प्रभु की सोच...

by anmolarora on January 07, 2013, 12:05:23 PM
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anmolarora
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प्रभु की सोच...

एक बच्चा अपनी मां के साथ टॉफियों की एक
दुकान पर पहुंचा। वहां अनेक जारों में अनेक तरह
की टॉफियां सजी हुई थीं। बच्चे की आंखें उन
टॉफियों को देखकर ललचा रही थीं। दुकानदार
को स्नेह उमड़ आया, उसने कहा, बेटे, तुम्हें
जो भी टॉफी पसंद आ रही हो, वह बेझिझक ले
सकते हो।
बच्चे ने कहा, नहीं। दुकानदार ने बच्चे
को हैरानी से देखा और फिर समझाते हुए कहा, मैं
तुमसे पैसे नहीं लूंगा। अब तो तुम अपनी पसंद
की टॉफी ले सकते हो।
दुकान पर बच्चे के साथ उसकी मां भी थी। उसने
कहा, ठीक है बेटे, अंकल कह रहे हैं, तो ले लो।
लेकिन बच्चे ने फिर भी मना कर दिया। मां और
दुकानदार को वजह समझ में नहीं आई। फिर
दुकानदार को एक नया उपाय सूझा, उसने स्वयं
जार में हाथ डाला और बच्चे की तरफ
मुट्ठी बढ़ाई। बच्चे ने झट से अपने स्कूल के
बस्ते में सारी की सारी टॉफियां डलवा लीं।
दुकान से बाहर आने पर मां ने बच्चे से कहा, बड़ा अजीब
लड़का है तू। जब तुझे टॉफियां लेने
को कहा तब तो मना कर दिया और जब दुकानदार
अंकल ने टॉफियां दीं तो मजे से ले लीं। बच्चे ने
मां को समझाया, मेरी मुट्ठी बहुत ही छोटी है,
दुकानदार की मुट्ठी बड़ी है। मैं लेता तो कम
मिलतीं, उसने दीं तो बड़ी मुट्ठी भर कर दीं।

यही हाल आज के मनुष्य का है। हमारी सोच
बड़ी छोटी है; और प्रभु की सोच बहुत बड़ी है।
आज से 25 वर्ष पहले यदि आपको अपनी इच्छाओं
की सूची बनाने को कहा जाता कि आपकी जिन-जिन
वस्तुओं की इच्छा है उसे लिखो। तो शायद उस समय
जो लिखते, वह आज के संदर्भ में बहुत ही तुच्छ
होता।
आज आपको प्रभु ने या प्रकृति ने इतना कुछ
दिया है, जो आपकी सोच से कहीं बड़ा है। अपने
आसपास पड़ी वस्तुओं की तरफ नजर घुमाकर
देखें और सोचें, जिन वस्तुओं को आप
सहजता से भोग रहे हैं, वे कई साल पहले
आपकी सोच में भी नहीं थीं। इसलिए हमारी सोच
बहुत छोटी है तथा प्रभु की सोच हमारे लिए बहुत
व्यापक है।

.....unknown ....
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aqsh
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«Reply #1 on: January 07, 2013, 01:30:04 PM »
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bilkul sahi kaha hai.it was really inspiring one to all. thnx for sharing it anmol jee
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suman59
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«Reply #2 on: January 07, 2013, 01:37:00 PM »
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sksaini4
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«Reply #3 on: January 07, 2013, 03:01:20 PM »
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bahut khoob
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MANOJ6568
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«Reply #4 on: January 07, 2013, 08:13:01 PM »
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प्रभु की सोच...

एक बच्चा अपनी मां के साथ टॉफियों की एक
दुकान पर पहुंचा। वहां अनेक जारों में अनेक तरह
की टॉफियां सजी हुई थीं। बच्चे की आंखें उन
टॉफियों को देखकर ललचा रही थीं। दुकानदार
को स्नेह उमड़ आया, उसने कहा, बेटे, तुम्हें
जो भी टॉफी पसंद आ रही हो, वह बेझिझक ले
सकते हो।
बच्चे ने कहा, नहीं। दुकानदार ने बच्चे
को हैरानी से देखा और फिर समझाते हुए कहा, मैं
तुमसे पैसे नहीं लूंगा। अब तो तुम अपनी पसंद
की टॉफी ले सकते हो।
दुकान पर बच्चे के साथ उसकी मां भी थी। उसने
कहा, ठीक है बेटे, अंकल कह रहे हैं, तो ले लो।
लेकिन बच्चे ने फिर भी मना कर दिया। मां और
दुकानदार को वजह समझ में नहीं आई। फिर
दुकानदार को एक नया उपाय सूझा, उसने स्वयं
जार में हाथ डाला और बच्चे की तरफ
मुट्ठी बढ़ाई। बच्चे ने झट से अपने स्कूल के
बस्ते में सारी की सारी टॉफियां डलवा लीं।
दुकान से बाहर आने पर मां ने बच्चे से कहा, बड़ा अजीब
लड़का है तू। जब तुझे टॉफियां लेने
को कहा तब तो मना कर दिया और जब दुकानदार
अंकल ने टॉफियां दीं तो मजे से ले लीं। बच्चे ने
मां को समझाया, मेरी मुट्ठी बहुत ही छोटी है,
दुकानदार की मुट्ठी बड़ी है। मैं लेता तो कम
मिलतीं, उसने दीं तो बड़ी मुट्ठी भर कर दीं।

यही हाल आज के मनुष्य का है। हमारी सोच
बड़ी छोटी है; और प्रभु की सोच बहुत बड़ी है।
आज से 25 वर्ष पहले यदि आपको अपनी इच्छाओं
की सूची बनाने को कहा जाता कि आपकी जिन-जिन
वस्तुओं की इच्छा है उसे लिखो। तो शायद उस समय
जो लिखते, वह आज के संदर्भ में बहुत ही तुच्छ
होता।
आज आपको प्रभु ने या प्रकृति ने इतना कुछ
दिया है, जो आपकी सोच से कहीं बड़ा है। अपने
आसपास पड़ी वस्तुओं की तरफ नजर घुमाकर
देखें और सोचें, जिन वस्तुओं को आप
सहजता से भोग रहे हैं, वे कई साल पहले
आपकी सोच में भी नहीं थीं। इसलिए हमारी सोच
बहुत छोटी है तथा प्रभु की सोच हमारे लिए बहुत
व्यापक है।

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nandbahu
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«Reply #5 on: January 08, 2013, 05:49:01 AM »
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anmolarora
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«Reply #6 on: February 09, 2013, 12:01:34 PM »
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bilkul sahi kaha hai.it was really inspiring one to all. thnx for sharing it anmol jee
sukriya aqsh ji
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anmolarora
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«Reply #7 on: February 09, 2013, 12:01:59 PM »
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v.nice
thnkx suman ji
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anmolarora
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«Reply #8 on: February 09, 2013, 12:02:27 PM »
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bahut khoob
aap ka bahut bahut sukriya sk saini ji
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anmolarora
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«Reply #9 on: February 09, 2013, 12:02:53 PM »
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gd
sukriya manoj ji aap ka
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anmolarora
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«Reply #10 on: February 09, 2013, 12:03:21 PM »
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very nice
tah dil se sukriya nand bahu ji
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«Reply #11 on: February 11, 2013, 07:07:20 AM »
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very nice
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«Reply #12 on: February 22, 2013, 07:08:15 PM »
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very nice
sukriya shubham ji
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With a Quick-Reply you can use bulletin board code and smileys as you would in a normal post, but much more conveniently.


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