BEET GAYEE SO BAAT GAYEE...By Harivansh Rai Bachhanji

by KOYAL46 on October 28, 2009, 06:23:57 PM
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Anjali Srivastava
Guest
«Reply #15 on: August 28, 2013, 01:48:49 PM »
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जो बीत गई सो बात गई
मोती के दानों से भू पर
बूंदे टपटप कर गिरती हैं
जग से मानो यह कहती हैं
जितने तारे नभ के टुटे
जितने प्यारे उसके छुटे
उन टुटे तारों पर ही तो
यह अम्बर अश्रु बहाता है
अम्बर भी शोक मनाता है
यह व्याथा तुम्हारा कहना है
जो बीत गई सो बात गई

गरमी के दुपहर में देखो
सर सर लपटें जब चलती हैं
पीले पल्लव गिर पड्ते हैं
जग के कानों में कहते हं
मधुबन की सूखीं जो कलियाँ
मुरझाई जितनी वलरियाँ
उन सूखी कलियों पर ही तो
यह मधुबन शोर मचाता है
कैसे मानूँ इस जीवन में
जो बीत गई सो बात गई

मुझे भी रो लेने दो
समय की आंधी जब चलती है
सब कुछ बहा ले जाती है
फिर यदा कदा कौन दो
आँखों को नम करती रहती है
धीरे से कानों में कहती है
मैं नहीं जंजीर पैरों की
भुत हुँ तुमको कुछ सिखलाती हुँ
मैं ही इतिहास बनाती हुँ
नहीं मानती, जो बीत गई सो बात गई
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premdeep
Guest
«Reply #16 on: May 28, 2014, 09:21:46 PM »
Reply with quote
जो बीत गई सो बात गई
मोती के दानों से भू पर
बूंदे टपटप कर गिरती हैं
जग से मानो यह कहती हैं
जितने तारे नभ के टुटे
जितने प्यारे उसके छुटे
उन टुटे तारों पर ही तो
यह अम्बर अश्रु बहाता है
अम्बर भी शोक मनाता है
यह व्याथा तुम्हारा कहना है
जो बीत गई सो बात गई

गरमी के दुपहर में देखो
सर सर लपटें जब चलती हैं
पीले पल्लव गिर पड्ते हैं
जग के कानों में कहते हं
मधुबन की सूखीं जो कलियाँ
मुरझाई जितनी वलरियाँ
उन सूखी कलियों पर ही तो
यह मधुबन शोर मचाता है
कैसे मानूँ इस जीवन में
जो बीत गई सो बात गई

मुझे भी रो लेने दो
समय की आंधी जब चलती है
सब कुछ बहा ले जाती है
फिर यदा कदा कौन दो
आँखों को नम करती रहती है
धीरे से कानों में कहती है
मैं नहीं जंजीर पैरों की
भुत हुँ तुमको कुछ सिखलाती हुँ
मैं ही इतिहास बनाती हुँ
नहीं मानती, जो बीत गई सो बात गई

maam u have wrote incredibal just awesome i would like to see some more stuff from your side please join yo as a member. thanks ...premdeep
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