एक बचपन का जमाना होता था.....

by pawan16 on July 19, 2012, 05:25:39 AM
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pawan16
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एक बचपन का जमाना होता था
वक्त बिताने का अपना एक बहाना होता था,
जब खेल -खेल मे घर बनाना होता था,
गुडडे - गुडियो से घर सजाना होता  था,
बिन एहसास के पुतलो को खाना खिलाना होता था,
इन पलो मे खुशियो का चुराना होता था,
पढाई कर बहार खेलने जाना होता था,
मम्मी को इसके लिये मनाना होता था,
पापा की डाट से पहले घर मे घुस जाना होता था
दीदी- भैया से लडाई पर रो जाना होता था,
रो कर मम्मी के बांहो मे सो जाना होता था
मोसम बदलने का अपना एक नजराना होता था,
बारिश मे अपनी नांव बनाकर दुर तक पहुंचाना होता था,
कभी नांव को पानी मे से उठाकर ले आना होता था,
अपनी दुर नांव पंहुच जाने पर जीत का जश्न मनाना होता था,
अपनी मस्ती अपना एक तराना होता था,
खेल कुद कर रात को थककर सो जाना होता था,
डरावने सपने आने पर मम्मी से लिपट जाना होता था,
जब सुबह उठ स्कूल जाना होता था,
दादा -दादी से पेसे कमाना होता था
उस एक रुपये का अपना एक फंसाना होता था,
छोटी-छोटी खुशियो मे जिंदगी को पाना होता था,
सच बचपन का अपना ही एक जमाना होता था................................पवन,


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sksaini4
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«Reply #1 on: July 19, 2012, 05:27:32 AM »
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bahut achhaa byaan kiyaa hai zindagee kaa bahut khoob
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gaytri gupta
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«Reply #2 on: July 19, 2012, 05:39:23 AM »
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wah kya khoob likha hai bachapan ka jamana....hme bhi yaad aa gaya wo jamana aur aankhian bhigo gay...
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soudagar
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«Reply #3 on: July 19, 2012, 06:05:47 AM »
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Kya baat hai pawan ji dhero salaam baar baar slam aapki is pesjkash ko............. Bht hi umda aur besqeemti qalaam likha aapne..... Bachpan ke wo haseen pal yaad aa gaye..... Bachpan ki wo neend jo maa ki goud mein aati thi phir aakhein bheego gai.......


 Bht hi lajawab shabd nahi ha byann krne ko....... Ek cadbury to bnti h is qalaam ke liye.
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soudagar
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«Reply #4 on: July 19, 2012, 06:06:26 AM »
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Kya baat hai pawan ji dhero salaam baar baar slam aapki is pesjkash ko............. Bht hi umda aur besqeemti qalaam likha aapne..... Bachpan ke wo haseen pal yaad aa gaye..... Bachpan ki wo neend jo maa ki goud mein aati thi phir aakhein bheego gai.......


 Bht hi lajawab shabd nahi ha byann krne ko....... Ek cadbury to bnti h is qalaam ke liye.
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pankajwfs
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«Reply #5 on: July 19, 2012, 06:19:48 AM »
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एक बचपन का जमाना होता था
वक्त बिताने का अपना एक बहाना होता था,
जब खेल -खेल मे घर बनाना होता था,
गुडडे - गुडियो से घर सजाना होता  था,
बिन एहसास के पुतलो को खाना खिलाना होता था,
इन पलो मे खुशियो का चुराना होता था,
पढाई कर बहार खेलने जाना होता था,
मम्मी को इसके लिये मनाना होता था,
पापा की डाट से पहले घर मे घुस जाना होता था
दीदी- भैया से लडाई पर रो जाना होता था,
रो कर मम्मी के बांहो मे सो जाना होता था
मोसम बदलने का अपना एक नजराना होता था,
बारिश मे अपनी नांव बनाकर दुर तक पहुंचाना होता था,
कभी नांव को पानी मे से उठाकर ले आना होता था,
अपनी दुर नांव पंहुच जाने पर जीत का जश्न मनाना होता था,
अपनी मस्ती अपना एक तराना होता था,
खेल कुद कर रात को थककर सो जाना होता था,
डरावने सपने आने पर मम्मी से लिपट जाना होता था,
जब सुबह उठ स्कूल जाना होता था,
दादा -दादी से पेसे कमाना होता था
उस एक रुपये का अपना एक फंसाना होता था,
छोटी-छोटी खुशियो मे जिंदगी को पाना होता था,
सच बचपन का अपना ही एक जमाना होता था................................पवन,



Waah pawan ji kite saral andaaz me bachpan ka eshsaas dila ti hui nazm per dheron daad qabool kariye.
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khwahish
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«Reply #6 on: July 19, 2012, 09:17:03 AM »
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एक बचपन का जमाना होता था
वक्त बिताने का अपना एक बहाना होता था,
जब खेल -खेल मे घर बनाना होता था,
गुडडे - गुडियो से घर सजाना होता  था,
बिन एहसास के पुतलो को खाना खिलाना होता था,
इन पलो मे खुशियो का चुराना होता था,
पढाई कर बहार खेलने जाना होता था,
मम्मी को इसके लिये मनाना होता था,
पापा की डाट से पहले घर मे घुस जाना होता था
दीदी- भैया से लडाई पर रो जाना होता था,
रो कर मम्मी के बांहो मे सो जाना होता था
मोसम बदलने का अपना एक नजराना होता था,
बारिश मे अपनी नांव बनाकर दुर तक पहुंचाना होता था,
कभी नांव को पानी मे से उठाकर ले आना होता था,
अपनी दुर नांव पंहुच जाने पर जीत का जश्न मनाना होता था,
अपनी मस्ती अपना एक तराना होता था,
खेल कुद कर रात को थककर सो जाना होता था,
डरावने सपने आने पर मम्मी से लिपट जाना होता था,
जब सुबह उठ स्कूल जाना होता था,
दादा -दादी से पेसे कमाना होता था
उस एक रुपये का अपना एक फंसाना होता था,
छोटी-छोटी खुशियो मे जिंदगी को पाना होता था,
सच बचपन का अपना ही एक जमाना होता था................................पवन,





Waah Waah waah......

Bahut bahut Khooob pawan Ji..Bahut Hi pyaari Aur Dil Ko chuti Nazm

Khoobsurat Aur Anmol jazbaat

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kamlesh.yadav001
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«Reply #7 on: July 19, 2012, 09:25:41 AM »
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bahut khoob
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mkv
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«Reply #8 on: July 19, 2012, 03:12:05 PM »
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Bahut hi khoobsurat najm hai pawan kee
aur jabardast bayaanee..
vaaah vaah
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nandbahu
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«Reply #9 on: July 22, 2012, 03:27:10 AM »
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bahut khoob
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Ghulam Haider
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«Reply #10 on: July 22, 2012, 03:46:29 AM »
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Bhai aap ne bachpan ki khoob a'kkasi ki hai, har baat ka aik alag maTlab nikalta hai. Aisa laga ke aap ne bachpan ki FF mode meN movie chalaa di ho. Kalaam ko khoob murattab kiya hai..daad HaaZ'ir hai.
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kalam k chalne ko zamaana paagalpan samajhta hai.

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«Reply #11 on: July 22, 2012, 09:48:39 AM »
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Applause Applause Applause Applause Applause  bahut bahut khoob likha hai apne Pawan ji....!!!
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amit_prakash_meet
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«Reply #12 on: July 22, 2012, 10:32:05 AM »
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bahut khoob Pawan ji, bachpan yaad aa gaya
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pawan16
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«Reply #13 on: July 31, 2012, 02:31:39 PM »
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thanks to all of u such type of appreciation........thanks a lot
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