वो स्कूल का गुज़रा ज़माना - "मनसा" ||(^_^)||

by Manish Kumar Khedawat on July 12, 2011, 07:53:56 PM
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Manish Kumar Khedawat
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वो कन्धे पे बस्ता और हाथों में बोतल ले जाना |
मुझे  बहुत याद आता  हैं वो स्कूल का ज़माना ||

वो स्कूल जाने को रिश्वत में पापा से चॉकलेट पाना |
सुबह सुबह स्कूल जाने को मम्मी का मुझे सजाना ||

interval  में  बैठ कर  वो लंच  सबके  साथ  खाना  |
'मेरी मम्मी के पराँठे सबसे अच्छे' सबको बताना ||

कक्षा में मुझे बातें करते देख  मैडम  का  आंखे  तिमतिमाना |
फिर girl -boy- girl sitting  की हसीन पनिसमेंट पाना ||

वो पेनों की  लड़ाई और हाथों  से चिड़िया  उड़ाना |
नोटबुक के पीछे क्रॉस v/s ज़ीरो गेम का पाया जाना ||

वही कहीं मिलती थी साइलेंट  क्लास में बातों  के लिए लिखाई |
दोस्त का लिखा crush का नाम ,फिर उसपे ज़ोरों से पेन घिसाई ||

आगे वाली छोरी की  वो बड़े ज़ोर से चुटिया  घुमाना |
रूठ भी जाए तो प्यारी सी मासूमियत से उसे मनाना ||

एक्जाम में answer same होने पे मास्टर का चिल्लाना |
"गधे सवाल भी तो same था " दिल से आवाज़ आना ||

घंटी की आवाज़ सुनते ही ज़ोर से हल्ला मचाना |
छुट्टी  की घंटी  पे मैडम  से पहले निकल जाना ||

बारिश   के  दिनों में  वो  कश्तियों  की  रेस  लगाना |
पत्थरों को ठोकर मारते , हाथों में हाथ लिए घर जाना ||

कभी रोते तो कभी यूँ ही हँसते मार सह जाना |
कुछ ऐसा ही बिगड़ैल था मेरे स्कूल का ज़माना ||

अब ना मिलती हैं पापा से रिश्वत , न लंच में मम्मी के पराँठे |
ना  नोटबुक के गेम बचे , न पड़ती अब मैडम ज़ी की डांटे ||
पानी  बदल गया बोतल का , crush भी अपना न रहा ,
वक़्त ने अब छीन लिया मुझसे वो खुशियों का खज़ाना ||
सच  में  जब  भी पढ़ता हैं  दिल हमारा  अतीत   पुराना |
आंखो में अश्क ला देता हैं वो स्कूल का गुज़रा ज़माना ||

||   icon_king मनसा icon_king ||


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Sanjeev kash
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«Reply #1 on: July 13, 2011, 04:09:51 AM »
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Wah Manish Ji Bachpan Yaad karva Diya Bhuat Khoob
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F.H.SIDDIQUI
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«Reply #2 on: July 13, 2011, 04:10:40 AM »
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Very good!Waqai school ka zamana yaad aagaya.Congrats.God bless you....Hasan
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Manish Kumar Khedawat
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«Reply #3 on: July 13, 2011, 12:35:48 PM »
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sanjeev zi and siddiqui zi
hausla afzai ke liye dil se aap dono ka shukriya Usual Smile
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GUMboy
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«Reply #4 on: July 13, 2011, 12:44:28 PM »
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bachpan se rubaroo kar diya aapne.. Bahut khub manishji..
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Manish Kumar Khedawat
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«Reply #5 on: July 17, 2011, 04:17:59 PM »
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shukriya gumboy zi
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