देखये! वक्त की विड़म्बना क्या हॉट है

by Ram Krishan Rastogi on July 14, 2016, 03:22:02 AM
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Ram Krishan Rastogi
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देखिये! वक्त की विड़म्बना क्या होती है
यहाँ दिन,वहाँ रात होती है
यहाँ जागते है,वहाँ नींद होती
यहाँ दिल होता है,वहाँ धड़कन होती है
यहाँ चलते है वहाँ आहट होती है
यहाँ चोट लगती है कलेजे पर
वहाँ दिल मे पेन होती है
ये जिन्दगी की भी अजीब दास्ताँ है
हमारी मुलाक़ात आखरी मोड़ पर होती है
देखये वक्त की क्या नजाकत होती है

बात यहाँ करते है सुनाई वहाँ देती है
तस्वीर यहाँ से भेजते है दिखाई वहा देती है
राहे भले ही दूर हो मंजिल पास होती है
मेसेज यहाँ टाइप होते है पढाई वहा होती है
इस वजह से, आग दोनों ओर लगी होती है
ये इन्टरनेट की खूबी जो सबको समझ होती है
राम का दिन यहाँ,वहा "संध्या" की संध्या होती है
देखये!वक्त की अब क्या होश्यारी होती है

मजहब दो है,पर उनकी सीख तो एक होती है
भाषाये दो है,पर उनकी समझ तो एक होती है
फूल अलग अलग है पर उनकी खश्बू एक होती है
नर नारी अलग अलग है पर उनकी इच्छा एक होती है
सबकी कहानी अलग अलग पर जिन्दगी एक होती है
प्यार करना है आसां,पर निभाने में मुश्किल होती है
चेहरे चेहरे अलग अलग है पर आत्मा एक होती है
भारत की विशेषता है अनेकता में एकता होती है

राम और श्याम  



 
 

यहाँ चोट लगती है,वहाँ पैन होत    
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«Reply #1 on: July 14, 2016, 03:24:02 AM »
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देखिये! वक्त की क्या विड़म्बना होती है ?
यहाँ दिन,वहाँ रात होती है
यहाँ जागते है,वहाँ नींद होती
यहाँ दिल होता है,वहाँ धड़कन होती है
यहाँ चलते है वहाँ आहट होती है
यहाँ चोट लगती है कलेजे पर
वहाँ दिल मे पेन होती है
ये जिन्दगी की भी अजीब दास्ताँ है
हमारी मुलाक़ात आखरी मोड़ पर होती है
देखये वक्त की क्या नजाकत होती है

बात यहाँ करते है सुनाई वहाँ देती है
तस्वीर यहाँ से भेजते है दिखाई वहा देती है
राहे भले ही दूर हो मंजिल पास होती है
मेसेज यहाँ टाइप होते है पढाई वहा होती है
इस वजह से, आग दोनों ओर लगी होती है
ये इन्टरनेट की खूबी जो सबको समझ होती है
राम का दिन यहाँ,वहा "संध्या" की संध्या होती है
देखये!वक्त की अब क्या होश्यारी होती है

मजहब दो है,पर उनकी सीख तो एक होती है
भाषाये दो है,पर उनकी समझ तो एक होती है
फूल अलग अलग है पर उनकी खश्बू एक होती है
नर नारी अलग अलग है पर उनकी इच्छा एक होती है
सबकी कहानी अलग अलग पर जिन्दगी एक होती है
प्यार करना है आसां,पर निभाने में मुश्किल होती है
चेहरे चेहरे अलग अलग है पर आत्मा एक होती है
भारत की विशेषता है अनेकता में एकता होती है

राम और श्याम  



 
  

    
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Sps
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«Reply #2 on: July 14, 2016, 07:15:36 AM »
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varied topics uthaye hain aapne, technology, religion sab...
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«Reply #3 on: July 14, 2016, 08:56:05 AM »
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श्री एस.पी.एस साहिब ,हौशला अफजाई के लिये शुक्रिया| शायर या कवि के पास और भी क्या रक्खा है सिवाय मुद्दे उठाने के लिए | वह तो जो समाज में देखता है उस पर लिख देता है अपना शौक पूरा करने के लिए |
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surindarn
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«Reply #4 on: July 14, 2016, 08:42:27 PM »
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waah waah bahut khoob, alag alag moods kaa naam zindagi hoti hai.
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«Reply #5 on: July 15, 2016, 04:42:16 AM »
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श्री सुरिन्द्रण साहिब जी, ये जिन्दगी तो रंग बिरंगी है, इसमें गम भी है और ख़ुशी भी है,आज की जिंदगी में इन्टरनेट भी है प्रॉपर कम्युनिकेशन भी है,अगर भारत को देखे,यहाँ अनेकता में एकता है, अगर नेचर को देखे तो इसमें भी अनेकता में भी एकता है|इन्टरनेट ने तो हमारी जिन्दगी ही बदल दी है,देखिये मै आपसे किती दूर से बातचीत कर रहा अपने फन को दुनिया को बाट रहा हूँ  आप एस बारे में अपने विचार वयक्त करे|
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nandbahu
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«Reply #6 on: July 20, 2016, 10:30:11 AM »
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«Reply #7 on: July 20, 2016, 02:01:10 PM »
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Shri Nand bahu ji bahut bahut shukriya
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With a Quick-Reply you can use bulletin board code and smileys as you would in a normal post, but much more conveniently.


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