आज छब्बीस जनवरी है........................................अरुण मिश्र.

by arunmishra on January 26, 2013, 02:16:17 AM
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arunmishra
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गणतंत्र दिवस की कोटि-कोटि शुभकामनायें


आज छब्बीस जनवरी है...

-अरुण मिश्र.

इस फ़ज़ा में, गन्ध-रस की आज कैसी माधुरी है?
शीत रितु की यह सुहानी सुब्ह  क्यों रंगत भरी है?
संग तिरंगे के  हमारे  प्राण-मन  क्यों  फरफराते?
आज है गणतंत्र का शुभ पर्व, छब्बीस जनवरी है।।

जनवरी छब्बीस, रावी-तट,  विगत इतिहास
शूरमाये-जंगे-आज़ादी इकट्ठा थे।
सरफ़रोशी  की तमन्नायें लिये दिल में-
बाज़ू-ए-क़ातिल की हिम्मत आज़माने को।
हिन्द के वे शेर गरजे-
दुश्मनों  के हृदय लरज़े।
लाश होती क़ौम की मुर्दा नसों में,
फिर जगा था, - गर्म बहते ख़ून का अहसास।

देश  के हित मरने वालों की अमर है जाँफ़िशानी ।
रात  काली  काट  डाली,  सुब्ह  ले  आये  सुहानी।
वीर  पुरखों  की   हमारे  वो  शहादत   रंग  लायी-
देश के जन को मिली गणतंत्र की पावन निशानी।।

पुण्य स्मृति की मधुर बेला-
दिवस गणतंत्र का यह।
याद में उनके-
सभी के मन भरे, आँखें भरी हैं।
आज छब्बीस जनवरी है।।
                       *


नज़्म, 1978, अरुण मिश्र, छब्बीस जनवरी, गणतंत्र दिवस.                    
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sksaini4
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«Reply #1 on: January 26, 2013, 02:45:03 AM »
bahut sunder aur pyaaree nazm haardik badhaai
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MANOJ6568
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«Reply #2 on: January 26, 2013, 04:10:30 AM »
गणतंत्र दिवस की कोटि-कोटि शुभकामनायें


आज छब्बीस जनवरी है...

-अरुण मिश्र.

इस फ़ज़ा में, गन्ध-रस की आज कैसी माधुरी है?
शीत रितु की यह सुहानी सुब्ह  क्यों रंगत भरी है?
संग तिरंगे के  हमारे  प्राण-मन  क्यों  फरफराते?
आज है गणतंत्र का शुभ पर्व, छब्बीस जनवरी है।।

जनवरी छब्बीस, रावी-तट,  विगत इतिहास
शूरमाये-जंगे-आज़ादी इकट्ठा थे।
सरफ़रोशी  की तमन्नायें लिये दिल में-
बाज़ू-ए-क़ातिल की हिम्मत आज़माने को।
हिन्द के वे शेर गरजे-
दुश्मनों  के हृदय लरज़े।
लाश होती क़ौम की मुर्दा नसों में,
फिर जगा था, - गर्म बहते ख़ून का अहसास।

देश  के हित मरने वालों की अमर है जाँफ़िशानी ।
रात  काली  काट  डाली,  सुब्ह  ले  आये  सुहानी।
वीर  पुरखों  की   हमारे  वो  शहादत   रंग  लायी-
देश के जन को मिली गणतंत्र की पावन निशानी।।

पुण्य स्मृति की मधुर बेला-
दिवस गणतंत्र का यह।
याद में उनके-
सभी के मन भरे, आँखें भरी हैं।
आज छब्बीस जनवरी है।।
                       *


नज़्म, 1978, अरुण मिश्र, छब्बीस जनवरी, गणतंत्र दिवस.                   

ati sunder
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nisha bhatia
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«Reply #3 on: January 26, 2013, 05:05:08 AM »
very very nycccccccccc
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F.H.SIDDIQUI
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«Reply #4 on: January 26, 2013, 06:58:43 AM »
bahut sundar , aitihaasik prishtbhoomi ka smaran karaati aur Bharat Maa ke un laalon ko yaad dilaati jinhon ne apna tan man dhan aazaadi ke liye nyochhawar kar diya aapki is kavita ne dil ko chhoo liya . khuda kare in buzurgon ki virasat ke thekedaaron ko un ke jazbe , unki akanchhaon ka maan rakhne ki prerna bhi mil jaaye. Arun ji aap ko ia sundar kavita par dheron badhaai aur salaam.HASAN
गणतंत्र दिवस की कोटि-कोटि शुभकामनायें


आज छब्बीस जनवरी है...

-अरुण मिश्र.

इस फ़ज़ा में, गन्ध-रस की आज कैसी माधुरी है?
शीत रितु की यह सुहानी सुब्ह  क्यों रंगत भरी है?
संग तिरंगे के  हमारे  प्राण-मन  क्यों  फरफराते?
आज है गणतंत्र का शुभ पर्व, छब्बीस जनवरी है।।

जनवरी छब्बीस, रावी-तट,  विगत इतिहास
शूरमाये-जंगे-आज़ादी इकट्ठा थे।
सरफ़रोशी  की तमन्नायें लिये दिल में-
बाज़ू-ए-क़ातिल की हिम्मत आज़माने को।
हिन्द के वे शेर गरजे-
दुश्मनों  के हृदय लरज़े।
लाश होती क़ौम की मुर्दा नसों में,
फिर जगा था, - गर्म बहते ख़ून का अहसास।

देश  के हित मरने वालों की अमर है जाँफ़िशानी ।
रात  काली  काट  डाली,  सुब्ह  ले  आये  सुहानी।
वीर  पुरखों  की   हमारे  वो  शहादत   रंग  लायी-
देश के जन को मिली गणतंत्र की पावन निशानी।।


पुण्य स्मृति की मधुर बेला-
दिवस गणतंत्र का यह।
याद में उनके-
सभी के मन भरे, आँखें भरी हैं।
आज छब्बीस जनवरी है।।
                       *


नज़्म, 1978, अरुण मिश्र, छब्बीस जनवरी, गणतंत्र दिवस.                   

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ParwaaZ
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«Reply #5 on: January 26, 2013, 07:54:57 AM »
Mishraa Jee Aadaab!


Badi hi prernadayi aur mann utsfurt karne wali nazm kahi hai aapne..
is khoob nazm par hazaaroN dili daad O mubbarakbad kabul kkijiye...


Aapki yeH nazm san 1978 ki likhi hai behad badi baat hai aapke tajurbe
ko darsha rahi hai... Usual Smile  icon_salut

Likhate rahiye... aate rahiye...
Shaad O aabaad rahiye...

Khuda Hafez.. Usual Smile
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Iftakhar Ahmad
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«Reply #6 on: January 26, 2013, 08:49:36 AM »
Waaaaaaaaah Arun Jee, ati sundar rachna, dil jhoom utha padh ke. Bahut bahut badhaiyaaN aapko Gantantra Divas ki.
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suman59
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«Reply #7 on: January 26, 2013, 09:19:17 AM »
very very nice
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nandbahu
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«Reply #8 on: January 26, 2013, 11:43:25 AM »
wah wah
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mkv
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«Reply #9 on: January 26, 2013, 12:57:03 PM »
Aadaab sir
rep.day ki bahut bahut mubaarakbaad..
is khoobsurat nazm par ..dili mubaarakbaad
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Satish Shukla
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«Reply #10 on: January 27, 2013, 09:52:59 AM »

Respected Arun Mishra Ji,

waaaaaah waaaaaah bahut khoob...
saamyik rachna bahut achchhee lagee

Raqeeb
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prashad
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«Reply #11 on: January 28, 2013, 10:36:44 AM »
bahut khoob
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