Insaan kya dekh raha hain

by abhi bhi zinda hun on December 05, 2010, 10:08:23 AM
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abhi bhi zinda hun
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वो धरा के ऊपर खुला विस्तृत आसमान देख रहा हैं,
या जाती,आरछण और अपनी संकीर्ण पहचान देख रहा हैं !
वो किसी अमीर की चमकती दूकान देख रहा हैं,
या किसी गरीब की भूखी और तड़पती शाम देख रहा हैं !

मेरे देश में सुना हैं हर आदमी इंसान देख रहा हैं पर पता नहीं वो क्या हैं जो यह इंसान देख रहा हैं !!

बाज़ार में बिका हुआ अपना ईमान देख रहा हैं,
या मोहम्मद,जीसस,गौतम और राम देख रहा हैं !
अपना इंडिया, भारत और हिन्दोस्तान देख रहा हैं,
या अमेरिका, ब्रिटेन और जापान देख रहा हैं !

मेरे देश में सुना हैं हर आदमी इंसान देख रहा हैं पर पता नहीं वो क्या हैं जो यह इंसान देख रहा हैं !!

अपने अंतर में छिपा हैवान देख रहा है,
या मोहब्बत,शांति,भाईचारे का पैगाम देख रहा हैं !
वो कोई मित्र, मुसाफिर, मेहमान देख रहा है,
या किसी को क़त्ल करने का इंतजाम देख रहा हैं !

मेरे देश में सुना हैं हर आदमी इंसान देख रहा हैं पर पता नहीं वो क्या हैं जो यह इंसान देख रहा हैं !!

वो समाज में भ्रष्टाचार के विजय की जय गान देख रहा हैं,
या अपनी मतलबी और झूठी जुबान देख रहा हैं !
पैसे के लालायित कानूनी गिरेहबान देख रहा हैं,
या किसी बेगुनाह पर थोपा गया इलज़ाम देख रहा हैं !

मेरे देश में सुना हैं हर आदमी इंसान देख रहा हैं पर पता नहीं वो क्या हैं जो यह इंसान देख रहा हैं !!

हा , आजकल सुना हैं हर आदमी इंसान देख रहा हैं पर पता नहीं वो क्या हैं जो यह इंसान देख रहा हैं !!
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Intezar
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«Reply #1 on: December 05, 2010, 06:09:29 PM »
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bahut achha hai... jo likha hai aapne... !

Intezar !
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killbill
Yoindian Shayar
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«Reply #2 on: December 05, 2010, 06:18:03 PM »
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bilkul thk kaha Intezaar ji
bahut achha hai inhone jo bhi
likha hai !!!!
very nice:)
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Rajesh Harish
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«Reply #3 on: December 06, 2010, 04:29:35 AM »
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Good one Ji
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