इश्क़ के गहरे समंदर को खंगाला होता...

by arunmishra on September 24, 2010, 03:18:46 PM
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arunmishra
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इश्क़ के गहरे समन्दर को खॅगाला होता....


- अरुण मिश्र


बेवज़ह   गुल   न   मेरे  सिम्त  उछाला  होता।
तो  ये  निस्बत का भरम हमने न पाला होता।।

बिन  तेरे  ज़िन्दगी, तारीक़ियों  का  जंगल है।
तू चला आता तो, कुछ मन में उजाला होता।।

हम सॅभल सकते थे,कमज़र्फ नहीं  थे  इतने।
काश उस शोख़ ने, पल्लू तो  सॅभाला  होता।।

तर्क़े-उल्फ़त भी, तग़ाफ़ुल भी और तोहमत भी।
कोई  उम्मीद का  पहलू, तो  निकाला  होता।।

तुम भी पा जाते ‘अरुन’, अश्क़ के ढेरों मोती।
इश्क़ के  गहरे  समन्दर  को  खॅगाला  होता।।

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MANOJ6568
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«Reply #1 on: September 24, 2010, 07:00:40 PM »
इश्क़ के गहरे समन्दर को खॅगाला होता....


good
pata hota gar jara bhi milega sirf gum unhe paane mei
khawab unhe paane ka na kabhi dil mei kabhi paala hota


- अरुण मिश्र


बेवज़ह   गुल   न   मेरे  सिम्त  उछाला  होता।
तो  ये  निस्बत का भरम हमने न पाला होता।।

बिन  तेरे  ज़िन्दगी, तारीक़ियों  का  जंगल है।
तू चला आता तो, कुछ मन में उजाला होता।।

हम सॅभल सकते थे,कमज़र्फ नहीं  थे  इतने।
काश उस शोख़ ने, पल्लू तो  सॅभाला  होता।।

तर्क़े-उल्फ़त भी, तग़ाफ़ुल भी और तोहमत भी।
कोई  उम्मीद का  पहलू, तो  निकाला  होता।।

तुम भी पा जाते ‘अरुन’, अश्क़ के ढेरों मोती।
इश्क़ के  गहरे  समन्दर  को  खॅगाला  होता।।

                       *
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ParwaaZ
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«Reply #2 on: September 25, 2010, 12:40:09 AM »
Mishraa Jee Aadaab!

Aapki gazal nazar nawaaz huyi... aur matla hi padhe to bus waah nikal gayi...

Kafi umdaa ahsaas o khayaal bayaaN kiye hai aapne... Usual Smile
         



इश्क़ के गहरे समन्दर को खॅगाला होता....


- अरुण मिश्र


बेवज़ह   गुल   न   मेरे  सिम्त  उछाला  होता।
तो  ये  निस्बत का भरम हमने न पाला होता।।

Kia baat hai.. bahut umdaa matla hai daad:)         


बिन  तेरे  ज़िन्दगी, तारीक़ियों  का  जंगल है।
तू चला आता तो, कुछ मन में उजाला होता।।

Achcha sher hai... daad janab:)         


हम सॅभल सकते थे,कमज़र्फ नहीं  थे  इतने।
काश उस शोख़ ने, पल्लू तो  सॅभाला  होता।।

Wah jee kia kahne waah ... bahut hi shayarana hai... Aashiqana mijaazi sher meiN aapne behad gehri baat kah dii..... waah dil se daad hazir hai... Usual Smile         


तर्क़े-उल्फ़त भी, तग़ाफ़ुल भी और तोहमत भी।
कोई  उम्मीद का  पहलू, तो  निकाला  होता।।

Jee kia baat hai.... Daad janab

Aik nazar hi dekh leta jaane se pahele
Kahaa kuchh nahi aur rabta hi tod diya           



तुम भी पा जाते ‘अरुन’, अश्क़ के ढेरों मोती।
इश्क़ के  गहरे  समन्दर  को  खॅगाला  होता।।

Waah jee waah... bahut achcha maqta bhi raha daad... Usual Smile         


                       *

Aik behad umdaa gazal per dil se daad kabool kijiye Mishra jee... Usual Smile

Likhate rahiye......
Khush o aabaad rahiye..... Usual Smile
Khuda hafez........ Usual Smile         

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