जरा सोचों दोस्तों

by pranshshar on October 28, 2011, 02:51:47 PM
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pranshshar
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हिन्दू मुस्लिम लहरें हैं इस नदी के धार की,
इन लहरों को बांटकर ही सबने नैया पार की.

बहुत बंट गए अब ने बंटेंगे खेत दिलो जज्बात के ,
इन खेतो में सिर्फ उगेंगी फसले अब प्यार की.

क्या उसने  विरासत में दी नफरत की चिंगारियां,
खूब निभायी जिम्मेदारी उस परवरदिगार की.

हैवानो ने वेश बदल कर खून बहाया धर्म का,
आओ मिल जुल   कर पिरोले ,बिखरी कलियाँ हार की.

फौलाद सा सीना तान कर उठा तलवार और काट दे,
बहुत पहन ली हमने ,बेड़ियाँ भ्रस्टाचार की.

कुछ दानो के लालच में परिंदे फँस गए जाल में,
मिल जुल कर न उड़ भागे तो जय होगी मक्कार की. hello2
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usha rajesh
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«Reply #1 on: October 28, 2011, 03:22:24 PM »

Pranshshar ji,
Bahut Achchhe jazbaat hein. Keep it up
Thumbs UP Thumbs UP Thumbs UP
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ParwaaZ
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«Reply #2 on: October 28, 2011, 05:45:39 PM »
Aadaab Janab Pranshshar Sahaab!


Pahele to aapka is bazm meiN dil se isteqbal hai... Usual Smile

 Welcome Banner Welcome Banner Welcome Banner

Waah janab kia khub kalaam kahi hai aapne.. Ati prashansniye
aur uchch vichaar vyakt kiye hai aapne...  Usual Smile

 Applause Applause Applause Applause Applause

IS prerna dayi kavita par dili abhinandan . .. Usual Smile



हिन्दू मुस्लिम लहरें हैं इस नदी के धार की,
इन लहरों को बांटकर ही सबने नैया पार की.

Waah waah kia baat kahi hai janab... Jis vichar ko
aapne kalam baNd kiya hai..behad khoob raha ..  Applause Applause Applause    


बहुत बंट गए अब ने बंटेंगे खेत दिलो जज्बात के ,
इन खेतो में सिर्फ उगेंगी फसले अब प्यार की.

Waah waah... bahut achche janab    

क्या उसने  विरासत में दी नफरत की चिंगारियां,
खूब निभायी जिम्मेदारी उस परवरदिगार की.

Waah kia kahne janab, achcha khayaal hai daad..    

हैवानो ने वेश बदल कर खून बहाया धर्म का,
आओ मिल जुल कर पिरोले ,बिखरी कलियाँ हार की.

Kia kahne jee bahut achche..    

फौलाद सा सीना तान कर उठा तलवार और काट दे,
बहुत पहन ली हमने ,बेड़ियाँ भ्रस्टाचार की.

Waah waa kia baat hai bahut khoob.. Usual Smile    

कुछ दानो के लालच में परिंदे फँस गए जाल में,
मिल जुल कर न उड़ भागे तो जय होगी मक्कार की.

Kia kahne janab waah bahut khoob...  Applause Applause    

hello2

Waqai prashansniy kavita kahi hai janab.. Aapki kavya bhasha
upmatmak aur vyakhyatmak hai... Usual Smile

Humari dili daad kabul kijiye.. Usual Smile
Likhate rahiye... Aate rahiye...

Khush O aabaad rahiye..
Khuda Hafez... Usual Smile    

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MANOJ6568
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«Reply #3 on: October 28, 2011, 07:24:23 PM »
nice
हिन्दू मुस्लिम लहरें हैं इस नदी के धार की,
इन लहरों को बांटकर ही सबने नैया पार की.

बहुत बंट गए अब ने बंटेंगे खेत दिलो जज्बात के ,
इन खेतो में सिर्फ उगेंगी फसले अब प्यार की.

क्या उसने  विरासत में दी नफरत की चिंगारियां,
खूब निभायी जिम्मेदारी उस परवरदिगार की.

हैवानो ने वेश बदल कर खून बहाया धर्म का,
आओ मिल जुल   कर पिरोले ,बिखरी कलियाँ हार की.

फौलाद सा सीना तान कर उठा तलवार और काट दे,
बहुत पहन ली हमने ,बेड़ियाँ भ्रस्टाचार की.

कुछ दानो के लालच में परिंदे फँस गए जाल में,
मिल जुल कर न उड़ भागे तो जय होगी मक्कार की. hello2
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mkv
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«Reply #4 on: October 29, 2011, 06:24:33 AM »
हिन्दू मुस्लिम लहरें हैं इस नदी के धार की,
इन लहरों को बांटकर ही सबने नैया पार की.

बहुत बंट गए अब ने बंटेंगे खेत दिलो जज्बात के ,
इन खेतो में सिर्फ उगेंगी फसले अब प्यार की.

क्या उसने  विरासत में दी नफरत की चिंगारियां,
खूब निभायी जिम्मेदारी उस परवरदिगार की.

हैवानो ने वेश बदल कर खून बहाया धर्म का,
आओ मिल जुल   कर पिरोले ,बिखरी कलियाँ हार की.

फौलाद सा सीना तान कर उठा तलवार और काट दे,
बहुत पहन ली हमने ,बेड़ियाँ भ्रस्टाचार की.

कुछ दानो के लालच में परिंदे फँस गए जाल में,
मिल जुल कर न उड़ भागे तो जय होगी मक्कार की. hello2

Bahut Khoob Pranshar sahab
Jitni bhi apki tareef ki jaye kam hai... bas jo lay bani hai use kayam rakhe.
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Satish Shukla
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«Reply #5 on: October 29, 2011, 06:37:38 AM »

pranshshar ji,

Very deep thoughts you have
expressed in your post....

Keep on writing and also read
some good Hindi / Urdu poets to
understand technicality of poetry.

All the best.

Satish Shukla 'Raqeeb'
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mamta bajpai
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«Reply #6 on: November 05, 2011, 11:13:19 PM »
 Applause Applause Applause :clap:is kavitaa ko paRh kar waaqai hum sochne par majboor ho gaye......bantvaare ne sirf todaa hai .........
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