तोड़ दो जंजीर गुलामी की.... " ऋषि "

by Rishi Agarwal on February 03, 2014, 02:14:20 AM
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Rishi Agarwal
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चलो लड़ें एक नई जंग, मिल कर सब आजादी की,
स्वर्णिम बने हिंदुस्तान, तोड़ दो जंजीर गुलामी की..

मिलकर ज्योति जलायें, अब शिक्षा के उजियारों की,
नारी का हो सम्मान, अब बात चले.. अधिकारों की..

व्यर्थ ना जाये कुर्बानी, भारत माँ के वीर लालों की,
कंधे से कंधा मिला लो, जड़ें उखाड़ देंगे उग्रवादों की..

बहुत भ्रमित हो चुके, बारी हैं अब आवाज उठाने की,
घर - घर गूंजे वन्देमातरम्, बातें हो शिष्टाचारी की..

भूख से ना तड़फे कोई, आहुति देंगे अब महंगाई की,
रोज़ी-रोटी मिले ग़रीब को, बातें ना हो जग हसाईं की..

"ऋषि" करे फरियाद, एक बार फिर क्रान्ति लाने की,
संकल्प हो सबका एक, भारत को खुशहाल बनाने की..



दिनांक :- २६ जनवरी २०१४
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sksaini4
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«Reply #1 on: February 03, 2014, 07:55:08 AM »
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gaytri gupta
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«Reply #2 on: February 03, 2014, 01:17:02 PM »
kabile tarif...
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Shireen Hakani
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«Reply #3 on: February 03, 2014, 04:18:38 PM »
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Akash Basudev
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«Reply #4 on: February 03, 2014, 08:01:10 PM »
Bahut hi acchi Rachna bro...Kudos 2 u
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Satish Shukla
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«Reply #5 on: February 03, 2014, 08:05:37 PM »
चलो लड़ें एक नई जंग, मिल कर सब आजादी की,
स्वर्णिम बने हिंदुस्तान, तोड़ दो जंजीर गुलामी की..

मिलकर ज्योति जलायें, अब शिक्षा के उजियारों की,
नारी का हो सम्मान, अब बात चले.. अधिकारों की..

व्यर्थ ना जाये कुर्बानी, भारत माँ के वीर लालों की,
कंधे से कंधा मिला लो, जड़ें उखाड़ देंगे उग्रवादों की..

बहुत भ्रमित हो चुके, बारी हैं अब आवाज उठाने की,
घर - घर गूंजे वन्देमातरम्, बातें हो शिष्टाचारी की..

भूख से ना तड़फे कोई, आहुति देंगे अब महंगाई की,
रोज़ी-रोटी मिले ग़रीब को, बातें ना हो जग हसाईं की..

"ऋषि" करे फरियाद, एक बार फिर क्रान्ति लाने की,
संकल्प हो सबका एक, भारत को खुशहाल बनाने की..



दिनांक :- २६ जनवरी २०१४

Waaaah waaah bahut khoob....Raqeeb Lucknowi
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marhoom bahayaat
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«Reply #6 on: February 03, 2014, 10:02:50 PM »
चलो लड़ें एक नई जंग, मिल कर सब आजादी की,
स्वर्णिम बने हिंदुस्तान, तोड़ दो जंजीर गुलामी की..

मिलकर ज्योति जलायें, अब शिक्षा के उजियारों की,
नारी का हो सम्मान, अब बात चले.. अधिकारों की..

व्यर्थ ना जाये कुर्बानी, भारत माँ के वीर लालों की,
कंधे से कंधा मिला लो, जड़ें उखाड़ देंगे उग्रवादों की..

बहुत भ्रमित हो चुके, बारी हैं अब आवाज उठाने की,
घर - घर गूंजे वन्देमातरम्, बातें हो शिष्टाचारी की..

भूख से ना तड़फे कोई, आहुति देंगे अब महंगाई की,
रोज़ी-रोटी मिले ग़रीब को, बातें ना हो जग हसाईं की..

"ऋषि" करे फरियाद, एक बार फिर क्रान्ति लाने की,
संकल्प हो सबका एक, भारत को खुशहाल बनाने की..



दिनांक :- २६ जनवरी २०१४

good one,sir
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Advo.RavinderaRavi
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«Reply #7 on: February 04, 2014, 04:06:57 AM »
बहुत खूब.!!
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aqsh
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«Reply #8 on: February 04, 2014, 12:35:58 PM »
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Great work..... dheron daaaaaaad rishi ji...
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