श्री लक्ष्मी-गणेश जी की आरती..........................अरुण मिश्र.

by arunmishra on October 27, 2011, 12:31:35 PM
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arunmishra
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आरति श्री लक्ष्मी-गणेश की .......

आरति   श्री  लक्ष्मी-गणेश   की |
धन-वर्षणि की,शमन-क्लेश की ||
             
             दीपावलि     में     संग     विराजें |
             कमलासन - मूषक     पर    राजें |
             शुभ  अरु  लाभ,   बाजने    बाजें |
           
ऋद्धि-सिद्धि-दायक -  अशेष  की ||

   
             मुक्त - हस्त    माँ,   द्रव्य    लुटावें |
             विघ्न - हरण,  दुःख   दूर   भगावें |  
             सुर-नर-मुनि सब जेहि जस  गावें |


बंदउं,  सोइ  महिमा विशेष  की ||
                                 *

                                                                      -अरुण मिश्र  


टिप्पणी :
                   कल दीवाली-पूजन के समय मन में यह विचार आया कि,  इस अवसर पर  जब
लक्ष्मी-गणेश की साथ-साथ पूजा होती है तो, एक संयुक्त आरती भी होनी चाहिए | पर, घर में
उपलब्ध  आरती सग्रहों में  ऐसी  कोई  संयुक्त आरती  नहीं  मिली | गणेश  जी  की  जहाँ  कई
आरती मिली, वहीँ लक्ष्मी जी की  केवल एक आरती  ही मिल पाई | ऐसा शायद सरस्वती-
पुत्रों के लक्ष्मी मैय्या के प्रति  सहज  पौराणिक अरुचि के कारण हो, जो  अनावश्यक  ही,  
"लक्ष्मी समाविशतु गच्छतु वा यथेष्टम......"  का दुराग्रह पाले रहते हैं और इसी कारण प्रायः
 उन की विशेष कृपा से वंचित रह जाते हैं |
                 अस्तु, आज प्रातः एक संयुक्त आरती लिखने का प्रयास  किया है, जिस के दो छंद,
दीपावली-पूजन के उपयोगार्थ, समस्त भक्त-जनों को सादर-सप्रेम प्रस्तुत हैं |
  -अरुण मिश्र .
 
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MANOJ6568
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«Reply #1 on: October 28, 2011, 03:23:04 AM »
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BAHUT KHUB
AAPKI KALAM NE JADHU SA KAR DIYA

आरति श्री लक्ष्मी-गणेश की .......

आरति   श्री  लक्ष्मी-गणेश   की |
धन-वर्षणि की,शमन-क्लेश की ||
            
             दीपावलि     में     संग     विराजें |
             कमलासन - मूषक     पर    राजें |
             शुभ  अरु  लाभ,   बाजने    बाजें |
          
ऋद्धि-सिद्धि-दायक -  अशेष  की ||

    
             मुक्त - हस्त    माँ,   द्रव्य    लुटावें |
             विघ्न - हरण,  दुःख   दूर   भगावें |  
             सुर-नर-मुनि सब जेहि जस  गावें |


बंदउं,  सोइ  महिमा विशेष  की ||
                                 *

                                                                       -अरुण मिश्र  


टिप्पणी :
                   कल दीवाली-पूजन के समय मन में यह विचार आया कि,  इस अवसर पर  जब
लक्ष्मी-गणेश की साथ-साथ पूजा होती है तो, एक संयुक्त आरती भी होनी चाहिए | पर, घर में
उपलब्ध  आरती सग्रहों में  ऐसी  कोई  संयुक्त आरती  नहीं  मिली | गणेश  जी  की  जहाँ  कई
आरती मिली, वहीँ लक्ष्मी जी की  केवल एक आरती  ही मिल पाई | ऐसा शायद सरस्वती-
पुत्रों के लक्ष्मी मैय्या के प्रति  सहज  पौराणिक अरुचि के कारण हो, जो  अनावश्यक  ही,  
"लक्ष्मी समाविशतु गच्छतु वा यथेष्टम......"  का दुराग्रह पाले रहते हैं और इसी कारण प्रायः
 उन की विशेष कृपा से वंचित रह जाते हैं |
                 अस्तु, आज प्रातः एक संयुक्त आरती लिखने का प्रयास  किया है, जिस के दो छंद,
दीपावली-पूजन के उपयोगार्थ, समस्त भक्त-जनों को सादर-सप्रेम प्रस्तुत हैं |
  -अरुण मिश्र .
 
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«Reply #2 on: October 28, 2011, 08:00:32 AM »
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Respected Arun Mishra Ji,

Bahut khoob waah waah...

Ati uttam vichaar hai sanyukt aarti kaa

Dheron daad...

Saadar,

Satish Shukla 'Raqeeb'
 
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mkv
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«Reply #3 on: October 29, 2011, 06:16:42 AM »
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Bahut Khoob arun ji
Apki hindi pe laajavab pakad hai aur usi ka kamaal hai ye rachna.
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SURESH SANGWAN
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«Reply #4 on: October 29, 2011, 06:28:50 AM »
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achhi koshish hai arun ji. Applause Applause Applause Applause Applause

thodi aur badi karein
agle saal hum ise hi gaa lenge.
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arunmishra
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«Reply #5 on: October 29, 2011, 02:07:21 PM »
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प्रिय मनोज जी, सतीश जी एवं mkv जी, आरती आप को अच्छी लगी, इस के लिए आप सब का आभारी हूँ |

-अरुण मिश्र. 
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arunmishra
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«Reply #6 on: October 29, 2011, 02:15:03 PM »
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प्रिय सुरेश सांगवान जी, श्री लक्ष्मी-गणेश ने आप की मनोकामना पूरी कर दी है | एक और छंद जोड़ कर परिवर्धित आरती, २९ अक्टूबर,२०११ की पोस्ट में दे रहा हूँ | शुभकामनायें |

-अरुण मिश्र. 
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