कभी हिंदी में बाँट दिया कभी उर्दू में बाँट दिया

by kavyadharateam on March 03, 2015, 12:54:53 PM
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kavyadharateam
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कभी हिंदी में बाँट दिया कभी उर्दू में बाँट दिया
मेरा वतन इस सियासत ने एक जुनूँ में बाँट दिया।
इमारतें अपने ज़म्हूरियत की जब हिल न सकी तो
मौका परस्तों ने हमको मुस्लिम -हिंदू में बाँट दिया।
हवस ने खींच दी दीवारें हज़ारों ख़ून के दरमियाँ
बच्चों ने माँ -बाप को झूठी आरज़ू में बाँट दिया।
जहाँ पर सोच तक जाती नहीं वहाँ ईमान बेच दिये
घर अपना तख़्त की ख़ातिर देखो अदू में बाँट दिया।
"दीपक" तिगड़मवाज़ी हमे बड़ी महारतें हासिल हैं
कभी कश्मीर में अवाम को कभी जम्मू में बाँट दिया।
@दीपक शर्मा
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Rajigujral
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«Reply #1 on: March 03, 2015, 01:28:50 PM »
Bahut umda peshkash. Dheron daad.
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ambalika sharma
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«Reply #2 on: March 03, 2015, 02:05:04 PM »
कभी हिंदी में बाँट दिया कभी उर्दू में बाँट दिया
मेरा वतन इस सियासत ने एक जुनूँ में बाँट दिया।
इमारतें अपने ज़म्हूरियत की जब हिल न सकी तो
मौका परस्तों ने हमको मुस्लिम -हिंदू में बाँट दिया।
हवस ने खींच दी दीवारें हज़ारों ख़ून के दरमियाँ
बच्चों ने माँ -बाप को झूठी आरज़ू में बाँट दिया।
जहाँ पर सोच तक जाती नहीं वहाँ ईमान बेच दिये
घर अपना तख़्त की ख़ातिर देखो अदू में बाँट दिया।
"दीपक" तिगड़मवाज़ी हमे बड़ी महारतें हासिल हैं
कभी कश्मीर में अवाम को कभी जम्मू में बाँट दिया।
@दीपक शर्मा
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deep thought deepak ji......
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sksaini4
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«Reply #3 on: March 03, 2015, 02:19:48 PM »
kyaa baat hai waah
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marhoom bahayaat
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«Reply #4 on: March 03, 2015, 02:49:31 PM »
कभी हिंदी में बाँट दिया कभी उर्दू में बाँट दिया
मेरा वतन इस सियासत ने एक जुनूँ में बाँट दिया।
इमारतें अपने ज़म्हूरियत की जब हिल न सकी तो
मौका परस्तों ने हमको मुस्लिम -हिंदू में बाँट दिया।
हवस ने खींच दी दीवारें हज़ारों ख़ून के दरमियाँ
बच्चों ने माँ -बाप को झूठी आरज़ू में बाँट दिया।
जहाँ पर सोच तक जाती नहीं वहाँ ईमान बेच दिये
घर अपना तख़्त की ख़ातिर देखो अदू में बाँट दिया।
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wonderful,sir
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«Reply #5 on: March 03, 2015, 03:49:45 PM »
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jeet jainam
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«Reply #6 on: March 03, 2015, 05:32:42 PM »
be had umda peshkash waaahhh
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surindarn
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«Reply #7 on: March 03, 2015, 11:29:08 PM »
bahut hee sunder likhaa hai aapne, bahut bahut daad.
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Raja Jain
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«Reply #8 on: March 04, 2015, 06:36:05 AM »
कभी हिंदी में बाँट दिया कभी उर्दू में बाँट दिया
मेरा वतन इस सियासत ने एक जुनूँ में बाँट दिया।
इमारतें अपने ज़म्हूरियत की जब हिल न सकी तो
मौका परस्तों ने हमको मुस्लिम -हिंदू में बाँट दिया।
हवस ने खींच दी दीवारें हज़ारों ख़ून के दरमियाँ
बच्चों ने माँ -बाप को झूठी आरज़ू में बाँट दिया।
जहाँ पर सोच तक जाती नहीं वहाँ ईमान बेच दिये
घर अपना तख़्त की ख़ातिर देखो अदू में बाँट दिया।
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कभी कश्मीर में अवाम को कभी जम्मू में बाँट दिया।
@दीपक शर्मा
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Wah wah kya khoob kaha aapne dil ko chho gayi aapki ghazal, bahut achha likha hai wakai me kabil-e-taarif hai...

Dharmbaad, Bhashabaad, Jatibaad, Kshetrabaad Tyaagen Sabhi, Ek Rahen Aisa Maa Tu Gyaan De,
Bharasht Bhediyon Ko Miyya, Maar De Akaal Tu, Bos, Chandra Shekhar, Se Neta Phir Mahaan De,
Aur Phir Koi Abdul Hameed, Rana Sivaji Bane, Pooja Mandiro Me, Aur Maszid Me Azaan De,
Bhaarat Ke Hi Bete Hain Ye Hindu Aur Musalmaan, Ek Haath Geeta Aur Ek Me Quraan De....
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kavyadharateam
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«Reply #9 on: March 21, 2015, 03:20:09 PM »
nawajish ka shukriya ....mere dosto
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