मुस्कान....*उषा राजेश

by usha rajesh on September 08, 2011, 02:46:00 PM
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usha rajesh
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कल दिल्ली हाई कोर्ट के सामने हुए धमाके में मृत और घायल लोगों के परिवार वालों को समर्पित:

मैं हिंदू, तू मुसलमान, यह सिक्ख है, वह ख्रिस्तान
मैं राजू , तू रहमान, यह बलविंदर, वह है जॉन
फर्क बता क्या मुझमें-तुझमें, इसमें या उसमें
रंग लहू का सबका लाल, जिस्म में सबके नन्हीं जान
मैं भी एक इंसान हूँ प्यारे, तू भी एक इंसान
यह  भी एक इंसान, और है वह भी एक इंसान


क्या हुआ गर; वह कहे प्रेयर, यह टेके मत्था
मैं करूँ पूजा, और तू दे शुबहो – शाम अजान
दीवाली अधूरी अली बिन, राम बिना रमजान
मालिक सबका एक है प्यारे, दे दो चाहे कोई नाम  
वह कहे गॉड, यह वाहेगुरु, मैं राम और तू रहमान
 


मैं भी एक इंसान हूँ प्यारे, तू भी एक इंसान
यह भी एक इंसान, और है वह भी एक इंसान


ए, बी, सी, डी सबने पढ़ लिया बहुत
गर प्रेम का ढाई आखर पढ़ लें अब
समझ जायेंगे शायद हम सब
दिल से मिले दिल - तो बनता है घर, वरना
जहाँ यह रहता वो भी एक मकान
जहाँ रहता वह; वो भी एक मकान
जहाँ तू रहता वो भी एक मकान  
और जहाँ रहता मैं; वो भी एक मकान


मैं भी एक इंसान हूँ प्यारे, तू भी एक इंसान
यह भी एक इंसान, और है वह भी एक इंसान


ये मेरा है वो तेरा है, बेकार का है सब झगडा  
आखिर में दो गज ज़मी चाहिए
मुझको, तुझको, इसको और उसको  
मंजिल मेरी भी कब्रिस्तान
मंजिल तेरी भी कब्रिस्तान
मंजिल इसकी भी कब्रिस्तान
और मंजिल उसकी भी कब्रिस्तान


मैं भी एक इंसान हूँ प्यारे, तू भी एक इंसान
यह भी एक इंसान, और है वह भी एक इंसान


आओ मिटा दें नफरत, बंद करें ये दहशत
नहीं चाहिए तोपें गोले, न असला न बारूद
सारा जहॉ फतह करने को प्यारे, काफी है    
तेरी एक
मुस्कान, मेरी एक मुस्कान
इसकी एक मुस्कान, और उसकी एक मुस्कान

                        
                      ----- उषा राजेश
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«Reply #1 on: September 08, 2011, 06:15:17 PM »
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kab mitega a khuda ye maut ka sila
kab tak kare hum auro se iska gila
barosa karke  sarkaar pe kya hai mila
bhaichare ka phool na ab tak hai khila

bahut khub
Quote from: usha rajesh link=t kare opic=67493.msg1154690#msg1154690 date=1315493160

कल दिल्ली हाई कोर्ट के सामने हुए धमाके में मृत और घायल लोगों के परिवार वालों को समर्पित:

मैं हिंदू, तू मुसलमान, यह सिक्ख है, वह ख्रिस्तान
मैं राजू , तू रहमान, यह बलविंदर, वह है जॉन
फर्क बता क्या मुझमें-तुझमें, इसमें या उसमें
रंग लहू का सबका लाल, जिस्म में सबके नन्हीं जान
मैं भी एक इंसान हूँ प्यारे, तू भी एक इंसान
यह  भी एक इंसान, और है वह भी एक इंसान


क्या हुआ गर; वह कहे प्रेयर, यह टेके मत्था
मैं करूँ पूजा, और तू दे शुबहो – शाम अजान
दीवाली अधूरी अली बिन, राम बिना रमजान
मालिक सबका एक है प्यारे, दे दो चाहे कोई नाम 
वह कहे गॉड, यह वाहेगुरु, मैं राम और तू रहमान
   


मैं भी एक इंसान हूँ प्यारे, तू भी एक इंसान
यह भी एक इंसान, और है वह भी एक इंसान


ए, बी, सी, डी सबने पढ़ लिया बहुत
गर प्रेम का ढाई आखर पढ़ लें अब
समझ जायेंगे शायद हम सब
दिल से मिले दिल - तो बनता है घर, वरना
जहाँ यह रहता वो भी एक मकान
जहाँ रहता वह; वो भी एक मकान
जहाँ तू रहता वो भी एक मकान 
और जहाँ रहता मैं; वो भी एक मकान


मैं भी एक इंसान हूँ प्यारे, तू भी एक इंसान
यह भी एक इंसान, और है वह भी एक इंसान


ये मेरा है वो तेरा है, बेकार का है सब झगडा 
आखिर में दो गज ज़मी चाहिए
मुझको, तुझको, इसको और उसको 
मंजिल मेरी भी कब्रिस्तान
मंजिल तेरी भी कब्रिस्तान
मंजिल इसकी भी कब्रिस्तान
और मंजिल उसकी भी कब्रिस्तान


मैं भी एक इंसान हूँ प्यारे, तू भी एक इंसान
यह भी एक इंसान, और है वह भी एक इंसान


आओ मिटा दें नफरत, बंद करें ये दहशत
नहीं चाहिए तोपें गोले, न असला न बारूद
सारा जहॉ फतह करने को प्यारे, काफी है     
तेरी एक
मुस्कान, मेरी एक मुस्कान
इसकी एक मुस्कान, और उसकी एक मुस्कान

                       
                      ----- उषा राजेश

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usha rajesh
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«Reply #2 on: September 09, 2011, 02:10:37 AM »
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 Manoj ji.

 bahut khubsurat khayalat pesh kiye hain apne in chaar panktiyon mein.

 Tarif ka shukriya.
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«Reply #3 on: September 09, 2011, 02:43:16 AM »
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thanks
Manoj ji.

 bahut khubsurat khayalat pesh kiye hain apne in chaar panktiyon mein.

 Tarif ka shukriya.

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«Reply #4 on: September 09, 2011, 06:52:46 AM »
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कल दिल्ली हाई कोर्ट के सामने हुए धमाके में मृत और घायल लोगों के परिवार वालों को समर्पित:

मैं हिंदू, तू मुसलमान, यह सिक्ख है, वह ख्रिस्तान
मैं राजू , तू रहमान, यह बलविंदर, वह है जॉन
फर्क बता क्या मुझमें-तुझमें, इसमें या उसमें
रंग लहू का सबका लाल, जिस्म में सबके नन्हीं जान
मैं भी एक इंसान हूँ प्यारे, तू भी एक इंसान
यह  भी एक इंसान, और है वह भी एक इंसान


क्या हुआ गर; वह कहे प्रेयर, यह टेके मत्था
मैं करूँ पूजा, और तू दे शुबहो – शाम अजान
दीवाली अधूरी अली बिन, राम बिना रमजान
मालिक सबका एक है प्यारे, दे दो चाहे कोई नाम  
वह कहे गॉड, यह वाहेगुरु, मैं राम और तू रहमान
 


मैं भी एक इंसान हूँ प्यारे, तू भी एक इंसान
यह भी एक इंसान, और है वह भी एक इंसान


ए, बी, सी, डी सबने पढ़ लिया बहुत
गर प्रेम का ढाई आखर पढ़ लें अब
समझ जायेंगे शायद हम सब
दिल से मिले दिल - तो बनता है घर, वरना
जहाँ यह रहता वो भी एक मकान
जहाँ रहता वह; वो भी एक मकान
जहाँ तू रहता वो भी एक मकान  
और जहाँ रहता मैं; वो भी एक मकान


मैं भी एक इंसान हूँ प्यारे, तू भी एक इंसान
यह भी एक इंसान, और है वह भी एक इंसान


ये मेरा है वो तेरा है, बेकार का है सब झगडा  
आखिर में दो गज ज़मी चाहिए
मुझको, तुझको, इसको और उसको  
मंजिल मेरी भी कब्रिस्तान
मंजिल तेरी भी कब्रिस्तान
मंजिल इसकी भी कब्रिस्तान
और मंजिल उसकी भी कब्रिस्तान


मैं भी एक इंसान हूँ प्यारे, तू भी एक इंसान
यह भी एक इंसान, और है वह भी एक इंसान


आओ मिटा दें नफरत, बंद करें ये दहशत
नहीं चाहिए तोपें गोले, न असला न बारूद
सारा जहॉ फतह करने को प्यारे, काफी है    
तेरी एक
मुस्कान, मेरी एक मुस्कान
इसकी एक मुस्कान, और उसकी एक मुस्कान

                        
                      ----- उषा राजेश


Justttt Excellent!!! Poetry At It's Best...

Bahut Bahut Khoooob Usha Ji..Aapne Jitni Achi Tarah iss Kavita Ke zariye Har Ek Ko samjhaya Hai Kaash Hum Sab Inn Baaton Ko Samaj Sake..Aapki Yeh kavita Dil Ko zaroor Chhuti Hai..Dil Se Daad Iss Kavita Par..

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usha rajesh
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«Reply #5 on: September 09, 2011, 07:22:18 AM »
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 Khwaish ji,

 Thank u so much.
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Satish Shukla
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«Reply #6 on: September 09, 2011, 11:54:57 AM »
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usha rajesh ji,

Waah kya haqeeqat bayaani hai
aur woh bhi itni jaldi.

Satish Shukla 'Raqeeb'
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ParwaaZ
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«Reply #7 on: September 09, 2011, 12:08:32 PM »
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Usha Jee Aadaab!

Waah waah waah kia kahne aapke... jawaab nahi aapke is
kalaam ka.. behad umdaa bahut khoob...

Aapne behad achche se bayaaN kiya hai puri kalaam ko just
mindblowing jee... 

 Applause Applause Applause Applause Applause Applause Applause

  Hats off to you!

Likhate rahiye.. Aate rahiye... Khush O aabaad rahiye
Khudaa Hafez        

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usha rajesh
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«Reply #8 on: September 09, 2011, 04:15:31 PM »
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 Manoj ji, Khwaish ji, Raqeeb ji aur Parwaz ji,

     Shabdon mein badi taqat hoti hai. Logon ko shabdo ke madhyam se jodne ki ek 
  koshish  ki hai.

  Agar ek insan bhi achchi tarah in shabdo ki gahrai samajh saka aur apne vicharo 
  ko is disha mein dhaal saka to main samjhoongi ki meri koshish kamyab hui.
 

  Aap logon ne apna keemati samay dekar kavita ko padha aur saraaha iske liye 
  tahedil se bahut bahut shukriya.
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adil bechain
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«Reply #9 on: September 10, 2011, 09:29:53 AM »
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कल दिल्ली हाई कोर्ट के सामने हुए धमाके में मृत और घायल लोगों के परिवार वालों को समर्पित:

मैं हिंदू, तू मुसलमान, यह सिक्ख है, वह ख्रिस्तान
मैं राजू , तू रहमान, यह बलविंदर, वह है जॉन
फर्क बता क्या मुझमें-तुझमें, इसमें या उसमें
रंग लहू का सबका लाल, जिस्म में सबके नन्हीं जान
मैं भी एक इंसान हूँ प्यारे, तू भी एक इंसान
यह  भी एक इंसान, और है वह भी एक इंसान


क्या हुआ गर; वह कहे प्रेयर, यह टेके मत्था
मैं करूँ पूजा, और तू दे शुबहो – शाम अजान
दीवाली अधूरी अली बिन, राम बिना रमजान
मालिक सबका एक है प्यारे, दे दो चाहे कोई नाम 
वह कहे गॉड, यह वाहेगुरु, मैं राम और तू रहमान
   


मैं भी एक इंसान हूँ प्यारे, तू भी एक इंसान
यह भी एक इंसान, और है वह भी एक इंसान


ए, बी, सी, डी सबने पढ़ लिया बहुत
गर प्रेम का ढाई आखर पढ़ लें अब
समझ जायेंगे शायद हम सब
दिल से मिले दिल - तो बनता है घर, वरना
जहाँ यह रहता वो भी एक मकान
जहाँ रहता वह; वो भी एक मकान
जहाँ तू रहता वो भी एक मकान 
और जहाँ रहता मैं; वो भी एक मकान


मैं भी एक इंसान हूँ प्यारे, तू भी एक इंसान
यह भी एक इंसान, और है वह भी एक इंसान


ये मेरा है वो तेरा है, बेकार का है सब झगडा 
आखिर में दो गज ज़मी चाहिए
मुझको, तुझको, इसको और उसको 
मंजिल मेरी भी कब्रिस्तान
मंजिल तेरी भी कब्रिस्तान
मंजिल इसकी भी कब्रिस्तान
और मंजिल उसकी भी कब्रिस्तान


मैं भी एक इंसान हूँ प्यारे, तू भी एक इंसान
यह भी एक इंसान, और है वह भी एक इंसान


आओ मिटा दें नफरत, बंद करें ये दहशत
नहीं चाहिए तोपें गोले, न असला न बारूद
सारा जहॉ फतह करने को प्यारे, काफी है     
तेरी एक
मुस्कान, मेरी एक मुस्कान
इसकी एक मुस्कान, और उसकी एक मुस्कान

                       
                      ----- उषा राजेश


waaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaa aah
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usha rajesh
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«Reply #10 on: September 10, 2011, 04:52:02 PM »
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 Adil ji,

 Apka bahut bahut shukriya
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mkv
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«Reply #11 on: October 13, 2011, 06:44:27 AM »
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Usha ji
mai apke jajbe ko salaam karta hu.
vo insaan hi kya jiske seene par in lamhaat ka asar na ho. aur jab dhadkan ki raftaar badalti hai to udgaar apne aap bahar aate hai.

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usha rajesh
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«Reply #12 on: October 13, 2011, 06:56:55 AM »
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mkv ji,
Thank you so much
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