ममता

by anjaanajnabi on April 06, 2010, 08:26:44 AM
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anjaanajnabi
Guest
जब में तीन साल का बच्चा था
माँ से आंख बचाकर भाग कर
रेत में खेला करता था
माँ की आवाज़ सुनकर
इधर उधर चुप जाया करता था
शाम को घर जाते वक्त
सोचकर माँ ठंडे पानी से निहलायेगी
थोड़ा डर जाया करता था
निहलाते -२ वो मुझ को डाटा करते थी
लेकिन मेरी चोट देखकर
उसकी आंख भर आया करती थी
और में उसके सीने से लगकर
तूतली जवान से कहता था
अब नही करूँगा और तंग
लेकिन सुलाना मुझे अपने संग
सुनकर माँ दिल भर आया करता था
लेकिन में अगले दिन फ़िर भाग जाया करता था
इसी तरह में उसको सताता था
जब में तीन साल का बच्चा था
रेत में खेला करता था
रेत में खेला करता था
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riyaz106
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«Reply #1 on: April 06, 2010, 12:36:24 PM »
वाह अंजान जी बहुत अच्छी और भावुक कर देने वाली कविता लिखी है आपने. बहुत सुन्दर रचना है
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anjaanajnabi
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«Reply #2 on: April 06, 2010, 03:16:18 PM »
is hausla afjai ke liye aapka riyaaz jee bahut bahut dhanyabad .
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