ये इश्क, ये रिश्ते... " ऋषि "

by Rishi Agarwal on July 07, 2014, 05:16:40 PM
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Rishi Agarwal
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ढाई अक्षर से बना ये प्यार, ये इश्क, ये रिश्ते,
जिसकी विरह वेदना कोई समझ नही पाता,
जिसको मिल जाये मोहब्बत वो उसकी कद्र नहीं कर पाता,
दर्द का खमीर जब उठता हैं उसकी जुदाई में,
गिरते आंसुओ का सैलाब हर किसी को लुभा नहीं सकता..

रोज नए रिश्ते जुड़ते हैं और टूट जाते हैं,
हर किसी को अपने विचारों जैसा मिले, ये सम्भव नहीं होता,
पर ये भी सत्य हैं
एक जैसे विचार वालें किसी भी रिश्ते की
गहराई और उसकी सच्चाई का मापन नहीं कर सकता,


एक हकीकत ये भी हैं
कड़वा जो बोलता हैं वो किसी को पसंद नही आता
क्यूंकि वो आपके अंदर की कमियां आपके सामने लाता हैं,
और जो सिर्फ आपकी खामियों को छुपाये और उसपे भी मख्खन लगायें
उसे अपना मानना ये गलत हो सकता हैं

कभी कभी सुनने में आता हैं किसी रिश्ते में,
तुम मुझे समझ नही सकते, या समझना नहीं चाहते,
हकीकत ये हैं
जब अपनों की भीड़ पसरी हो चारों और तो किसी की मोहब्बत
किसी का अपनापन आपको समझ आएगा कैसे
रिश्ते तब समझ आते हैं जब अपने सपने हो जाते हैं..


झगड़ा, गुस्सा .. ये हर रिश्ते में हैं,
पर ये ही रिश्ते की असली पहचान भी कराते हैं,
जो रिश्ता शान्तिपूर्वक चलता हैं वो रिश्ता किसी ना किसी मोड़ पे
डगमगा जाता हैं पर सत्य यह हैं की
गुस्सा और झगड़ा अपनों से ही होता हैं बैगानो से तो युद्ध होता हैं


रिश्ते तो हर कोई बना लेता हैं,
पर उसको जिन्दगी भर निभाने की चाहत हर किसी की नहीं होती,
सब दम भरते हैं मोहब्बत के, पर मोहब्बत हैं क्या
ये हर किसी को समझ नहीं आ सकता
क्यूंकि ये दुनिया बनावटी चेहरों से चलती हैं मोहब्बत से नही..

आज इस दुनिया की हकीकत ये हैं,
झूठ से आप किसी से रिश्ता बना लो आपको वो बेहद प्यार देगा,
पर सच बोल कर आप किसी से अपनेपन की उम्मदी करो ये जायज नही
क्यूंकि दुनिया भ्रम में जीना पसंद करती हैं सच में नहीं..


मैं बस यही कहूँगा,
कद्र करों उनकी जो आपको अपना कहते हैं,
जो आपसे रिश्ता, प्यार निभाना चाहते हैं,
छलावें के रिश्ते तो हर कोई बना लेगा,
पर कोई आपका हाथ थामे, आपका साथ निभाएं
ऐसे इन्सान हर डगर पे मिल नहीं सकते ..


जो आपसे सच बोले, उससे मोहब्बत करना सीखो,
जो आपके दुःख में साथ खड़ा हो, उससे मोहब्बत करना सीखो,
जो आपकी कमियां आपको बताएं, उससे मोहब्बत करना सीखो,
जो कड़वा बोले पर आपके हक का बोले, उससे मोहब्बत करना सीखो,
जो आपकी विरह वेदना समझे, उससे मोहब्बत करना सीखो
जो आपसे बात करने को तरसे, उससे मोहब्बत करना सीखो..
जो आपको अपनापन दे, उसे अपनापन देना सीखो

इश्क उसी से फरमाओ जो प्यार दें,
जिल्लत का प्यार सही नहीं हैं यारों




१९ जून २०१४
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«Reply #1 on: July 07, 2014, 06:14:00 PM »
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«Reply #2 on: July 07, 2014, 07:02:59 PM »
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«Reply #3 on: July 07, 2014, 11:03:13 PM »
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waah waah bahut khoob
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