स्वतंत्रता दिवस १५ अगस्त पर विशेष ....................अरुण मिश्र

by arunmishra on August 14, 2011, 05:17:20 PM
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arunmishra
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ऐ तिरंगे ! तू जहॉ में हिन्द की पहचान है....

-अरुण मिश्र

ऐ  तिरंगे !  तू  जहॉ   में,  हिन्द  की   पहचान है।    
हिन्द  की  है शान  तू  औ’ हिन्दियों की  आन है।
तू   हमारे  वीर पुरखों  की,  शहादत  का  निशाँ ।      
तेरे ज़ल्वों  पर, वतन का  हर  बसर, क़ुरबान है।।
     
      तू  लहरता,  तो  उमंगें,  मन  की  हैं  होती ज़वां।    
      तू   फहरता,  तो   रगों  में,  खून   होता  है  रवां।       
      तुझको  छू कर के  गुज़रती है, मुक़द्दस जो हवा।    
      झूमता  है , सॉस  उसमें  ले   के , ये  हिन्दोस्तां।।
     
तू  रहे  रोशन  हमेशा, नभ में, सूरज-चॉद  बन।    
तेरी  ही  छाया में , लहरायें  सदा , गंगो-जमन।    
आस्मां  में  तू  सदा , लिखता  रहे , हिन्दोस्तां।    
बॉटता यूँ  ही  रहे,  दुनिया  को , पैगामे-अमन।।
     
      तू हिलाता हाथ दुश्मन  की तरफ भी मीत सा।    
      तू   फिज़ां में  गूँजता  है , हिन्द के  संगीत सा।।        
      तेरे   रंगों  में   बहारें ,  हिन्द  की,  होती  अयां।    
      तू  धरा पर,  भारतीयों  के सुयश के, गीत सा।।
                          *

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ParwaaZ
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«Reply #1 on: August 14, 2011, 05:30:11 PM »
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Mishra Jee Aadaab!

Behad khoob gungaan kiya hai aapne Tirange ka Usual Smile
Shabdik Rachna aur vichaar dhara khub khil kar
aayi.... Usual Smile

Humari daad kabul kijiye.. Usual Smile
Likhate rahiye... Usual Smile

Khush O aabaad rahiye.. Usual Smile
Khuda Hafez Usual Smile         

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MANOJ6568
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«Reply #2 on: August 14, 2011, 05:47:51 PM »
nice
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ऐ तिरंगे ! तू जहॉ में हिन्द की पहचान है....

-अरुण मिश्र

ऐ  तिरंगे !  तू  जहॉ   में,  हिन्द  की   पहचान है।    
हिन्द  की  है शान  तू  औ’ हिन्दियों की  आन है।
तू   हमारे  वीर पुरखों  की,  शहादत  का  निशाँ ।      
तेरे ज़ल्वों  पर, वतन का  हर  बसर, क़ुरबान है।।
     
      तू  लहरता,  तो  उमंगें,  मन  की  हैं  होती ज़वां।    
      तू   फहरता,  तो   रगों  में,  खून   होता  है  रवां।       
      तुझको  छू कर के  गुज़रती है, मुक़द्दस जो हवा।    
      झूमता  है , सॉस  उसमें  ले   के , ये  हिन्दोस्तां।।
     
तू  रहे  रोशन  हमेशा, नभ में, सूरज-चॉद  बन।    
तेरी  ही  छाया में , लहरायें  सदा , गंगो-जमन।    
आस्मां  में  तू  सदा , लिखता  रहे , हिन्दोस्तां।    
बॉटता यूँ  ही  रहे,  दुनिया  को , पैगामे-अमन।।
     
      तू हिलाता हाथ दुश्मन  की तरफ भी मीत सा।    
      तू   फिज़ां में  गूँजता  है , हिन्द के  संगीत सा।।        
      तेरे   रंगों  में   बहारें ,  हिन्द  की,  होती  अयां।    
      तू  धरा पर,  भारतीयों  के सुयश के, गीत सा।।
                          *


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Satish Shukla
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«Reply #3 on: August 15, 2011, 08:45:17 AM »

Respected Arun Ji,

Bahut khoob...dili daad
qubool farmaayen..

Sadar,

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