पतवार

by babasatyajaunpuri on March 03, 2016, 02:25:24 PM
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babasatyajaunpuri
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             पतवार
हर किसी को कश्ती का पतवार होना चाहिए ,
धूप में शीतल सुगंध बयार होना चाहिए,
फूलों से फूलों सा मिलना आदत है अच्छी मगर,
रहबरों के वास्ते तलवार होना चाहिए।
ज़िंदगी तेरे शहर में पानी से सस्ती हुई,
हर खबर के वास्ते अखबार होना चाहिए।
हर काली सहमी हुई गुलशन बड़ा बेचैन है,
अब तो शाखों को यहाँ औज़ार होना चाहिए।
क्यूँ हवाओं से कहूँ घर पर रहम मेरे करो,
टकराके खुद घायल हो ऐसी दीवार होना चाहिए।
संसद से सड़कों तलक चीखती है अस्मिता,
अब शहीदों का पुनः अवतार होना चाहिए।
कब तलक ज़ुल्मों सितम सहते रहोगे दोस्तों,
अब तो हर हाथों में एक हथियार होना चाहिए।
कब तक ज़िंदा रखेंगी तुझको घर की रोटियाँ,
अपनी माटी से भी कुछ तो प्यार होना चाहिए।
 
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sksaini4
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«Reply #1 on: March 03, 2016, 02:34:43 PM »
bahut khoob waah
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surindarn
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«Reply #2 on: March 04, 2016, 12:24:21 AM »
bahut umdah waah.
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adil bechain
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«Reply #3 on: March 04, 2016, 08:16:24 AM »
             पतवार
हर किसी को कश्ती का पतवार होना चाहिए ,
धूप में शीतल सुगंध बयार होना चाहिए,
फूलों से फूलों सा मिलना आदत है अच्छी मगर,
रहबरों के वास्ते तलवार होना चाहिए।
ज़िंदगी तेरे शहर में पानी से सस्ती हुई,
हर खबर के वास्ते अखबार होना चाहिए।
हर काली सहमी हुई गुलशन बड़ा बेचैन है,
अब तो शाखों को यहाँ औज़ार होना चाहिए।
क्यूँ हवाओं से कहूँ घर पर रहम मेरे करो,
टकराके खुद घायल हो ऐसी दीवार होना चाहिए।
संसद से सड़कों तलक चीखती है अस्मिता,
अब शहीदों का पुनः अवतार होना चाहिए।
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कब तलक ज़ुल्मों सितम सहते रहोगे दोस्तों,
अब तो हर हाथों में एक हथियार होना चाहिए।
कब तक ज़िंदा रखेंगी तुझको घर की रोटियाँ,
अपनी माटी से भी कुछ तो प्यार होना चाहिए।
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