अच्छी ग़ज़लें कहते हैं...........अरुण मिश्र.

by arunmishra on July 05, 2011, 05:41:10 PM
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arunmishra
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http://youtu.be/Ne3fzVGYbP8
<object width="425" height="349"><param name="movie" value=" <a href="http://www.youtube.com/v/Ne3fzVGYbP8&rel=1" target="_blank">http://www.youtube.com/v/Ne3fzVGYbP8&rel=1</a>"></param>
अच्छी ग़ज़लें कहते हैं ...  

-अरुण मिश्र.

यारों  मेरे मुहल्ले में, इक  शख्स  ‘अरुन जी’  रहते हैं।
हमें इल्म क्या , लोग कहें पर , अच्छी ग़ज़लें कहते हैं।।
  
बहकी - बहकी  बातें   करते , चहके - चहके  लहज़े  में।
रात  को  शायद  रोते   होंगे , दिन  भर  हॅसते  रहते हैं।।
  
बातों  का  तो   सूत   कातते , सपनों  के   धागे   बुनते।
खिले-खिले  से  दिखते , लेकिन  खोये - खोये  रहते हैं।।
  
सारा आलम अपना समझें,ख़ुद की सुध-बुध से गाफ़िल।
ग़ैरों  के  ग़म  में  अक्सर ही ,  ऑख   भिगोये   रहते हैं।।
  
बोली-बानी   सब  कबीर   सी , मस्ती  पीर-फ़कीरों सी।
मीर   से  दीवाने  लगते  हैं , हॅस कर  हर दुख  सहते हैं।।
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MANOJ6568
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«Reply #1 on: July 06, 2011, 12:02:52 AM »
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khub

http://youtu.be/Ne3fzVGYbP8
अच्छी ग़ज़लें कहते हैं ... 

-अरुण मिश्र.

यारों  मेरे मुहल्ले में, इक  शख्स  ‘अरुन जी’  रहते हैं।
हमें इल्म क्या , लोग कहें पर , अच्छी ग़ज़लें कहते हैं।।
 
बहकी - बहकी  बातें   करते , चहके - चहके  लहज़े  में।
रात  को  शायद  रोते   होंगे , दिन  भर  हॅसते  रहते हैं।।
 
बातों  का  तो   सूत   कातते , सपनों  के   धागे   बुनते।
खिले-खिले  से  दिखते , लेकिन  खोये - खोये  रहते हैं।।
 
सारा आलम अपना समझें,ख़ुद की सुध-बुध से गाफ़िल।
ग़ैरों  के  ग़म  में  अक्सर ही ,  ऑख   भिगोये   रहते हैं।।
 
बोली-बानी   सब  कबीर   सी , मस्ती  पीर-फ़कीरों सी।
मीर   से  दीवाने  लगते  हैं , हॅस कर  हर दुख  सहते हैं।।
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Satish Shukla
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«Reply #2 on: July 06, 2011, 05:57:04 AM »
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Respected Arun Ji,

Waah..waah..bahut khoob..kya kahne
laajwaab..

Dili daad qubool karen.

Sadar,

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arunmishra
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«Reply #3 on: July 07, 2011, 07:53:03 AM »
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प्रिय मनोज जी एवं प्रिय सतीश जी, आप दोनों का बहुत-बहुत शुक्रिया|
-अरुण मिश्र.
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sbechain
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«Reply #4 on: December 29, 2011, 09:30:34 AM »
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http://youtu.be/Ne3fzVGYbP8
<object width="425" height="349"><param name="movie" value=" <a href="http://www.youtube.com/v/Ne3fzVGYbP8&rel=1" target="_blank">http://www.youtube.com/v/Ne3fzVGYbP8&rel=1</a>"></param>
अच्छी ग़ज़लें कहते हैं ...  

-अरुण मिश्र.

यारों  मेरे मुहल्ले में, इक  शख्स  ‘अरुन जी’  रहते हैं।
हमें इल्म क्या , लोग कहें पर , अच्छी ग़ज़लें कहते हैं।।
  
बहकी - बहकी  बातें   करते , चहके - चहके  लहज़े  में।
रात  को  शायद  रोते   होंगे , दिन  भर  हॅसते  रहते हैं।।
  
बातों  का  तो   सूत   कातते , सपनों  के   धागे   बुनते।
खिले-खिले  से  दिखते , लेकिन  खोये - खोये  रहते हैं।।
  
सारा आलम अपना समझें,ख़ुद की सुध-बुध से गाफ़िल।
ग़ैरों  के  ग़म  में  अक्सर ही ,  ऑख   भिगोये   रहते हैं।।
  
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bahut khoob arun ji..........!

                         
                         
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