क्षणिकाएं.............

by ramspathak on November 08, 2013, 02:43:22 AM
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ramspathak
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१-डर

भयातुर आँखें
शक की नज़रों से देखती सबको
विसंगतियों और क्रूरताओं से भरा यह समाज
कब क्या कर बैठे किसे पता

२-सत्य

जीवन एक तहखाना है
हम सब कैदी
जो ईश्वर से प्यार नहीं करता
वह बार बार यहाँ पटक दिया जाता है
और जो ईश्वर से प्यार करता है
वह हमेसा के लिए मुक्त हो जाता है

३-रहस्य

ये कैसा रहस्य है
सारी उन्मनता.
सारी व्यग्रता
सारी म्लानता
तुम्हारे नेह की तरलता में
घुल जाती है

४-पता है

पता है न
दर्पण सच बताता है
जब असत्य का दर्पण टूटेगा
खुद का विकृत चेहरा
क्या?देख पाओगे

५- माँ

जब मै छोटा था
आप ही कहती थी
मरने के बाद लोग तारे बन जाते है
रात भर जागता हूँ
उदास तारों के बीच
खोजता रहता हूँ
एक हँसते तारे को
शायद!
किसी एक तारे में
मेरी माँ हँसती हुई दिख जायॆ
*********************************
राम शिरोमणि पाठक "दीपक"
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sksaini4
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«Reply #1 on: November 08, 2013, 08:27:46 AM »
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Dineshkumarjonty
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«Reply #2 on: November 08, 2013, 09:52:35 AM »
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sir english pahle se hi kharab hai meri
ar kharab karvaoge kya

mujhe hindi bhut pasand hai.......
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zarraa
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«Reply #3 on: November 08, 2013, 12:13:07 PM »
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व।ह ! अति सु़ंदर पंक्तिय।ं हैं ---- बंध।ई र।म जी !
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Sudhir Ashq
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«Reply #4 on: November 08, 2013, 02:54:18 PM »
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suman59
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«Reply #5 on: November 08, 2013, 02:56:12 PM »
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srishti raj chintak
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«Reply #6 on: November 08, 2013, 04:58:10 PM »
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१-डर

भयातुर आँखें
शक की नज़रों से देखती सबको
विसंगतियों और क्रूरताओं से भरा यह समाज
कब क्या कर बैठे किसे पता

२-सत्य

जीवन एक तहखाना है
हम सब कैदी
जो ईश्वर से प्यार नहीं करता
वह बार बार यहाँ पटक दिया जाता है
और जो ईश्वर से प्यार करता है
वह हमेसा के लिए मुक्त हो जाता है

३-रहस्य

ये कैसा रहस्य है
सारी उन्मनता.
सारी व्यग्रता
सारी म्लानता
तुम्हारे नेह की तरलता में
घुल जाती है

४-पता है

पता है न
दर्पण सच बताता है
जब असत्य का दर्पण टूटेगा
खुद का विकृत चेहरा
क्या?देख पाओगे

५- माँ

जब मै छोटा था
आप ही कहती थी
मरने के बाद लोग तारे बन जाते है
रात भर जागता हूँ
उदास तारों के बीच
खोजता रहता हूँ
एक हँसते तारे को
शायद!
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मेरी माँ हँसती हुई दिख जायॆ
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मैं नियमित रुप से ऑन लाइन नही रहता, सौभाग्य से आज हूँ शायद आपकी रचना पढने को ही. उच्च्स्तरीय काव्य. "सत्य" परम् सत्य
है. हार्दिक बधाई
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