मैं कही भी नहीं हूँ

by Rajnish.raaj on June 01, 2019, 06:29:30 AM
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Rajnish.raaj
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जाने कब से मैं सिर्फ़ अपने आप को ढूँढता रहा ,
अपने बिखेर जज़्बातों को लफ़्ज़ों में समेटता रहा।

कहाँ - कहाँ नहीं ख़ुद को ढूँढा मैंने

कभी पुरानी डायरी के पन्नो में
कहीं कुछ बिखेर काग़ज़ के टूकरो में
कभी उन बचपन की गलियों में
कभी एक उदास सी शाम में

फिर भी मैं खोया सा रहा
मैं जगा और ये जहाँ सोया सा रहा

फिर ढूँढने चला अपने लिए नींद मैं
ख़ुद को सम्हालने के लिए उम्मीद लिए
कुछ खट्टे मीठे यादों में डूबते हुए
फिर से एक बार खो गया मैं

क्या करूँ

ख़ुद से जंग जो जितना था मुझे
या फिर शायद हारना था मुझे
चलता रहा जंग दिल ओ दिमाग़ में
थोड़ा और जो टूट के बिखरना था मुझे

कुछ अपने अरमान के लिए
कुछ झूठे शान के लिए
यहाँ तक अपने ही नाम के लिए
कुछ लोगों के एहसान के लिए।


इन सब के बीच मैं कही भी नहीं था

थी कुछ लोगों की ख़्वाहिशें
कुछ उनकी अपनी ज़रूरतें
मैं क्या सोचता हूँ इस से कोई फ़र्क़ नहीं साहब
हर एक दिन जैसे मेरे लिये आज़माइशें

लोग ख़ुश हो जाएँगे मुझे बिखरता देख कर
अपने ख़्वाहिशों को मुझ से संवरता देख कर
और मैं यूँ ही जल जल के मुस्कुराता रहूँगा
हौले हौले से ख़ुद को मिटाता रहूँगा


और एक दिन वो बहुत ख़ुश हो जाएँगे



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«Reply #1 on: June 01, 2019, 06:34:02 PM »
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जाने कब से मैं सिर्फ़ अपने आप को ढूँढता रहा ,
अपने बिखेर जज़्बातों को लफ़्ज़ों में समेटता रहा।

कहाँ - कहाँ नहीं ख़ुद को ढूँढा मैंने

कभी पुरानी डायरी के पन्नो में
कहीं कुछ बिखेर काग़ज़ के टूकरो में
कभी उन बचपन की गलियों में
कभी एक उदास सी शाम में

फिर भी मैं खोया सा रहा
मैं जगा और ये जहाँ सोया सा रहा

फिर ढूँढने चला अपने लिए नींद मैं
ख़ुद को सम्हालने के लिए उम्मीद लिए
कुछ खट्टे मीठे यादों में डूबते हुए
फिर से एक बार खो गया मैं

क्या करूँ

ख़ुद से जंग जो जितना था मुझे
या फिर शायद हारना था मुझे
चलता रहा जंग दिल ओ दिमाग़ में
थोड़ा और जो टूट के बिखरना था मुझे

कुछ अपने अरमान के लिए
कुछ झूठे शान के लिए
यहाँ तक अपने ही नाम के लिए
कुछ लोगों के एहसान के लिए।


इन सब के बीच मैं कही भी नहीं था

थी कुछ लोगों की ख़्वाहिशें
कुछ उनकी अपनी ज़रूरतें
मैं क्या सोचता हूँ इस से कोई फ़र्क़ नहीं साहब
हर एक दिन जैसे मेरे लिये आज़माइशें

लोग ख़ुश हो जाएँगे मुझे बिखरता देख कर
अपने ख़्वाहिशों को मुझ से संवरता देख कर
और मैं यूँ ही जल जल के मुस्कुराता रहूँगा
हौले हौले से ख़ुद को मिटाता रहूँगा


और एक दिन वो बहुत ख़ुश हो जाएँगे


Aap ne achhaa likhaa hai achhaa ehsaas hai, Dheron daad. Khud se mulaakaat kee hai, kuchh lambi mulaakaat kee hai, Apnaa bojj bharhaane kee hee baat kee hai.
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«Reply #2 on: June 11, 2019, 09:08:19 AM »
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«Reply #3 on: June 15, 2019, 10:37:18 AM »
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जाने कब से मैं सिर्फ़ अपने आप को ढूँढता रहा ,
अपने बिखेर जज़्बातों को लफ़्ज़ों में समेटता रहा।

कहाँ - कहाँ नहीं ख़ुद को ढूँढा मैंने

कभी पुरानी डायरी के पन्नो में
कहीं कुछ बिखेर काग़ज़ के टूकरो में
कभी उन बचपन की गलियों में
कभी एक उदास सी शाम में

फिर भी मैं खोया सा रहा
मैं जगा और ये जहाँ सोया सा रहा

फिर ढूँढने चला अपने लिए नींद मैं
ख़ुद को सम्हालने के लिए उम्मीद लिए
कुछ खट्टे मीठे यादों में डूबते हुए
फिर से एक बार खो गया मैं

क्या करूँ

ख़ुद से जंग जो जितना था मुझे
या फिर शायद हारना था मुझे
चलता रहा जंग दिल ओ दिमाग़ में
थोड़ा और जो टूट के बिखरना था मुझे

कुछ अपने अरमान के लिए
कुछ झूठे शान के लिए
यहाँ तक अपने ही नाम के लिए
कुछ लोगों के एहसान के लिए।


इन सब के बीच मैं कही भी नहीं था

थी कुछ लोगों की ख़्वाहिशें
कुछ उनकी अपनी ज़रूरतें
मैं क्या सोचता हूँ इस से कोई फ़र्क़ नहीं साहब
हर एक दिन जैसे मेरे लिये आज़माइशें

लोग ख़ुश हो जाएँगे मुझे बिखरता देख कर
अपने ख़्वाहिशों को मुझ से संवरता देख कर
और मैं यूँ ही जल जल के मुस्कुराता रहूँगा
हौले हौले से ख़ुद को मिटाता रहूँगा


और एक दिन वो बहुत ख़ुश हो जाएँगे






Bahut Bahut Aur Bahut Khooob...!!!!!

Zindagi Se Juude Jazbaat...Kuch Aap Beeti,Kuch Jug Beeti... Umda Bayaani....


 Clapping Smiley Clapping Smiley Clapping Smiley Clapping Smiley Clapping Smiley Clapping Smiley Clapping Smiley Clapping Smiley Clapping Smiley Clapping Smiley Clapping Smiley Clapping Smiley Clapping Smiley Clapping Smiley Clapping Smiley Clapping Smiley Clapping Smiley Clapping Smiley Clapping Smiley Clapping Smiley Clapping Smiley Clapping Smiley Clapping Smiley Clapping Smiley Clapping Smiley Clapping Smiley Clapping Smiley Clapping Smiley Clapping Smiley Clapping Smiley Clapping Smiley Clapping Smiley
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