जैसे कल की बात है कोई

by RAJ SOLANKI on April 12, 2015, 04:10:51 PM
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RAJ SOLANKI
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घर का आँगन ,
माँ का चूल्हा
और बच्चों की,
वो किलकारी
सबकी ज़िद ,
वो पहली रोटी
मेरी सारी
मेरी सारी
माँ की झिडकी,
पिता का आना
सब बच्चों का ,
चुप हो जाना
लगता है उस चुप्पी में,
अब भी मेरे साथ है कोई,
जैसे कल की बात है कोई/

वो स्कूल ,
बचपन के साथी
खेल कूद ,
में शेर ओर हाथी
कक्षा में वो सिर चकराना
इमत्हान से ,मेरा घबराना
वो बरगद का पेड़
पेड से मेरी बातें
लगता है उन बातों में
बरगद अब भी साथ है कोई,
जैसे कल की बात है कोई/

वो गली का नुक्कड़ ,
नुक्कड़ की वो बातें
घर की छत पर
गरमी की ,अध जागी रातें
रातों के वो सपने
सपनों की वो रातें
किसी राह पर
यूँ ही रूक जाना उनका
आँखों का आँखो से
कुछ कह जाना उनकाc
लगता है इन आँखों में
अब भी मेरे साथ है कोई
जैसे कल की बात है कोई/

दीवाली की रात
दिये से दिये जलाना
पटाखों का शोर
माँ का यूँ ही डर जाना
होली की वो धूम
नये कुछ रंग बनाना
सबकी नज़र बचा
तुम्हारा रंग लगाना
जीवन के सारे रंगों में
तेरा रंग भी साथ है कोई
जैसे कल की बात है कोई/
भाई की उम्मीद
बहन की आशा
माँ का वो आशीष
पिता के मौन की भाषा
यारों का यकीन
और तेरी अभिलाषा
सम्बन्धों में बहते
जीवन की परिभाषा
जीवन की हर परिभाषा में
रिश्तों का भी साथ है कोई
जैसे कल की बात है कोई//

पीछे मेरे
छूट गये जो
मेरे अपने
रूठ गये जो
चाहत के
सारे ग़ुब्बारे
क्षण भर में ही
फूट गये जो
चाँद सितारों
की चाहत में
नाज़ुक सपने
टूट गये जो
उन सारे घायल सपनों में
तेरा स्वप्न भी साथ है कोई
जैसे कल की बात है कोई/
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sksaini4
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«Reply #1 on: April 12, 2015, 06:27:55 PM »
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waah waah bahut achhe
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surindarn
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«Reply #2 on: April 12, 2015, 08:57:13 PM »
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kyaaaaaa baaaaaaaaaaaaat hai waaaahhhhhhhhhhhhhhhhhhhhhh!!!!!
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mann.mann
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«Reply #3 on: April 13, 2015, 08:12:57 AM »
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nandbahu
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«Reply #4 on: April 13, 2015, 08:55:41 AM »
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«Reply #5 on: April 13, 2015, 10:47:13 AM »
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waaaaaaaahhhhhh
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amit.koc
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«Reply #6 on: April 13, 2015, 11:01:24 AM »
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शब्दों की कमी महसूस हो रही है, आपकी इस रचना की प्रशंसा करने के लिये. बहुत सुंदर .ढेरों दाद!!
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srishti raj chintak
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«Reply #7 on: April 14, 2015, 10:04:29 AM »
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घर का आँगन ,
माँ का चूल्हा
और बच्चों की,
वो किलकारी
सबकी ज़िद ,
वो पहली रोटी
मेरी सारी
मेरी सारी
माँ की झिडकी,
पिता का आना
सब बच्चों का ,
चुप हो जाना
लगता है उस चुप्पी में,
अब भी मेरे साथ है कोई,
जैसे कल की बात है कोई/

वो स्कूल ,
बचपन के साथी
खेल कूद ,
में शेर ओर हाथी
कक्षा में वो सिर चकराना
इमत्हान से ,मेरा घबराना
वो बरगद का पेड़
पेड से मेरी बातें
लगता है उन बातों में
बरगद अब भी साथ है कोई,
जैसे कल की बात है कोई/

वो गली का नुक्कड़ ,
नुक्कड़ की वो बातें
घर की छत पर
गरमी की ,अध जागी रातें
रातों के वो सपने
सपनों की वो रातें
किसी राह पर
यूँ ही रूक जाना उनका
आँखों का आँखो से
कुछ कह जाना उनकाc
लगता है इन आँखों में
अब भी मेरे साथ है कोई
जैसे कल की बात है कोई/

दीवाली की रात
दिये से दिये जलाना
पटाखों का शोर
माँ का यूँ ही डर जाना
होली की वो धूम
नये कुछ रंग बनाना
सबकी नज़र बचा
तुम्हारा रंग लगाना
जीवन के सारे रंगों में
तेरा रंग भी साथ है कोई
जैसे कल की बात है कोई/
भाई की उम्मीद
बहन की आशा
माँ का वो आशीष
पिता के मौन की भाषा
यारों का यकीन
और तेरी अभिलाषा
सम्बन्धों में बहते
जीवन की परिभाषा
जीवन की हर परिभाषा में
रिश्तों का भी साथ है कोई
जैसे कल की बात है कोई//

पीछे मेरे
छूट गये जो
मेरे अपने
रूठ गये जो
चाहत के
सारे ग़ुब्बारे
क्षण भर में ही
फूट गये जो
चाँद सितारों
की चाहत में
नाज़ुक सपने
टूट गये जो
उन सारे घायल सपनों में
तेरा स्वप्न भी साथ है कोई
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Bahut sundar daad
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