दौर-ए-ज़िन्दगी "ख्वाहिश".........

by khwaish on December 05, 2016, 04:05:55 PM
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जो कोई दवा ना दे सके वो सिर्फ मशवरा दे कर गुज़र चले....
यह ही दौर-ए-ज़िन्दगी है सब अपनी-अपनी राह,अपने सफर चले


दिल सब कुछ जुबां पे ले आया पर फिर भी तुझ से शिकायत ना की
सोचता हूँ इस जहां में ना जाने कितने दर्द-ए-दिल, दर्द-ए-जिगर चले


मेरे हिस्से का अँधेरा कहता है मुझ से के अभी सवेरा बहुत दूर है
मैं कहता हूँ...."तू ख़तम तो ज़रूर होगा हम भी इसी उम्मीद पर चले"


एक फ़क़त ख्वाहिशों का काफिला है जो कभी थमता ही नहीं
ना पूछ इन ख्वाहिशों के लिए मुसाफिर किस राह,किस डगर चले


मैं तनहा रह कर भी किसी भरी महफ़िल का हिस्सा बन सकता हूँ
कौन जानता है मुस्कुराने वाले भी कभी टूट कर अंदर से बिखर चले


ज़ुबान से कुछ कह ना पर गर तू मेरे हाल का ख्याल करे यह भी बहुत है....!!!!
"ख्वाहिश" लोग ऐसे भी है...जो साथ रह कर अपनों के ही ग़म से अक्सर बेख़बर चले


             ~~~~~ख्वाहिश~~~~~~~
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«Reply #1 on: December 05, 2016, 10:15:34 PM »
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Kyaa baat hai Khwahish Sahib, bas waah hee waaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaah.
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«Reply #2 on: December 07, 2016, 06:44:57 AM »
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जो कोई दवा ना दे सके वो सिर्फ मशवरा दे कर गुज़र चले....
यह ही दौर-ए-ज़िन्दगी है सब अपनी-अपनी राह,अपने सफर चले


दिल सब कुछ जुबां पे ले आया पर फिर भी तुझ से शिकायत ना की
सोचता हूँ इस जहां में ना जाने कितने दर्द-ए-दिल, दर्द-ए-जिगर चले


मेरे हिस्से का अँधेरा कहता है मुझ से के अभी सवेरा बहुत दूर है
मैं कहता हूँ...."तू ख़तम तो ज़रूर होगा हम भी इसी उम्मीद पर चले"


एक फ़क़त ख्वाहिशों का काफिला है जो कभी थमता ही नहीं
ना पूछ इन ख्वाहिशों के लिए मुसाफिर किस राह,किस डगर चले


मैं तनहा रह कर भी किसी भरी महफ़िल का हिस्सा बन सकता हूँ
कौन जानता है मुस्कुराने वाले भी कभी टूट कर अंदर से बिखर चले


ज़ुबान से कुछ कह ना पर गर तू मेरे हाल का ख्याल करे यह भी बहुत है....!!!!
"ख्वाहिश" लोग ऐसे भी है...जो साथ रह कर अपनों के ही ग़म से अक्सर बेख़बर चले


             ~~~~~ख्वाहिश~~~~~~~



waaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaa aaaaaaaaah janaab rau ke saath istaqbal aap kaa Applause Applause Applause Applause Applause Applause
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«Reply #3 on: December 07, 2016, 04:20:20 PM »
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waah waah bahut umdaa waah
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