साथ चलने की बात

by rajbhandari911 on August 24, 2015, 12:10:12 PM
Pages: [1]
Print
Author  (Read 1640 times)
rajbhandari911
Shayarana Mizaaj
**

Rau: 13
Offline Offline

Waqt Bitaya:
8 hours and 27 minutes.
Posts: 80
Member Since: Aug 2015


View Profile
इक  इक कदम् मिला के, साथ चलने की बात  थी
तमाम उम्र, बस, इक ही ,रंग में ढलने की  बात थी,

कुछ सोचा नहीं था, क्या, तुमने यह बात करते हुए,
क्या बस वो सिर्फ इक अरमान मचलने की बात थी,

आप के, लिए, शायद, ये, बस, दिल्लगी ही, रही हो,
पर, मेरे , इस दिल को, यह, मसलने  की, बात, थी,

मालूम  नहीं, के क्यों, जुदा हो गए ख्यालात, अपने,
अपनी तो उस वक़्त एक ही सांचे में ढलने की बात थी,
   
क्यों चल पड़े  हो, अब छोड़ के, इक नई, राह की तरफ,
अपनी तो साथ गिरने और फिर से सम्भलने की बात थी,

नहीं रहे हो, जो थे मेरे दिल के बादशाह, अब  खुदा खैर करे,
कँहा , साथ  साथ मिल के, ज़माने  को, बदलने की बात थी,
 
क्या  हुआ, जो,  ऐन, वक़्त  पे, पीछे,  हट गए हैं, आप,
शायद,  वो   महज,  इक,  रात  के,  ढलने, की  बात, थी  !!  
Logged
jeet jainam
Khaas Shayar
**

Rau: 237
Offline Offline

Gender: Male
Waqt Bitaya:
60 days, 12 hours and 13 minutes.

my rule no type no life and ,i m happy single

Posts: 10150
Member Since: Dec 2012


View Profile WWW
«Reply #1 on: August 24, 2015, 05:29:06 PM »

इक  इक कदम् मिला के, साथ चलने की बात  थी
तमाम उम्र, बस, इक ही ,रंग में ढलने की  बात थी,

कुछ सोचा नहीं था, क्या, तुमने यह बात करते हुए,
क्या बस वो सिर्फ इक अरमान मचलने की बात थी,

आप के, लिए, शायद, ये, बस, दिल्लगी ही, रही हो,
पर, मेरे , इस दिल को, यह, मसलने  की, बात, थी,

मालूम  नहीं, के क्यों, जुदा हो गए ख्यालात, अपने,
अपनी तो उस वक़्त एक ही सांचे में ढलने की बात थी,
   
क्यों चल पड़े  हो, अब छोड़ के, इक नई, राह की तरफ,
अपनी तो साथ गिरने और फिर से सम्भलने की बात थी,

नहीं रहे हो, जो थे मेरे दिल के बादशाह, अब  खुदा खैर करे,
कँहा , साथ  साथ मिल के, ज़माने  को, बदलने की बात थी,
 
क्या  हुआ, जो,  ऐन, वक़्त  पे, पीछे,  हट गए हैं, आप,
शायद,  वो   महज,  इक,  रात  के,  ढलने, की  बात, थी  !!   

[/color]

bohat bohat umda peshqash waaaaahhhhhhh dhero,n daaaadddddd
Logged
surindarn
Ustaad ae Shayari
*****

Rau: 273
Offline Offline

Waqt Bitaya:
134 days, 2 hours and 27 minutes.
Posts: 31520
Member Since: Mar 2012


View Profile
«Reply #2 on: August 24, 2015, 10:27:22 PM »
इक  इक कदम् मिला के, साथ चलने की बात  थी
तमाम उम्र, बस, इक ही ,रंग में ढलने की  बात थी,

कुछ सोचा नहीं था, क्या, तुमने यह बात करते हुए,
क्या बस वो सिर्फ इक अरमान मचलने की बात थी,

आप के, लिए, शायद, ये, बस, दिल्लगी ही, रही हो,
पर, मेरे , इस दिल को, यह, मसलने  की, बात, थी,

मालूम  नहीं, के क्यों, जुदा हो गए ख्यालात, अपने,
अपनी तो उस वक़्त एक ही सांचे में ढलने की बात थी,
  
क्यों चल पड़े  हो, अब छोड़ के, इक नई, राह की तरफ,
अपनी तो साथ गिरने और फिर से सम्भलने की बात थी,

नहीं रहे हो, जो थे मेरे दिल के बादशाह, अब  खुदा खैर करे,
कँहा , साथ  साथ मिल के, ज़माने  को, बदलने की बात थी,
  
क्या  हुआ, जो,  ऐन, वक़्त  पे, पीछे,  हट गए हैं, आप,
शायद,  वो   महज,  इक,  रात  के,  ढलने, की  बात, थी  !!  

waah kyaa baat hai, bahut khoobsurat ghazal hai, dheron daad waaaahhhhhhhhhhhhhhhh!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!! + RAU
 icon_flower icon_flower icon_flower icon_flower icon_flower icon_flower icon_flower
 Thumbs UP Thumbs UP Thumbs UP Thumbs UP Thumbs UP Thumbs UP Thumbs UP Thumbs UP Thumbs UP
Logged
Pages: [1]
Print
Jump to:  


Get Yoindia Updates in Email.

Enter your email address:

Ask any question to expert on eTI community..
Welcome, Guest. Please login or register.
Did you miss your activation email?
November 24, 2024, 12:19:39 AM

Login with username, password and session length
Recent Replies
[November 21, 2024, 09:01:29 AM]

[November 16, 2024, 11:44:41 AM]

by Michaelraw
[November 13, 2024, 12:59:11 PM]

[November 08, 2024, 09:59:54 AM]

[November 07, 2024, 01:56:50 PM]

[November 07, 2024, 01:55:03 PM]

[November 07, 2024, 01:52:40 PM]

[November 07, 2024, 01:51:59 PM]

[October 30, 2024, 05:13:27 AM]

by ASIF
[October 29, 2024, 07:57:46 AM]
Yoindia Shayariadab Copyright © MGCyber Group All Rights Reserved
Terms of Use| Privacy Policy Powered by PHP MySQL SMF© Simple Machines LLC
Page created in 0.082 seconds with 25 queries.
[x] Join now community of 8506 Real Poets and poetry admirer