तो क्या करे

by Raqeeb on December 13, 2011, 08:52:07 AM
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Raqeeb
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हसी की राह में गम मिल जाये तो क्या करे
वफ़ा की राह में बेवफा मिल जाये तो क्या करे

कैसे बचाए ज़िन्दगी को धोखेबाजो से
कोई मुस्कुरा के धोखा दे जाये तो क्या करे

हाथ थमा था किसी का ज़िन्दगी में
अब ज़िन्दगी ही साथ छोड़ जाये तो क्या करे

चाहा था किसी को दिलोजान से
वो दिल ही बेजान हो जाये तो क्या करे

उम्र गुज़ार दी किसी के इंतज़ार में
वो इंतज़ार ही जार जार हो जाये तो क्या करे

इश्क को भूल जाऊं एक पैमाने से
अब मैख़ाना ही बंद हो जाये तो 'रक़ीब' क्या करे
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sksaini4
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«Reply #1 on: December 13, 2011, 09:56:09 AM »
aap thodaa saa worsds par dhyaan rakkhe.kewal ek hi word kee taraf filhaal ishaaraa kar rahaa hoon.word"मैख़ाना " hai.ese hi aur bhee words hain.behtar hogaa aap hini aur urdu kee do shabdkosh lele.
main khud inkaa sahaaraa letaa hoon.mind mat karnaa.meraa farz mujhe mazboor kartaa hai aapkee bhalaai chahne ke liye
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khamosh_aawaaz
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«Reply #2 on: December 13, 2011, 09:58:48 AM »
हसी की राह में गम मिल जाये तो क्या करे
वफ़ा की राह में बेवफा मिल जाये तो क्या करे

कैसे बचाए ज़िन्दगी को धोखेबाजो से
कोई मुस्कुरा के धोखा दे जाये तो क्या करे

हाथ थमा था किसी का ज़िन्दगी में
अब ज़िन्दगी ही साथ छोड़ जाये तो क्या करे

चाहा था किसी को दिलोजान से
वो दिल ही बेजान हो जाये तो क्या करे

उम्र गुज़ार दी किसी के इंतज़ार में
वो इंतज़ार ही जार जार हो जाये तो क्या करे

इश्क को भूल जाऊं एक पैमाने की प्यास में
अब महखाना ही बंद हो जाये तो 'रकीब' क्या करे


GUD ONE
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Raqeeb
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«Reply #3 on: December 13, 2011, 10:14:58 AM »
I will do it, since it is beginning, so i am just trying to awaken my imagination. But expression should be flawless. I will work on that. Tahnks a lot for such a wonderful feedback Mr Saini.
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sbechain
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«Reply #4 on: January 11, 2012, 03:05:53 PM »
हसी की राह में गम मिल जाये तो क्या करे
वफ़ा की राह में बेवफा मिल जाये तो क्या करे

कैसे बचाए ज़िन्दगी को धोखेबाजो से
कोई मुस्कुरा के धोखा दे जाये तो क्या करे

हाथ थमा था किसी का ज़िन्दगी में
अब ज़िन्दगी ही साथ छोड़ जाये तो क्या करे

चाहा था किसी को दिलोजान से
वो दिल ही बेजान हो जाये तो क्या करे

उम्र गुज़ार दी किसी के इंतज़ार में
वो इंतज़ार ही जार जार हो जाये तो क्या करे

इश्क को भूल जाऊं एक पैमाने से
अब मैख़ाना ही बंद हो जाये तो 'रक़ीब' क्या करे



                        khoob kaha ... kya karein...!
                       
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jasbirsingh
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«Reply #5 on: January 11, 2012, 03:10:56 PM »
हसी की राह में गम मिल जाये तो क्या करे
वफ़ा की राह में बेवफा मिल जाये तो क्या करे

कैसे बचाए ज़िन्दगी को धोखेबाजो से
कोई मुस्कुरा के धोखा दे जाये तो क्या करे

हाथ थमा था किसी का ज़िन्दगी में
अब ज़िन्दगी ही साथ छोड़ जाये तो क्या करे

चाहा था किसी को दिलोजान से
वो दिल ही बेजान हो जाये तो क्या करे

उम्र गुज़ार दी किसी के इंतज़ार में
वो इंतज़ार ही जार जार हो जाये तो क्या करे

इश्क को भूल जाऊं एक पैमाने से
अब मैख़ाना ही बंद हो जाये तो 'रक़ीब' क्या करे



wah wah wah rakeeb ji...

jasbir singh
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