zarraa
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नज़्म: अज़्म-ए-सफ़र
दिल सख़्त करके चलना, आहों को थाम चलना कोई रिक़ाब* पर हो, तुम बे-लगाम चलना जो रास्ता कठिन हो, तो ख़ुश-ख़िराम* चलना जो रहगुज़र हो लम्बी, तो तेज़-गाम* चलना कुछ लोग चल रहे हैं, शायद तुम्हारे पीछे तुम उनके नाम चलना, तुम अपने नाम चलना जब हम-सफ़र हों दुश्मन, जब रहनुमा* हो बरहम* रुकना नहीं तुम उनको, देकर सलाम चलना ये शम्स* और क़मर* तो, चलते हैं वक़्त के साथ तुम क़ब्ल*-ए-सुब्ह चलना, तुम बाद-ए-शाम चलना लुत्फ़-ए-सफ़र को छोड़ो, रख़्त*-ए-सफ़र को फूंको अज़्म*-ए-सफ़र का करके, बस इंतज़ाम चलना “ज़र्रा” यहां पे मंज़िल, किसको हुई है हासिल तुम बे-क़याम* चलना, तुम बे-मक़ाम चलना
- ज़र्रा
* रिक़ाब = काठी ख़ुश-ख़िराम = मस्ताना चाल तेज़-गाम = तीव्र गति रहनुमा = मार्ग-दर्शक बरहम = क्रुद्ध शम्स = सूरज क़मर = चांद क़ब्ल = पहले रख़्त = सामान अज़्म = संकल्प बे-क़याम = बिना रुके nazm: azm-e-safar
dil saKHt karke chalna, aahoN ko thaam chalna koi riqaab* par ho, tum be-lagaam chalna jo raasta kaTHin ho, to KHush-KHiraam* chalna jo rehguzar ho lambi, to tez-gaam* chalna kuchh log chal rahe haiN, shaayad tumhaare peechhe tum unke naam chalna, tum apne naam chalna jab ham-safar hoN dushman, jab rehnuma* ho barham* rukna naheeN tum unko, dekar salaam chalna ye shams* aur qamar* to, chalte haiN vaqt ke saath tum qabl*-e-subh chalna, tum baad-e-shaam chalna lutf-e-safar ko chhoDo, raKHt*-e-safar ko phooNko azm*-e-safar ka karke, bas intzaam chalna “zarraa” yahaaN pe manzil, kisko hui hai haasil tum be-qayaam* chalna, tum be-maqaam chalna
- zarraa
* riqaab = saddle KHush-KHiraam = elegant walk tez-gaam = fast steps rehnuma = guide barham = angry shams = sun qamar = moon qabl = before raKHt = luggage azm = determination be-qayaam = without stopping
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