Usual Smile

Aapke yeH post's bahut khub hai ... Usual Smile
Humari daad kabul kijiye Usual Smile

Aate rahiye..
Likhate rahiye...
Khush O aabaad rahiye..
Khuda Hafez Usual Smile
         





     (१)
श्वेताम्बर शोभित मंत्री जी, मंच पर आन बिराजे
छीन माइक कहें दूजे से, जिसका काम उसी को साजे

जिसका काम उसी को साजे, शुरू कर दिया भाषण
मेरी योग्यता देखें, महीने में कर चुका दो सौ उदघाटन 

कर  चुका दो सौ उदघाटन , दस नए बैंकों में खाते खोले
मेरी बात चुपचाप सुने सब, कोई कछू न बोले

कोई कछू न बोले, अपना कष्ट मुझे बताओ
पार्टनर मुझे बनाकर, अपनी ब्लैक मनी बचाओ

ब्लैक मनी बचाओ फिर, नए-नए प्लान बनाएँ
आप अपने ही आदमी ठहरे, अफ़सर क्या कर पायें

अफ़सर क्या कर पायें, चाहे भट्टी शराब की खोलो,
बगल में छुरी रखो पर, मुँह से राम नाम ही बोलो


Bahut khoob ... behad achche Usual Smile         

                          (२)
कदम - कदम पर
टूट - टूट
क़ैद का लम्बा एक सफ़र
तय कर
कोशिश की थी
मैंने
गुलामी की ज़ंजीरों को
तोड़ने की
देखूँगा
अपने स्वतंत्र आकाश में
उगता सूरज
नयी सुबह का
ये उम्मीद
थका - थका सा शरीर
बोझिल साँसें
और
डगमगाते कदम लिए
विश्राम लेने जो सोया क्षण भर
आँख खुली तो देखा
टुकड़ा टुकड़ा बँट चुका था
मगर
कहीं नहीं
कहीं नहीं
कहीं नहीं था
मेरे हिस्सेका आकाश

 Applause Applause Applause Applause Applause
          (३)
आँखों के सामने
चलचित्र सा गुजरता इतिहास
पत्थर पड़ी बेजान अहिल्या
और एक नाकाम ठोकर
रावण के शिकंजे में जकड़ी
अनगिनत सीताएँ
और जटायु विहीन आकाश
सन्नाटे को चीरता
मासूम, बेबस, ख़ामोशियों का शोर
और दरार की परछाइयों से दूर
धरती का अटूट विस्तार
हनुमान का चीरा हुआ सीना
और भीतर विराजमान
रावण की भयावह तस्वीर
मुझे मजबूर करती है
अक्सर सोचने को
राम की अयोध्या पर अवतरित
ये चेहरे
किस युग के प्रणेता हैं!
             
          --- उषा राजेश शर्मा
 Applause Applause Applause Applause Applause


Logged
usha rajesh
Guest
«Reply #3 on: August 16, 2011, 07:42:17 AM »
Reply with quote
 
 Kadradano ka tahe-dil se shukriya.  icon_salut
Logged
khujli
Guest
«Reply #4 on: August 16, 2011, 07:46:46 AM »
Reply with quote


     (१)
श्वेताम्बर शोभित मंत्री जी, मंच पर आन बिराजे
छीन माइक कहें दूजे से, जिसका काम उसी को साजे

जिसका काम उसी को साजे, शुरू कर दिया भाषण
मेरी योग्यता देखें, महीने में कर चुका दो सौ उदघाटन 

कर  चुका दो सौ उदघाटन , दस नए बैंकों में खाते खोले
मेरी बात चुपचाप सुने सब, कोई कछू न बोले

कोई कछू न बोले, अपना कष्ट मुझे बताओ
पार्टनर मुझे बनाकर, अपनी ब्लैक मनी बचाओ

ब्लैक मनी बचाओ फिर, नए-नए प्लान बनाएँ
आप अपने ही आदमी ठहरे, अफ़सर क्या कर पायें

अफ़सर क्या कर पायें, चाहे भट्टी शराब की खोलो,
बगल में छुरी रखो पर, मुँह से राम नाम ही बोलो

                          (२)
कदम - कदम पर
टूट - टूट
क़ैद का लम्बा एक सफ़र
तय कर
कोशिश की थी
मैंने
गुलामी की ज़ंजीरों को
तोड़ने की
देखूँगा
अपने स्वतंत्र आकाश में
उगता सूरज
नयी सुबह का
ये उम्मीद
थका - थका सा शरीर
बोझिल साँसें
और
डगमगाते कदम लिए
विश्राम लेने जो सोया क्षण भर
आँख खुली तो देखा
टुकड़ा टुकड़ा बँट चुका था
मगर
कहीं नहीं
कहीं नहीं
कहीं नहीं था
मेरे हिस्सेका आकाश


          (३)
आँखों के सामने
चलचित्र सा गुजरता इतिहास
पत्थर पड़ी बेजान अहिल्या
और एक नाकाम ठोकर
रावण के शिकंजे में जकड़ी
अनगिनत सीताएँ
और जटायु विहीन आकाश
सन्नाटे को चीरता
मासूम, बेबस, ख़ामोशियों का शोर
और दरार की परछाइयों से दूर
धरती का अटूट विस्तार
हनुमान का चीरा हुआ सीना
और भीतर विराजमान
रावण की भयावह तस्वीर
मुझे मजबूर करती है
अक्सर सोचने को
राम की अयोध्या पर अवतरित
ये चेहरे
किस युग के प्रणेता हैं!
             
          --- उषा राजेश शर्मा




 Clapping Smiley Clapping Smiley Clapping Smiley Clapping Smiley Clapping Smiley Clapping Smiley Clapping Smiley Clapping Smiley Clapping Smiley Clapping Smiley Clapping Smiley Clapping Smiley Clapping Smiley Clapping Smiley Clapping Smiley Clapping Smiley Clapping Smiley Clapping Smiley Clapping Smiley Clapping Smiley Clapping Smiley Clapping Smiley Clapping Smiley Clapping Smiley Clapping Smiley Clapping Smiley Clapping Smiley Clapping Smiley icon_flower icon_flower icon_flower icon_flower icon_flower icon_flower icon_flower icon_flower icon_flower icon_flower icon_flower icon_flower icon_flower icon_flower icon_flower icon_flower icon_flower Thumbs UP Thumbs UP Thumbs UP Thumbs UP Thumbs UP Thumbs UP Thumbs UP Thumbs UP Thumbs UP Thumbs UP Thumbs UP Thumbs UP
Logged
Satish Shukla
Khususi Shayar
*****

Rau: 51
Offline Offline

Gender: Male
Waqt Bitaya:
25 days, 6 hours and 16 minutes.

Posts: 1862
Member Since: Apr 2011


View Profile
«Reply #5 on: August 16, 2011, 11:17:32 AM »
Reply with quote

usha rajesh Ji,

Waah..waah bahut khoob..

YO par aapka hardik swagat hai, apni
sam saamyik rachnaayen post karne ka
bahut bahutse shukriya bazm ko aage bhi
isee tarah aabad rakhen.

Satish Shukla 'Raqeeb'
Logged
usha rajesh
Guest
«Reply #6 on: August 16, 2011, 03:50:32 PM »
Reply with quote

 Raqeeb Saheb,

  Apki sher-o-shayari ki mein kayal hoon. Apki dheron rachnayen mein padh chuki hoon. Aap jaise shayaron ki hosla afjai aur margdarshan milta rahega to beshak ye koshish barkarar rahegi.

 Abhi 15th August par apki rachna
 "Shaheede vatan ka nahin koi saani" padhi, Lajawab hai  Applause Applause Applause Clapping Smiley Clapping Smiley Clapping Smiley 

 
Logged
usha rajesh
Guest
«Reply #7 on: August 16, 2011, 03:54:52 PM »
Reply with quote

  qalb ji,

  Hosla afjai ka Shukriya.  notworthy  smileinbox happy3
Logged
mkv
Guest
«Reply #8 on: October 22, 2011, 10:42:12 AM »
Reply with quote


     (१)
श्वेताम्बर शोभित मंत्री जी, मंच पर आन बिराजे
छीन माइक कहें दूजे से, जिसका काम उसी को साजे

जिसका काम उसी को साजे, शुरू कर दिया भाषण
मेरी योग्यता देखें, महीने में कर चुका दो सौ उदघाटन  

कर  चुका दो सौ उदघाटन , दस नए बैंकों में खाते खोले
मेरी बात चुपचाप सुने सब, कोई कछू न बोले

कोई कछू न बोले, अपना कष्ट मुझे बताओ
पार्टनर मुझे बनाकर, अपनी ब्लैक मनी बचाओ

ब्लैक मनी बचाओ फिर, नए-नए प्लान बनाएँ
आप अपने ही आदमी ठहरे, अफ़सर क्या कर पायें

अफ़सर क्या कर पायें, चाहे भट्टी शराब की खोलो,
बगल में छुरी रखो पर, मुँह से राम नाम ही बोलो
 Clapping Smiley Clapping Smiley

                          (२)
कदम - कदम पर
टूट - टूट
क़ैद का लम्बा एक सफ़र
तय कर
कोशिश की थी
मैंने
गुलामी की ज़ंजीरों को
तोड़ने की
देखूँगा
अपने स्वतंत्र आकाश में
उगता सूरज
नयी सुबह का
ये उम्मीद
थका - थका सा शरीर
बोझिल साँसें
और
डगमगाते कदम लिए
विश्राम लेने जो सोया क्षण भर
आँख खुली तो देखा
टुकड़ा टुकड़ा बँट चुका था
मगर
कहीं नहीं
कहीं नहीं
कहीं नहीं था
मेरे हिस्सेका आकाश
Quite thoughtful

          (३)
आँखों के सामने
चलचित्र सा गुजरता इतिहास
पत्थर पड़ी बेजान अहिल्या
और एक नाकाम ठोकर
रावण के शिकंजे में जकड़ी
अनगिनत सीताएँ
और जटायु विहीन आकाश
सन्नाटे को चीरता
मासूम, बेबस, ख़ामोशियों का शोर
और दरार की परछाइयों से दूर
धरती का अटूट विस्तार
हनुमान का चीरा हुआ सीना
और भीतर विराजमान
रावण की भयावह तस्वीर
मुझे मजबूर करती है
अक्सर सोचने को
राम की अयोध्या पर अवतरित
ये चेहरे
किस युग के प्रणेता हैं!  icon_salut icon_salut
            
          --- उषा राजेश शर्मा

Usha ji
Extremely good.
Logged
usha rajesh
Guest
«Reply #9 on: October 23, 2011, 07:55:15 AM »
Reply with quote
Usha ji
Extremely good.

mkv ji,Thank you so much.
Logged
khamosh_aawaaz
Guest
«Reply #10 on: August 08, 2012, 10:59:49 AM »
Reply with quote


     (१)
श्वेताम्बर शोभित मंत्री जी, मंच पर आन बिराजे
छीन माइक कहें दूजे से, जिसका काम उसी को साजे

जिसका काम उसी को साजे, शुरू कर दिया भाषण
मेरी योग्यता देखें, महीने में कर चुका दो सौ उदघाटन 

कर  चुका दो सौ उदघाटन , दस नए बैंकों में खाते खोले
मेरी बात चुपचाप सुने सब, कोई कछू न बोले

कोई कछू न बोले, अपना कष्ट मुझे बताओ
पार्टनर मुझे बनाकर, अपनी ब्लैक मनी बचाओ

ब्लैक मनी बचाओ फिर, नए-नए प्लान बनाएँ
आप अपने ही आदमी ठहरे, अफ़सर क्या कर पायें

अफ़सर क्या कर पायें, चाहे भट्टी शराब की खोलो,
बगल में छुरी रखो पर, मुँह से राम नाम ही बोलो

                          (२)
कदम - कदम पर
टूट - टूट
क़ैद का लम्बा एक सफ़र
तय कर
कोशिश की थी
मैंने
गुलामी की ज़ंजीरों को
तोड़ने की
देखूँगा
अपने स्वतंत्र आकाश में
उगता सूरज
नयी सुबह का
ये उम्मीद
थका - थका सा शरीर
बोझिल साँसें
और
डगमगाते कदम लिए
विश्राम लेने जो सोया क्षण भर
आँख खुली तो देखा
टुकड़ा टुकड़ा बँट चुका था
मगर
कहीं नहीं
कहीं नहीं
कहीं नहीं था
मेरे हिस्सेका आकाश


          (३)
आँखों के सामने
चलचित्र सा गुजरता इतिहास
पत्थर पड़ी बेजान अहिल्या
और एक नाकाम ठोकर
रावण के शिकंजे में जकड़ी
अनगिनत सीताएँ
और जटायु विहीन आकाश
सन्नाटे को चीरता
मासूम, बेबस, ख़ामोशियों का शोर
और दरार की परछाइयों से दूर
धरती का अटूट विस्तार
हनुमान का चीरा हुआ सीना
और भीतर विराजमान
रावण की भयावह तस्वीर
मुझे मजबूर करती है
अक्सर सोचने को
राम की अयोध्या पर अवतरित
ये चेहरे
किस युग के प्रणेता हैं!
             
          --- उषा राजेश शर्मा



U.R--------------KYA KATAAKSH HAI--------------MINDBLOWING JI VERIIIIIIIIIIIIIIIIIIIIIIIIIIIIIIIIIII NAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAICE


 Clapping Smiley Clapping Smiley Clapping Smiley Clapping Smiley Clapping Smiley Clapping Smiley
Logged
Pages: [1]
ReplyPrint
Jump to:  

+ Quick Reply
With a Quick-Reply you can use bulletin board code and smileys as you would in a normal post, but much more conveniently.


Get Yoindia Updates in Email.

Enter your email address:

Ask any question to expert on eTI community..
Welcome, Guest. Please login or register.
Did you miss your activation email?
November 21, 2024, 05:49:51 PM

Login with username, password and session length
Recent Replies
[November 21, 2024, 09:01:29 AM]

[November 16, 2024, 11:44:41 AM]

by Michaelraw
[November 13, 2024, 12:59:11 PM]

[November 08, 2024, 09:59:54 AM]

[November 07, 2024, 01:56:50 PM]

[November 07, 2024, 01:55:03 PM]

[November 07, 2024, 01:52:40 PM]

[November 07, 2024, 01:51:59 PM]

[October 30, 2024, 05:13:27 AM]

by ASIF
[October 29, 2024, 07:57:46 AM]
Yoindia Shayariadab Copyright © MGCyber Group All Rights Reserved
Terms of Use| Privacy Policy Powered by PHP MySQL SMF© Simple Machines LLC
Page created in 0.189 seconds with 21 queries.
[x] Join now community of 8506 Real Poets and poetry admirer