'दीपक' सो गई फुटपाथ पर थककर मेहनत ---------------------

by kavyadharateam on March 27, 2014, 04:07:17 PM
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kavyadharateam
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जब भी कोई बात डंके पे कही जाती है
न जाने क्यों ज़माने को अख़र जाती है

झूठ कहते हैं तो मुज़रिम करार देते हैं
सच कहते हैं तो बगा़वत कि बू आती है

फ़र्क कुछ भी नहीं अमीरी और ग़रीबी में
 अमीरी रोती है ग़रीबी मुस्कुराती है

अम्मा ! मुझे चाँद नही बस एक रोटी चाहिऐ
बिटिया ग़रीब की रह - रहकर बुदबुदाती है

'दीपक' सो गई फुटपाथ पर थककर मेहनत
इधर नींद कि खा़तिर हवेली छ्टपटाती है


@ Deepak Sharma
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sksaini4
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«Reply #1 on: March 27, 2014, 04:13:51 PM »
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waah waah
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khujli
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«Reply #2 on: March 27, 2014, 05:37:11 PM »
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जब भी कोई बात डंके पे कही जाती है
न जाने क्यों ज़माने को अख़र जाती है

झूठ कहते हैं तो मुज़रिम करार देते हैं
सच कहते हैं तो बगा़वत कि बू आती है

फ़र्क कुछ भी नहीं अमीरी और ग़रीबी में
 अमीरी रोती है ग़रीबी मुस्कुराती है

अम्मा ! मुझे चाँद नही बस एक रोटी चाहिऐ
बिटिया ग़रीब की रह - रहकर बुदबुदाती है

'दीपक' सो गई फुटपाथ पर थककर मेहनत
इधर नींद कि खा़तिर हवेली छ्टपटाती है


@ Deepak Sharma


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prashad
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«Reply #3 on: March 27, 2014, 06:48:57 PM »
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bahut khoob
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aqsh
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«Reply #4 on: March 27, 2014, 08:05:12 PM »
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Waaaaaaaaah... bahut khooooooob..
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amit_prakash_meet
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«Reply #5 on: March 27, 2014, 09:30:18 PM »
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waah....bahut khub.....
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jeet jainam
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«Reply #6 on: March 28, 2014, 12:53:51 AM »
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जब भी कोई बात डंके पे कही जाती है
न जाने क्यों ज़माने को अख़र जाती है

झूठ कहते हैं तो मुज़रिम करार देते हैं
सच कहते हैं तो बगा़वत कि बू आती है

फ़र्क कुछ भी नहीं अमीरी और ग़रीबी में
 अमीरी रोती है ग़रीबी मुस्कुराती है

अम्मा ! मुझे चाँद नही बस एक रोटी चाहिऐ
बिटिया ग़रीब की रह - रहकर बुदबुदाती है

'दीपक' सो गई फुटपाथ पर थककर मेहनत
इधर नींद कि खा़तिर हवेली छ्टपटाती है
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bohut khub waaaaaaaaaaaaahhhhhhhhh keep writing
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Advo.RavinderaRavi
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«Reply #7 on: March 28, 2014, 02:46:08 AM »
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जब भी कोई बात डंके पे कही जाती है
न जाने क्यों ज़माने को अख़र जाती है

झूठ कहते हैं तो मुज़रिम करार देते हैं
सच कहते हैं तो बगा़वत कि बू आती है

फ़र्क कुछ भी नहीं अमीरी और ग़रीबी में
 अमीरी रोती है ग़रीबी मुस्कुराती है

अम्मा ! मुझे चाँद नही बस एक रोटी चाहिऐ
बिटिया ग़रीब की रह - रहकर बुदबुदाती है

'दीपक' सो गई फुटपाथ पर थककर मेहनत
इधर नींद कि खा़तिर हवेली छ्टपटाती है


@ Deepak Sharma




बहुत खूब............................लाजवाब.!!
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nandbahu
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«Reply #8 on: March 28, 2014, 09:19:28 AM »
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kavyadharateam
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«Reply #9 on: April 09, 2014, 05:55:52 PM »
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dosto shukria
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