SURESH SANGWAN
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ज़ुल्फ़ो के पेच-ओ-ख़म में गिरफ़्तार रहने दो तीर- ए- नज़र ही काफ़ी है तलवार रहने दो
ठोक़रों ने सिखा दी दुनियाँदारी अच्छी हाय सच अधूरे छापें हैं अख़बार रहने दो
लम्हा- लम्हा भारी है रुके- रुके से कदम मेरे रब्बा कुछ दिन तो इतवार रहने दो
ना दिल ही मिल सका ना मिज़ाज़ इनका हिंदुस्तानी जोड़ो का क़िरदार रहने दो
उम्र-ए-दराज़ काट दी जहाँ का होकर या रब अब ज़ीस्त पर अपनी मुझे हक़दार रहने दो
होंठों पे लरज़िश है कुछ तो ज़बान खुली है ग़ज़ल-ए-ज़िंदगी ना सही अश्-आर कहने दो
सिज़दे में सिर झुकाए तस्वीर हो चली क्यूँ ख़्वाहिशों का ए 'सरु' अब अंबार रहने दो
Zulfon ke pech-o-kham mein giraftaar rehne do Teer-e-nazar hi kaafi hai talwaar rehne do
ThokroN ne sikha di dooniadaari achhi sach adhure chapeN haiN akhbaar rehne do
lamha-lamha bhari hai ruke-ruke se kadam Mere rabba kuchh din to eitwaar rehne do
Na dil hi mil saka na mizaz inka Hindustani jodo ka ka jawaab rehne do
Umr-e-daraaz kaat di jahan ka ho kar ya rab Ab zeest par apne mujhe haqdaar rehne do
Honthon pe larzish hai kuch to zabaan khuli hai Ghazal-e-zindagi na sahi ash-aar kehne do
Sizde meiN sir jhukaye tasveer ho chali kyun Khwahishon ka e ‘saru’ab ambaar rehne do
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Advo.RavinderaRavi
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«Reply #1 on: October 06, 2013, 02:57:57 AM » |
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ज़ुल्फ़ो के पेच-ओ-ख़म में गिरफ़्तार रहने दो तीर- ए- नज़र ही काफ़ी है तलवार रहने दो
ठोक़रों ने सिखा दी दुनियाँदारी अच्छी हाय सच अधूरे छापें हैं अख़बार रहने दो
लम्हा- लम्हा भारी है रुके- रुके से कदम मेरे रब्बा कुछ दिन तो इतवार रहने दो
ना दिल ही मिल सका ना मिज़ाज़ इनका हिंदुस्तानी जोड़ो का जवाब रहने दो
वाह वाह,क्या बात है भाई सुरेश जी.!!
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SURESH SANGWAN
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«Reply #2 on: October 06, 2013, 03:00:20 AM » |
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SURESH SANGWAN
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«Reply #4 on: October 06, 2013, 03:28:33 AM » |
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pawan16
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«Reply #5 on: October 06, 2013, 03:56:17 AM » |
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bhut bhut badiya!!!!!!!!!!
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Advo.RavinderaRavi
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«Reply #7 on: October 06, 2013, 03:59:21 AM » |
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sksaini4
Ustaad ae Shayari
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«Reply #9 on: October 06, 2013, 08:59:19 AM » |
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waah waah
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nandbahu
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«Reply #10 on: October 06, 2013, 09:40:48 AM » |
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bahut khoob
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saahill
Mashhur Shayar
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«Reply #11 on: October 06, 2013, 11:31:00 AM » |
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waah waah waah suresh ji waah waah waah waah
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F.H.SIDDIQUI
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«Reply #12 on: October 06, 2013, 11:32:40 AM » |
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beautifullllllllllllllll ! Congrats, Sangwan ji.
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khujli
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«Reply #14 on: October 06, 2013, 01:45:41 PM » |
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