HIND NAAM KAFI HE

by Mufazzal on July 12, 2014, 09:35:52 AM
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Mufazzal
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हिन्द नाम काफी है

गंगा जहाँ बहती है हिमालय का सीना चीर
जन्नत जिसे कहते हैं ज़मीं की वो है कश्मीर
नक्शा-ए-जहाँ पे जो दिखती है मुकम्मल
हर सिम्त से दिलकश बड़ी लगती है ये तसवीर
   मौसम भी मुआफिक यहाँ हर जान के लिए
   एक हिन्द नाम काफी है पहचान के लिए
   
बर्फीले हैं पर्वत तो कहीं धूप में सहरा
जितने यहाँ मज़हब हैं प्यार उतना ही गहरा
तहज़ीब-ओ-तमद्दुन का ज़माना करे चर्चा
मुख्तलिफ ज़ुबां और मलाबिस में है चहरा
   मिसाल मुहब्बत की यहाँ ताज अजूबा
   कहलाती है जिससे ज़मीं आलम की महबुबा

गाँधी बहादुर भगत सुभाष और आज़ाद
कुरबान सभी हो गए कह-कह के ज़िंदाबाद
आँखों से खूँ टपकता था गाता था दिल मगर
गीत इंकलाब के कर-कर के हमको याद
   लगा के जां की बाज़ी वो लहरा गए परचम
   देखे अब आँख उठा के भी दुश्मन में नहीं दम !!!

                   डॉ. मुफज़्ज़ल ज़ुल्फेक़ार
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mumtaz naam kafi hai by sunildehgawani in Shayri for Khumar -e- Ishq
sksaini4
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«Reply #1 on: July 12, 2014, 11:48:05 AM »
 icon_salut icon_salut icon_salut icon_salut bahut khoob
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dksaxenabsnl
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खुश रहो खुश रहने दो l

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«Reply #2 on: July 12, 2014, 11:49:59 AM »

हिन्द नाम काफी है

गंगा जहाँ बहती है हिमालय का सीना चीर
जन्नत जिसे कहते हैं ज़मीं की वो है कश्मीर
नक्शा-ए-जहाँ पे जो दिखती है मुकम्मल
हर सिम्त से दिलकश बड़ी लगती है ये तसवीर
   मौसम भी मुआफिक यहाँ हर जान के लिए
   एक हिन्द नाम काफी है पहचान के लिए
   
बर्फीले हैं पर्वत तो कहीं धूप में सहरा
जितने यहाँ मज़हब हैं प्यार उतना ही गहरा
तहज़ीब-ओ-तमद्दुन का ज़माना करे चर्चा
मुख्तलिफ ज़ुबां और मलाबिस में है चहरा
   मिसाल मुहब्बत की यहाँ ताज अजूबा
   कहलाती है जिससे ज़मीं आलम की महबुबा

गाँधी बहादुर भगत सुभाष और आज़ाद
कुरबान सभी हो गए कह-कह के ज़िंदाबाद
आँखों से खूँ टपकता था गाता था दिल मगर
गीत इंकलाब के कर-कर के हमको याद
   लगा के जां की बाज़ी वो लहरा गए परचम
   देखे अब आँख उठा के भी दुश्मन में नहीं दम !!!

                   डॉ. मुफज़्ज़ल ज़ुल्फेक़ार

Clapping Smiley Clapping Smiley Clapping Smiley Clapping Smiley Clapping Smiley Clapping Smiley Clapping Smiley Clapping Smiley Clapping Smiley Clapping Smiley Clapping Smiley Clapping Smiley Clapping Smiley Clapping Smiley

डॉ. मुफज़्ज़ल ज़ुल्फेक़ार साहब,

आपने जो देशभक्ति की रचना प्रस्तुत की है, यह आपके देश प्रेम को दर्शाती है. धन्य हो ये भारत देश. इस अच्छी रचना को प्रस्तुत करने के लिए आपको ढेरो दाद.
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RAJAN KONDAL
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«Reply #3 on: July 12, 2014, 02:33:25 PM »

हिन्द नाम काफी है

गंगा जहाँ बहती है हिमालय का सीना चीर
जन्नत जिसे कहते हैं ज़मीं की वो है कश्मीर
नक्शा-ए-जहाँ पे जो दिखती है मुकम्मल
हर सिम्त से दिलकश बड़ी लगती है ये तसवीर
   मौसम भी मुआफिक यहाँ हर जान के लिए
   एक हिन्द नाम काफी है पहचान के लिए
   
बर्फीले हैं पर्वत तो कहीं धूप में सहरा
जितने यहाँ मज़हब हैं प्यार उतना ही गहरा
तहज़ीब-ओ-तमद्दुन का ज़माना करे चर्चा
मुख्तलिफ ज़ुबां और मलाबिस में है चहरा
   मिसाल मुहब्बत की यहाँ ताज अजूबा
   कहलाती है जिससे ज़मीं आलम की महबुबा

गाँधी बहादुर भगत सुभाष और आज़ाद
कुरबान सभी हो गए कह-कह के ज़िंदाबाद
आँखों से खूँ टपकता था गाता था दिल मगर
गीत इंकलाब के कर-कर के हमको याद
   लगा के जां की बाज़ी वो लहरा गए परचम
   देखे अब आँख उठा के भी दुश्मन में नहीं दम !!!

                   डॉ. मुफज़्ज़ल ज़ुल्फेक़ार

Waaaaaaah bhout umda
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Mufazzal
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«Reply #4 on: July 12, 2014, 10:07:03 PM »
Thank you ji!
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surindarn
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«Reply #5 on: July 12, 2014, 11:55:49 PM »
wah waah waaah bahut hee umdah desh bhagtee kee nazam kahee hai aapne, dheron daad.
Surindar.N
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 Applause Applause Applause Applause Applause
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ParwaaZ
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«Reply #6 on: July 13, 2014, 04:02:16 AM »


Mufazzal Sahaab Aadaab ...!

Khushaam deed janab ... YO ki is khoobsurat bazm meiN aapka khaire maqdam hai ...
Badi hi pyaari nazm se aapne is bazm ko nawaaza hai ..

Is khoobsurat nazm par humari janib se dili daad O mubbarakbad kabul kijiye ...
Ummid hai aap apne naye kalaamoN ke saath bazm meiN shirkat karte raheNge ...

Shaad O aabaad rahiye ...
Khuda Hafez ...
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Mufazzal
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«Reply #7 on: July 14, 2014, 02:48:43 AM »
hosla afzayi k liye bohot bohot shukriya ji...
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