एक दुकानदार

by babasatyajaunpuri on November 29, 2015, 02:23:05 AM
Pages: [1]
Print
Author  (Read 1613 times)
babasatyajaunpuri
Guest
दुकान पर मैंने कहा की आलू गोभी दीजिये,
धनिया मिर्ची पर ज़रा अपनी कृपा कर दीजिये,
बाबू जी जहर भी फ्री में  यहाँ  मिलता नहीं,
बिनु पानी  के जानते हो कमल भी खिलता नहीं,
माटी  में चौबीस घंटे थककर  जब आता हूँ मैं,
बस यही दो चार पैसे शाम को पाता हूँ मैं,
किसी तरह से फीस कापी औ माँ की दवा लाता हूँ  मैं,
बच गया तो दीन दुखिओं को भी खिला आता हूँ मैं,
एक ज़रा सी बात पर  व्याख्यान हमको दे दिया ,
असहिष्णु की लिस्ट में नाम अपना लिख लिया,
छोड़ दो यह गाँव जा करके कहीं बस जाओ तुम,
जिस जगह खुशियाँ मिले प्रेम से रह पाओ तुम,
फेंक कर गोभी तराज़ू उसने मुझे दौड़ा लिया,
शुक्र  है उस गाय  का जिसने मुझे बचा लिया,
चिल्ला कर के उसने कहा असहिष्णु कहला सकता नहीं
देश के माँथे पे यह कलंक लगवा सकता नहीं,
बाबूजी इस माटी  में एक दिन दफन हो जाऊंगा,
लेकिन वतन को छोड़ कर मैं कहीं न जाऊंगा।

 
Logged
surindarn
Ustaad ae Shayari
*****

Rau: 273
Offline Offline

Waqt Bitaya:
134 days, 2 hours and 27 minutes.
Posts: 31520
Member Since: Mar 2012


View Profile
«Reply #1 on: November 29, 2015, 04:01:26 AM »
waah waah waah kyaa baat hai, RAU qabool keejiye.
 icon_flower icon_flower icon_flower icon_flower icon_flower icon_flower icon_flower
           Applause Applause Applause Applause Applause Applause Applause Applause Applause
Logged
adil bechain
Umda Shayar
*

Rau: 161
Offline Offline

Gender: Male
Waqt Bitaya:
31 days, 18 hours and 24 minutes.

Posts: 6552
Member Since: Mar 2009


View Profile
«Reply #2 on: November 29, 2015, 06:21:30 AM »
दुकान पर मैंने कहा की आलू गोभी दीजिये,
धनिया मिर्ची पर ज़रा अपनी कृपा कर दीजिये,
बाबू जी जहर भी फ्री में  यहाँ  मिलता नहीं,
बिनु पानी  के जानते हो कमल भी खिलता नहीं,
माटी  में चौबीस घंटे थककर  जब आता हूँ मैं,
बस यही दो चार पैसे शाम को पाता हूँ मैं,
किसी तरह से फीस कापी औ माँ की दवा लाता हूँ  मैं,
बच गया तो दीन दुखिओं को भी खिला आता हूँ मैं,
एक ज़रा सी बात पर  व्याख्यान हमको दे दिया ,
असहिष्णु की लिस्ट में नाम अपना लिख लिया,
छोड़ दो यह गाँव जा करके कहीं बस जाओ तुम,
जिस जगह खुशियाँ मिले प्रेम से रह पाओ तुम,
फेंक कर गोभी तराज़ू उसने मुझे दौड़ा लिया,
शुक्र  है उस गाय  का जिसने मुझे बचा लिया,
चिल्ला कर के उसने कहा असहिष्णु कहला सकता नहीं
देश के माँथे पे यह कलंक लगवा सकता नहीं,
बाबूजी इस माटी  में एक दिन दफन हो जाऊंगा,
लेकिन वतन को छोड़ कर मैं कहीं न जाऊंगा।

 




bahot khoob Applause Applause Applause Applause
Logged
Rustum Rangila
Yoindian Shayar
******

Rau: 128
Offline Offline

Gender: Male
Waqt Bitaya:
10 days, 16 hours and 31 minutes.

Posts: 2534
Member Since: Oct 2015


View Profile
«Reply #3 on: November 29, 2015, 02:41:36 PM »
Bahot khoooob  Applause Applause Applause
Logged
Pages: [1]
Print
Jump to:  


Get Yoindia Updates in Email.

Enter your email address:

Ask any question to expert on eTI community..
Welcome, Guest. Please login or register.
Did you miss your activation email?
December 25, 2024, 07:52:46 AM

Login with username, password and session length
Recent Replies
by mkv
[December 22, 2024, 05:36:15 PM]

[December 19, 2024, 08:27:42 AM]

[December 17, 2024, 08:39:55 AM]

[December 15, 2024, 06:04:49 AM]

[December 13, 2024, 06:54:09 AM]

[December 10, 2024, 08:23:12 AM]

[December 10, 2024, 08:22:15 AM]

by Arif Uddin
[December 03, 2024, 07:06:48 PM]

[November 26, 2024, 08:47:05 AM]

[November 21, 2024, 09:01:29 AM]
Yoindia Shayariadab Copyright © MGCyber Group All Rights Reserved
Terms of Use| Privacy Policy Powered by PHP MySQL SMF© Simple Machines LLC
Page created in 0.127 seconds with 25 queries.
[x] Join now community of 8509 Real Poets and poetry admirer