मैं , मेरा बचपन और मेरी माँ || (^_^) ||

by Manish Kumar Khedawat on June 13, 2011, 09:02:28 PM
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Manish Kumar Khedawat
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ज़ब कभी मैं फुर्सत के पलों में शीशा देखता हूँ |
अपने अक्स में खिलखिलाते एक बच्चे को देखता हूँ ||

एक बच्चा , जिसने बोलना सीखा था प्रथम शब्द " माँ "  angel5
जिस शब्द को समझा पाने का किसी वर्णमाला में न दम हुआ करता था ||

एक बच्चा , जब कोशिश करता क़दम धरने की ज़मीं पे
बार बार गिरते देख जिसकी माँ के दिल में कंपकंपी सा हुआ करता था ||

एक बच्चा , आंखो में काजल और हाथों में जिसे पकड़ाती थी माँ मुरली  icon_king
जिसमें बसते थे प्राण ,माँ के लिए ज़ो "कान्हा" का अक्स हुआ करता था ||

एक बच्चा , क़दम पहला पड़ा था ज़मीं पें ज़ब उसका
माँ की खुशी , जैसे प्यासे को नसीब अमृतपान हुआ करता था ||

एक बच्चा , जिसे यक़ीन था मोहब्बत के अंधी होने का
उसे देखने से पहले भी माँ को उससे प्यार ज़ो हुआ करता था ||

एक बच्चा , जिसका मज़हब था सिर्फ उसकी "माँ "
माँ ही मक्का , माँ मदीना ,माँ चारों धाम हुआ करता था ||

एक बच्चा , ज़ो चूम लेता था माँ के हर कदम को मिट्टी पें
पर मिट्टी खाने की गलतफहमी में , ज़ो डांट का शिकार हुआ करता था ||

एक बच्चा , जिसे शहद और शक्कर कहते "हम हैं सबसे मीठे "
"तब तुमने मेरी माँ को नहीं देखा " ये जिसका जवाब हुआ करता था ||

एक बच्चा ,जिसे अता हैं शोहरत ए जिंदगी उस " माँ " की दुआओं की बदौलत ,
आज़ भी करता हूँ उस विधाता की ज़िंदा प्रतिमूर्ति,परम शक्ति की साधना ज़ो मेरा मेहताब हुआ करता था ||

|| मनसा ||





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Aakash_the sky
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«Reply #1 on: June 13, 2011, 09:30:54 PM »
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bahut khoob manish zi
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Satish Shukla
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«Reply #2 on: June 14, 2011, 04:54:10 AM »
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Waah..Waaj Manoj Ji..Bahut khoob
MaaN aur bachpan yaad aa gaya aapki
rachana padhkar.

Satish Shukla 'Raqeeb'
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«Reply #3 on: June 14, 2011, 07:18:22 AM »
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Bahut Bahut Khoob Manishji..

Dil Ko Choo jaane Wale Jazbaat pesh Kiye Hai Aapne..

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adil bechain
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«Reply #4 on: June 14, 2011, 07:58:16 AM »
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ज़ब कभी मैं फुर्सत के पलों में शीशा देखता हूँ |
अपने अक्स में खिलखिलाते एक बच्चे को देखता हूँ ||

एक बच्चा , जिसने बोलना सीखा था पहले शब्द " माँ "  angel5
जिस शब्द को समझा पाने का किसी वर्णमाला में न दम हुआ करता था ||

एक बच्चा , जब कोशिश करता क़दम धरने की ज़मीं पे
बार बार गिरते देख जिसकी माँ के दिल में कंपकंपी सा हुआ करता था ||

एक बच्चा , आंखो में काजल और हाथों में जिसे पकड़ाती थी माँ मुरली  icon_king
जिसमें बसते थे प्राण ,माँ के लिए ज़ो "कान्हा" का अक्स हुआ करता था ||

एक बच्चा , क़दम पहला पड़ा था ज़मीं पें ज़ब उसका
माँ की खुशी , जैसे प्यासे को नसीब अमृतपान हुआ करता था ||

एक बच्चा , जिसे यक़ीन था मोहब्बत के अंधी होने का
उसे देखने से पहले भी माँ को उससे प्यार ज़ो हुआ करता था ||

एक बच्चा , जिसका मज़हब था सिर्फ उसकी "माँ "
माँ ही मक्का , माँ मदीना ,माँ चारों धाम हुआ करता था ||

एक बच्चा , ज़ो चूम लेता था माँ के हर कदम को मिट्टी पें
पर मिट्टी खाने की गलतफहमी में , जिसपे अत्याचार हुआ करता था ||

एक बच्चा , जिसे शहद और शक्कर कहते "हम हैं सबसे मीठे "
"तब तुमने मेरी माँ को नहीं देखा " ये जिसका जवाब हुआ करता था ||

एक बच्चा ,जिसे अता हैं शोहरत ए जिंदगी उस " माँ " की दुआओं की बदौलत ,
आज़ भी करता हूँ उस विधाता की ज़िंदा प्रतिमूर्ति,परम शक्ति की साधना ज़ो मेरा मेहताब हुआ करता था ||

|| मनसा ||








waah manish bahut khoob. Clapping Smiley Clapping Smiley Clapping Smiley Clapping Smiley Clapping Smiley Clapping Smiley Clapping Smiley Clapping Smiley Clapping Smiley
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Manish Kumar Khedawat
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«Reply #5 on: June 14, 2011, 08:43:49 AM »
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hausla afzai ke liye bahut bahut shukriya aakash zi , satish zi , kwaish zi aur adil zi :D

satish zi it manish not manoj Usual Smile
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arunmishra
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«Reply #6 on: June 14, 2011, 02:35:51 PM »
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सुंदर, भावुकतापूर्ण अभिव्यक्ति| अच्छी रचना| शुभकामनायें|
-अरुण मिश्र.
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Manish Kumar Khedawat
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«Reply #7 on: June 14, 2011, 03:57:46 PM »
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zi bahut bahut shukriya ARUN zi
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bekarar
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«Reply #8 on: June 14, 2011, 04:29:38 PM »
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इस हृदय स्पर्शी रचना के लिए बधाई मनीष जी
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ANAAM
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«Reply #9 on: June 14, 2011, 05:25:42 PM »
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Nice poem Manish....... Applause Applause Applause Applause Applause Applause Applause Applause Applause Applause Applause






ज़ब कभी मैं फुर्सत के पलों में शीशा देखता हूँ |
अपने अक्स में खिलखिलाते एक बच्चे को देखता हूँ ||

एक बच्चा , जिसने बोलना सीखा था पहले शब्द " माँ "  angel5
जिस शब्द को समझा पाने का किसी वर्णमाला में न दम हुआ करता था ||

एक बच्चा , जब कोशिश करता क़दम धरने की ज़मीं पे
बार बार गिरते देख जिसकी माँ के दिल में कंपकंपी सा हुआ करता था ||

एक बच्चा , आंखो में काजल और हाथों में जिसे पकड़ाती थी माँ मुरली  icon_king
जिसमें बसते थे प्राण ,माँ के लिए ज़ो "कान्हा" का अक्स हुआ करता था ||

एक बच्चा , क़दम पहला पड़ा था ज़मीं पें ज़ब उसका
माँ की खुशी , जैसे प्यासे को नसीब अमृतपान हुआ करता था ||

एक बच्चा , जिसे यक़ीन था मोहब्बत के अंधी होने का
उसे देखने से पहले भी माँ को उससे प्यार ज़ो हुआ करता था ||

एक बच्चा , जिसका मज़हब था सिर्फ उसकी "माँ "
माँ ही मक्का , माँ मदीना ,माँ चारों धाम हुआ करता था ||

एक बच्चा , ज़ो चूम लेता था माँ के हर कदम को मिट्टी पें
पर मिट्टी खाने की गलतफहमी में , जिसपे अत्याचार हुआ करता था ||

एक बच्चा , जिसे शहद और शक्कर कहते "हम हैं सबसे मीठे "
"तब तुमने मेरी माँ को नहीं देखा " ये जिसका जवाब हुआ करता था ||

एक बच्चा ,जिसे अता हैं शोहरत ए जिंदगी उस " माँ " की दुआओं की बदौलत ,
आज़ भी करता हूँ उस विधाता की ज़िंदा प्रतिमूर्ति,परम शक्ति की साधना ज़ो मेरा मेहताब हुआ करता था ||

|| मनसा ||





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Manish Kumar Khedawat
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«Reply #10 on: June 14, 2011, 05:28:38 PM »
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 dil se dhanyawad bekarar and anam zi Usual Smile
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m.c.kanakhara.
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«Reply #11 on: June 21, 2011, 03:54:10 AM »
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best,tech to my heart.  icon_flower
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deepika_divya
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«Reply #12 on: June 24, 2011, 05:38:49 PM »
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bahoot bahoot Khoob Manish Ji... Bahoot Hi Khoobsoorti se apne Apne Bachpan aur Apni Maa ke Ehsaaso Ko Inn Kaale Aksaro Mea Piroya hai,,.. Bahoot Khoob !
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bharat singh sisodiya
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«Reply #13 on: June 25, 2011, 04:43:52 AM »
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ma teri muje god mili to jant mil gai hai maa
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