भटकते इश्क की खातिर..

by champak on April 18, 2013, 01:11:40 AM
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champak
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जरा अब हम भी तो देखें इन आँखों की वफ़ा का दम,
किसी ने गौर फ़रमाया नजर ये झुक नहीं सकती,
अरे गुमनाम राहों में भटकते इश्क की खातिर,
अदा -ए-हुस्न वो भी क्या जो दो पल रुक नहीं सकती!

---
@चंपक
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suman59
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«Reply #1 on: April 18, 2013, 01:17:19 AM »


जरा अब हम भी तो देखें इन आँखों की वफ़ा का दम,
किसी ने गौर फ़रमाया नजर ये झुक नहीं सकती,
अरे गुमनाम राहों में भटकते इश्क की खातिर,
अदा -ए-हुस्न वो भी क्या जो दो पल रुक नहीं सकती!

---
@चंपक


bahut khoob champak jee  Thumbs UP
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BANSI DHAMEJA
Guest
«Reply #2 on: April 18, 2013, 01:43:54 AM »


जरा अब हम भी तो देखें इन आँखों की वफ़ा का दम,
किसी ने गौर फ़रमाया नजर ये झुक नहीं सकती,
अरे गुमनाम राहों में भटकते इश्क की खातिर,
अदा -ए-हुस्न वो भी क्या जो दो पल रुक नहीं सकती!

---
@चंपक

गुरूर हो अपने हुसुन पे तो हुसुन रुकता नहीं
वफ़ा हो अगर दिल में तो आँखें झुकती नहीं
हुसुन तो वक़्त के साथ तो   ढाल  ही  जाता है
वफ़ा हो बरकरार दिल में तो आँखें बदलती नहीं
bansi(madhur)
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aqsh
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«Reply #3 on: April 18, 2013, 01:30:41 PM »
kya baat hai champak ji. behad khoob. dheron daad.
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varun girdhar
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«Reply #4 on: April 18, 2013, 01:52:43 PM »
bahut baidya

 Applause Applause Applause Applause Applause
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marhoom bahayaat
Guest
«Reply #5 on: April 18, 2013, 02:23:07 PM »


जरा अब हम भी तो देखें इन आँखों की वफ़ा का दम,
किसी ने गौर फ़रमाया नजर ये झुक नहीं सकती,
अरे गुमनाम राहों में भटकते इश्क की खातिर,
अदा -ए-हुस्न वो भी क्या जो दो पल रुक नहीं सकती!

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@चंपक


good,sir
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