kamlesh sanjida
Aghaaz ae Shayar
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किसान की ह्त्या या आत्म ह्त्या का, जवाब कौन देगा परिस्थतियों से लड़ते हुए किसान का, हार- जीत का ईनाम कौन देगा
कभी मौसम की मार , तो कभी किस्मत की मार अन्न दाता को, अन्न कौन देगा
भूंखे पेट हल जोतने का, इनाम कौन देगा अगर उसका दम टूट जाये, तो उसका हिसाब कौन देगा
कृषि मंत्रालय और उनके पदाधिकारी , नयी- नयी योजनाओं का अवलोकन करेंगे और सरकारी दस्तावेजों की पूर्ती करेंगे किसान के मरने का कारण, परिवार का मतभेद लिखेगें
अपने- अपने प्रदेश को बेदाग़ करेंगे अपनी- अपनी फाइलों का पूरा काम करेंगे और हर बजट में किसानों का उद्धार करेंगे और किसानों के फंड से अपना पेट भरेंगे
जनता के सामने जाकर एक ही आस्वासन देंगे सरकार की तरफ से मदद् का भरोसा देंगे
पूरा प्रसासन इक्ट्ठा हो जायेगा अपनीं अपनीं एo सीo गाड़ियों से निकल कर थोड़ा- थोड़ा दिखावा करेंगे और किसान के परिवार का, आस्वासन से पेट भरेंगे
एक दो दिन गॉव में चहल -पहल रहेगी लोगों को लगेगा मंत्री जी कुछ तो करेंगे दौरे के नाम पर खाना पूर्ती करेंगे और किसान के परिवार के दिल को, हम दर्दी से भरेंगे
उधर मीडिया को बुलाकर, कॉन्फरेंस करेंगे वादों की पोटरी का, उनके आगे खुलासा करेंगे और मीडिया और अखबारों में मंत्री जी के बड़े -बड़े कारनामें छपेंगे
अगले दिन नयी ख़बरों का, बाजार गर्म करेंगे चटपटी ख़बरों के संग, मंत्री जी कहीं भाषण करेंगे
देश के लोग भी, एक दो दिन में भूल जायेंगे मंत्री जी के दौरों के, स्थान बदल जायेंगे
किसान के परिवार की सुध, काई न करेंगे उसके बच्चे तो , भगवान भरोसे ही मरेंगे
कुछ महीने तक वो भी, सरकारी दफ्तरों के चक्कर काटेंगे आखिर में थक- हार कर , वो भी घर बैठेंगे
अन्न दाता के बच्चे , कैसे- कैसे गुजारा करेंगे कभी यहाँ पर, कभी वहाँ पर भटकेंगे
अंत में जाकर, खुद ही विस्वास मजबूत करेंगे फिर से खेतों में जाकर, मेहनत करेंगे
कुछ दिन इधर -उधर से गुजारा करेंगें फिर से आसमान की तरफ निहारकर उस भगवान से ही प्रार्थना करेंगे और फसल अच्छी होने की दुआ करेंगे ***********
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