SURESH SANGWAN
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फूल में महक जबां पे फूलों का सिलसिला चाहिए इक छोटा सा मक़ां हो न महल ना क़िला चाहिए
वही खिड़की वही मंज़र सूना सा गलियारे का एक़ झरोखा चौराहे से घर का मिला चाहिए
शौख - हवाओं से कह दो गर गुज़रें इधर से तो शाख ही नहिं हर पत्ता दिल-ए-शज़र का हिला चाहिए
चमकती चीज़ पर जाती है हर नज़र ज़माने की बेशक़ दर्द रह जाए पर दाग़-ए-दिल धुला चाहिए
जिस को देखकर जीते हैं इस बेनूर दुनियाँ में उस शख़्स का चेहरा हरदम गुलसा खिला चाहिए
हँसी चेहरा न तोहफ़ा कोइ हीरे -मोती का कुछ और नहीं बस तुमसे वफ़ाओं का सिला चाहिए
दिल क्या तुम जान भी माँगो तो दे दें लेकिन दोस्ती में 'सरु' को शिकवा न कोइ गिला चाहिए
Phool mein mehak zabaan pe phoolon ka silsila chahiye Ek chhota saa makaan ho naa mahal naa qilaa chahiye
Vahi khidki vahi manjar soona sa galiyaare ka Ek jharokha chauraahe se ghar ka amila achahiye
Shaukh hawaaon se keh do gar gujrein idhar se to Shakh hi nahin har patta Dil-e-shazar ka hila chahiye
Chamakti cheez par jaati hai har nazar zamaane ki Beshaq dard reh jaye par daag-e-dil dhula chahiye
Jisko dekhkar jeete hain iss benoor doonian mein Uss shakhs ka hehra hardam gul sa khila chahiye
Hansi chehra na tohfa koi heere moti kaa Kuch aur nahin bas tumse wafaon ka sila chahiye
Dil kya tum jaan bhi maango tau de dein lekin Dosti mein ‘saru’ ko shikwa na koi gila chahiye
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sksaini4
Ustaad ae Shayari
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«Reply #1 on: November 21, 2013, 08:28:26 PM » |
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bahut khoob tumhaaraa rau due hai kal doongaa dheron daad
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SURESH SANGWAN
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«Reply #2 on: November 21, 2013, 08:30:39 PM » |
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khujli
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«Reply #3 on: November 21, 2013, 08:40:39 PM » |
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SURESH SANGWAN
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«Reply #4 on: November 21, 2013, 08:48:43 PM » |
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aqsh
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«Reply #5 on: November 21, 2013, 09:05:58 PM » |
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SURESH SANGWAN
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«Reply #6 on: November 21, 2013, 09:09:37 PM » |
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Iftakhar Ahmad
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«Reply #7 on: November 21, 2013, 10:00:26 PM » |
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Waah Saru jee bahut khoob.
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khamosh_aawaaz
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«Reply #8 on: November 21, 2013, 10:05:39 PM » |
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फूल में महक जबां पे फूलों का सिलसिला चाहिए इक छोटा सा मक़ां हो न महल ना क़िला चाहिए
वही खिड़की वही मंज़र सूना सा गलियारे का एक़ झरोखा चौराहे से घर का मिला चाहिए
शौख - हवाओं से कह दो गर गुज़रें इधर से तो शाख ही नहिं हर पत्ता दिल-ए-शज़र का हिला चाहिए
चमकती चीज़ पर जाती है हर नज़र ज़माने की बेशक़ दर्द रह जाए पर दाग़-ए-दिल धुला चाहिए
जिस को देखकर जीते हैं इस बेनूर दुनियाँ में उस शख़्स का चेहरा हरदम गुलसा खिला चाहिए
हँसी चेहरा न तोहफ़ा कोइ हीरे -मोती का कुछ और नहीं बस तुमसे वफ़ाओं का सिला चाहिए
दिल क्या तुम जान भी माँगो तो दे दें लेकिन दोस्ती में 'सरु' को शिकवा न कोइ गिला चाहिए
naaaaaaaaaaaaaaaice-SS
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ambalika sharma
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«Reply #9 on: November 21, 2013, 10:17:40 PM » |
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nice suresh.bahut khoob
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Saman Firdaus
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«Reply #10 on: November 21, 2013, 10:48:45 PM » |
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फूल में महक जबां पे फूलों का सिलसिला चाहिए इक छोटा सा मक़ां हो न महल ना क़िला चाहिए
Beautifullll...
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SURESH SANGWAN
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«Reply #11 on: November 22, 2013, 12:37:42 AM » |
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Thanks saman dear...... फूल में महक जबां पे फूलों का सिलसिला चाहिए इक छोटा सा मक़ां हो न महल ना क़िला चाहिए
Beautifullll...
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Shihab
Yoindian Shayar
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Maut To Ek Shuruaat Hai...
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«Reply #12 on: November 22, 2013, 01:22:43 AM » |
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फूल में महक जबां पे फूलों का सिलसिला चाहिए इक छोटा सा मक़ां हो न महल ना क़िला चाहिए Shad o Aabaad Rahiye Shihab
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jeet jainam
Khaas Shayar
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my rule no type no life and ,i m happy single
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«Reply #14 on: November 22, 2013, 01:38:08 AM » |
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