चाँद मुबारक..............................................अरुण मिश्र

by arunmishra on August 15, 2015, 04:18:15 AM
Pages: [1]
Print
Author  (Read 797 times)
arunmishra
Guest
स्वतंत्रता दिवस की शुभकामनायें

https://youtu.be/f3vOwfc_4rE
चाँद मुबारक

-अरुण मिश्र

अढ़सठ   बरस पहले,
पन्द्रह अगस्त की शब,
थी रात आधी बाक़ी,
आधी ग़ुज़र चुकी थी।
या शाम से सहर की-
मुश्कि़ल तवील दूरी,
तय हो चुकी थी आधी।
ख़त्म हो रहा सफ़र था-
राहों में तीरग़ी के-
‘औ, रोशनी की जानिब।।

पन्द्रह अगस्त की शब,
दिल्ली के आसमाँ में,
उस ख़ुशनुमां फि़ज़ाँ में,
इक अजीब चाँद चमका,
रंगीन चाँद चमका।।
थे तीन रंग उसमें-
वो चाँद था तिरंगा।
वे तरह-तरह के रंग थे,
रंग क्या थे वे तरंग थे,
हम हिन्दियों के मन में -
उमगे हुये उमंग थे।
कु़र्बानियों का रंग भी,
अम्नो-अमन का रंग भी,
था मुहब्बतों का रंग भी,
ख़ुशहालियों का रंग भी,
‘औ, बुढि़या के चर्खे़ के-
उस पहिये का निशां भी-
बूढ़े से लेके बच्चे तक-
जिसको जानते हैं।।


पन्द्रह अगस्त की शब,
जब रायसीना के इन-
नन्हीं पहाडि़यों पर-
यह चाँद उगा देखा-
ऊँचे हिमालया ने,
कुछ और हुआ ऊँचा।
गंगों-जमन की छाती-
कुछ और हुई चैड़ी।
‘औ, हिन्द महासागर-
में ज्वार उमड़ आया।
बंगाल की खाड़ी से-
सागर तलक अरब के-
ख़ुशियों की लहर फैली,
हर गाँव-शहर फैली।।


पन्द्रह अगस्त की शब,
जब राष्ट्रपति भवन में-
यह चाँद चढ़ ऊपर,
चढ़ता ही गया ऊपर,
सूरज उतार लाया,
सूरज कि , जिसकी शोहरत-
थी, डूबता नहीं है,
वह डूब गया आधा-
इस चाँद की चमक से।।


पन्द्रह अगस्त की शब,
इस चाँद को निहारा,
जब लाल कि़ले ने तो-
ख़ुशियों से झूम उट्ठीं-
बेजान दीवारें भी।
पहलू में जामा मस्जिद-
की ऊँची मीनारें भी-
देने लगीं दुआयें।
आने लगी सदायें-
हर ज़र्रे से ग़ोशे से-
ये चाँद मुबारक हो।
इस देश की कि़स्मत का-
ये चाँद मुबारक हो।
इस हिन्द की ताक़त का-
ये चाँद मुबारक हो।
हिन्दोस्ताँ की अज़मत का-
चाँद मुबारक हो।।

रोजे़ की मुश्कि़लों के-
थी बाद, ईद आयी।
क़ुर्बानियाँ शहीदों की-
थीं ये रंग लायीं।
अब फ़जऱ् है, हमारा-
इसकी करें हिफ़ाज़त,
‘ता, ये रहे सलामत-
‘औ, कह सकें हमेशा-
हर साल-गिरह पर हम-
ये, एक दूसरे से-
कि, चाँद मुबारक हो-
ये तीन रंग वाला,
हिन्दोस्ताँ की अज़मत का-
चाँद मुबारक हो।
ये चाँद सलामत हो,
ये चाँद मुबारक हो।।

  *
Logged
khamosh_aawaaz
Guest
«Reply #1 on: August 15, 2015, 01:52:06 PM »
स्वतंत्रता दिवस की शुभकामनायें

https://youtu.be/f3vOwfc_4rE
चाँद मुबारक

-अरुण मिश्र

अढ़सठ   बरस पहले,
पन्द्रह अगस्त की शब,
थी रात आधी बाक़ी,
आधी ग़ुज़र चुकी थी।
या शाम से सहर की-
मुश्कि़ल तवील दूरी,
तय हो चुकी थी आधी।
ख़त्म हो रहा सफ़र था-
राहों में तीरग़ी के-
‘औ, रोशनी की जानिब।।

पन्द्रह अगस्त की शब,
दिल्ली के आसमाँ में,
उस ख़ुशनुमां फि़ज़ाँ में,
इक अजीब चाँद चमका,
रंगीन चाँद चमका।।
थे तीन रंग उसमें-
वो चाँद था तिरंगा।
वे तरह-तरह के रंग थे,
रंग क्या थे वे तरंग थे,
हम हिन्दियों के मन में -
उमगे हुये उमंग थे।
कु़र्बानियों का रंग भी,
अम्नो-अमन का रंग भी,
था मुहब्बतों का रंग भी,
ख़ुशहालियों का रंग भी,
‘औ, बुढि़या के चर्खे़ के-
उस पहिये का निशां भी-
बूढ़े से लेके बच्चे तक-
जिसको जानते हैं।।


पन्द्रह अगस्त की शब,
जब रायसीना के इन-
नन्हीं पहाडि़यों पर-
यह चाँद उगा देखा-
ऊँचे हिमालया ने,
कुछ और हुआ ऊँचा।
गंगों-जमन की छाती-
कुछ और हुई चैड़ी।
‘औ, हिन्द महासागर-
में ज्वार उमड़ आया।
बंगाल की खाड़ी से-
सागर तलक अरब के-
ख़ुशियों की लहर फैली,
हर गाँव-शहर फैली।।


पन्द्रह अगस्त की शब,
जब राष्ट्रपति भवन में-
यह चाँद चढ़ ऊपर,
चढ़ता ही गया ऊपर,
सूरज उतार लाया,
सूरज कि , जिसकी शोहरत-
थी, डूबता नहीं है,
वह डूब गया आधा-
इस चाँद की चमक से।।


पन्द्रह अगस्त की शब,
इस चाँद को निहारा,
जब लाल कि़ले ने तो-
ख़ुशियों से झूम उट्ठीं-
बेजान दीवारें भी।
पहलू में जामा मस्जिद-
की ऊँची मीनारें भी-
देने लगीं दुआयें।
आने लगी सदायें-
हर ज़र्रे से ग़ोशे से-
ये चाँद मुबारक हो।
इस देश की कि़स्मत का-
ये चाँद मुबारक हो।
इस हिन्द की ताक़त का-
ये चाँद मुबारक हो।
हिन्दोस्ताँ की अज़मत का-
चाँद मुबारक हो।।

रोजे़ की मुश्कि़लों के-
थी बाद, ईद आयी।
क़ुर्बानियाँ शहीदों की-
थीं ये रंग लायीं।
अब फ़जऱ् है, हमारा-
इसकी करें हिफ़ाज़त,
‘ता, ये रहे सलामत-
‘औ, कह सकें हमेशा-
हर साल-गिरह पर हम-
ये, एक दूसरे से-
कि, चाँद मुबारक हो-
ये तीन रंग वाला,
हिन्दोस्ताँ की अज़मत का-
चाँद मुबारक हो।
ये चाँद सलामत हो,
ये चाँद मुबारक हो।।

  *



veriiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiii iiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiii

naaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaa aaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaa aaaaaaaaice nazm sahab ek rau iss nihaayat haseen jazbe sey bharii huii nazm ko
Logged
jeet jainam
Khaas Shayar
**

Rau: 237
Offline Offline

Gender: Male
Waqt Bitaya:
60 days, 12 hours and 13 minutes.

my rule no type no life and ,i m happy single

Posts: 10150
Member Since: Dec 2012


View Profile WWW
«Reply #2 on: August 16, 2015, 01:58:49 PM »
waah waah waah bohat khubsurat
Logged
Pages: [1]
Print
Jump to:  


Get Yoindia Updates in Email.

Enter your email address:

Ask any question to expert on eTI community..
Welcome, Guest. Please login or register.
Did you miss your activation email?
December 25, 2024, 07:53:17 AM

Login with username, password and session length
Recent Replies
by mkv
[December 22, 2024, 05:36:15 PM]

[December 19, 2024, 08:27:42 AM]

[December 17, 2024, 08:39:55 AM]

[December 15, 2024, 06:04:49 AM]

[December 13, 2024, 06:54:09 AM]

[December 10, 2024, 08:23:12 AM]

[December 10, 2024, 08:22:15 AM]

by Arif Uddin
[December 03, 2024, 07:06:48 PM]

[November 26, 2024, 08:47:05 AM]

[November 21, 2024, 09:01:29 AM]
Yoindia Shayariadab Copyright © MGCyber Group All Rights Reserved
Terms of Use| Privacy Policy Powered by PHP MySQL SMF© Simple Machines LLC
Page created in 0.096 seconds with 24 queries.
[x] Join now community of 8509 Real Poets and poetry admirer