कुछ तो हिंदी में बोलिए साहिब

by arunmishra on September 14, 2010, 04:02:56 PM
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arunmishra
Guest
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हिंदी-दिवस पर विशेष...  

-अरुण मिश्र

कुछ तो हिंदी में  बोलिए साहिब।
मन की गांठों को खोलिए साहिब।।

पाँच-तारे से निकल कर तो कभी।
गाँव - गलियों में डोलिए साहिब।।

फ़र्ज़ कुछ  आप का भी बनता है।
अपना दिल तो  टटोलिये साहिब।।

आप ने  है  बहुत  तरक्की की।
आप  गैरों के  हो लिए  साहिब।।

आप ने भी मनाया  हिंदी-दिवस।
सब के संग थोड़ा रो लिए साहिब।।

          ***
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ParwaaZ
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«Reply #1 on: September 14, 2010, 05:43:24 PM »
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Aadaab Janab...... Usual Smile

Behad umdaa kalaam se bazm ko nawaza hai aapne daad... YeH kaawish humari behad pasandida kaawish hai ........ aur aapne behad khoob khayaal kahe hai is kaawish meiN daad...... Usual Smile         



हिंदी-दिवस पर विशेष...  

-अरुण मिश्र

कुछ तो हिंदी में  बोलिए साहिब।
मन की गांठों को खोलिए साहिब।।

Kia baat hai janab bahut khoob daad.....

Hum bhi to Hindi wadi hai saheb
Par apne bhi zubaaN ke aadi hai saheb         



पाँच-तारे से निकल कर तो कभी।
गाँव - गलियों में डोलिए साहिब।।

bahut umdaa vichaar hai daad......

Bahar ke nazareN dekh kar samjhiye
Yeh akhbaar nahi fakhat raddi hai saheb         



फ़र्ज़ कुछ  आप का भी बनता है।
अपना दिल तो  टटोलिये साहिब।।

Behad sahiN farmaya saheb.... daad Usual Smile

Hum apne hi aap meiN achche haiN socheN
KyuN ban jayeN kisi kawaab meiN haddi saheb
         


आप ने  है  बहुत  तरक्की की।
आप  गैरों के  हो लिए  साहिब।।

Waah bahut khoob bahut umdaa janab daad hazaroN daad...

KouN sach kahta hai is duniyaa meiN
Baat har sachchi lagti hai bhaddi saheb:)         



आप ने भी मनाया  हिंदी-दिवस।
सब के संग थोड़ा रो लिए साहिब।।


achcha laga hume yeh bhi sher daad.....

Hum jeete raheN daagh lekar hi apne daman par
Aur daaghdaar nikharti rahi bus khaadi saheb         



          ***


Aik achchi koshish par daad kabool kijiye janab....
Likhate rhaiye.....
Khush rahiye......
Khdua Hafez........ Usual Smile         

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arun mishra
Guest
«Reply #2 on: September 14, 2010, 06:26:53 PM »
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SHUKRIYA, JANAB PARWAAZ SHAHIB.SHUKRIYA. - arun mishra.
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Gargi Mishra
Guest
«Reply #3 on: September 14, 2010, 06:36:05 PM »
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bhut khub likhte hai aap...mujhe bhi apni Matrabhasha mai likhne or bolne mai Garv mahsoos hota hai............ Applause
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Anshumali
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«Reply #4 on: September 14, 2010, 11:19:51 PM »
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हिंदी-दिवस पर विशेष...   

-अरुण मिश्र

कुछ तो हिंदी में  बोलिए साहिब।
मन की गांठों को खोलिए साहिब।।

पाँच-तारे से निकल कर तो कभी।
गाँव - गलियों में डोलिए साहिब।।

फ़र्ज़ कुछ  आप का भी बनता है।
अपना दिल तो  टटोलिये साहिब।।

आप ने  है  बहुत  तरक्की की।
आप  गैरों के  हो लिए  साहिब।।

आप ने भी मनाया  हिंदी-दिवस।
सब के संग थोड़ा रो लिए साहिब।।

          ***


Arun Mishra Ji ..... Hindi Divas par ... bahut khoob rahi aapki yeh rachna ... sabhi ehsaas acche kahe hai aapne ... accha laga padhke... khush rahen....

duaaon ke saath......

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arunmishra
Guest
«Reply #5 on: September 15, 2010, 06:13:08 PM »
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सुश्री गार्गी जी एवं श्रीयुत अंशुमाली जी की टिप्पणियों के लिए हृदय से आभारी हूँ|
-अरुण मिश्र
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adil bechain
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«Reply #6 on: January 01, 2012, 09:58:55 AM »
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हिंदी-दिवस पर विशेष...   

-अरुण मिश्र

कुछ तो हिंदी में  बोलिए साहिब।
मन की गांठों को खोलिए साहिब।।

पाँच-तारे से निकल कर तो कभी।
गाँव - गलियों में डोलिए साहिब।।

फ़र्ज़ कुछ  आप का भी बनता है।
अपना दिल तो  टटोलिये साहिब।।

आप ने  है  बहुत  तरक्की की।
आप  गैरों के  हो लिए  साहिब।।

आप ने भी मनाया  हिंदी-दिवस।
सब के संग थोड़ा रो लिए साहिब।।

          ***


 bahut sahi farmaya arun ji


neta ji hindi diwas pe bhashan de rahe the.....
                 we should speak in hindi and write in hindi too.
Embarrased Embarrased Embarrased Embarrased Embarrased Embarrased Embarrased Embarrased

waqai hamein apni rashtra bhasha ka sammaan karna chahiye
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abdbundeli
Guest
«Reply #7 on: January 01, 2012, 11:55:28 AM »
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हिंदी-दिवस पर विशेष...  

-अरुण मिश्र

कुछ तो हिंदी में  बोलिए साहिब।
मन की गांठों को खोलिए साहिब।।

पाँच-तारे से निकल कर तो कभी।
गाँव - गलियों में डोलिए साहिब।।

फ़र्ज़ कुछ  आप का भी बनता है।
अपना दिल तो  टटोलिये साहिब।।

आप ने  है  बहुत  तरक्की की।
आप  गैरों के  हो लिए  साहिब।।

आप ने भी मनाया  हिंदी-दिवस।
सब के संग थोड़ा रो लिए साहिब।।

          ***


अरुण मिश्र जी, बहुत अच्छे!

हिंदी भाषा है सरल,
बोलचाल की! मित्र!
हर पल बनते हैं जहाँ,
मृदु शब्दों के चित्र!

    - 'रामवतीय'/अबद बुन्देली  
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ANAAM
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«Reply #8 on: January 01, 2012, 12:40:02 PM »
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कोई हार गया कोई जीत गया
ये साल भी आखिर बीत गया
कभी सपने सजाये आँखों मैं
कभी बीत गए पल बातो मैं
कुछ तल्ख़ लम्हे भी थे
कुछ खुश गवार हादसे और चौका देने वाले सदमे भी थे
किसी की बेरुखी से बढ़ी मेरी बैचनी
कुछ मन मैं सिमटी वीरानी
कुछ लम्हों को बर्बाद किया
कुछ लम्हे थे यादगर बहुत
पर अब इस आने वाले नए साल मैं ए दोस्त
मुझे रब से ये दुआ मांगने दो
कोई पल ना उदास हो
चाहू जिसे पास हो
मन फूलो सा खिला रहे
कोई शख्स ऐसा ना हो जिसे मुझसे गिला रहे
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